पटना: बिहार के लोगों की आय आज भी देश में सबसे फिसड्डी है. विशेषज्ञ इसका सबसे बड़ा कारण बिहार में औद्योगिक निवेश नहीं होना और आईटी सेक्टर में पिछड़ना बता रहे हैं. नीतीश सरकार के लिए दिल्ली, गोवा, गुजरात, हरियाणा जैसे राज्यों की बराबरी करना तो दूर की बात राष्ट्रीय औसत प्राप्त करना भी एक बड़ी चुनौती है.
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विकास डबल डिजिट में लेकिन आय में पीछे
2005 में बिहार का विकास दर 3.19 प्रतिशत था, लेकिन 2020 में बिहार का विकास दर शुरुआत में 11.3 प्रतिशत था. उससे पहले लगातार 10 सालों तक नीतीश सरकार का दावा रहा है कि विकास दर डबल डिजिट में होता रहा है.
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लोगों की आय राष्ट्रीय औसत से भी आधी
15 साल बनाम 15 साल को लेकर नीतीश कुमार और बीजेपी के नेता लगातार दावा करते रहे हैं कि बिहार में बहुत विकास हुआ है. लेकिन एक दूसरी सच्चाई ये भी है कि बिहार के लोगों की आय राष्ट्रीय औसत से भी आधा है. बिहार के लोगों की औसत प्रति व्यक्ति सालाना आय 33 हजार के आसपास है. बिहार की ये स्थिति तब है, जब बिहार के 31 मंत्रियों में से अधिकांश करोड़पति हैं. साथ ही 243 विधायकों और 40 सांसदों में से भी अधिकांश करोड़पति हैं.
''बिहार पिछड़ा प्रदेश के रूप में जाना जाता रहा है. बिहार में विकास हुआ है, लेकिन आबादी अधिक होने के कारण प्रति व्यक्ति आय नहीं बढ़ा है. इसके अलावा कृषि, उद्योग और सेवा क्षेत्रों में जितने काम होने चाहिए वह नहीं हुए हैं. जिसका असर प्रति व्यक्ति आय पर पड़ा है. राष्ट्रीय औसत के बराबर आय करने के लिए बिहार को प्रतिवर्ष 20 प्रतिशत के हिसाब से विकास करना होगा''- एनके चौधरी, अर्थशास्त्री
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''बिहार में विकास उन सेक्टर में हुए हैं, जिसका असर लोगों की आमदनी बढ़ाने में नहीं हो रहा है. बिहार में एसेट्स बढ़े हैं, रोड भवन और इंफ्रास्ट्रक्चर में बेहतर स्थिति हुई है. लेकिन वह लोगों की आय बढ़ाने में कामयाब नहीं हो सका है. कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे क्षेत्र में अभी भी बिहार काफी पीछे है. औद्योगिक निवेश नहीं हुए हैं. बिहार में जिलों में प्रति व्यक्ति आय को लेकर भी काफी असमानता है. पटना की स्थिति कुछ बेहतर है. वहीं, 20 जिलों की स्थिति बहुत ही खराब है''- डीएम दिवाकर, आर्थिक विशेषज्ञ
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''जब तक प्रदेश में बड़े पैमाने पर औद्योगिकीकरण और आईटी क्षेत्र में निवेश नहीं होगा. तब तक लोगों की आय में बहुत ज्यादा इजाफा नहीं हो सकता है और इसके लिए विशेष पहल करनी होगी''- केपीएस केसरी, पूर्व अध्यक्ष बीआइए और उद्योगपति
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''नीतीश कुमार दावा तो जरूर करते हैं, लेकिन सच्चाई यही है कि देश के छोटे राज्यों से भी बिहार के लोगों की प्रति व्यक्ति आय काफी कम है. नीतीश कुमार जब तक अपनी टीम नहीं बदलेंगे, तब तक इसमें सुधार नहीं होगा''- श्याम रजक, पूर्व मंत्री और आरजेडी नेता
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''हम लोग इसलिए तो लगातार विशेष राज्य की मांग करते रहे हैं, क्योंकि कांग्रेस जमाने में बिहार को खनिज रॉयल्टी का भी सही ढंग से हिस्सा नहीं मिला. बिहार की दोयम दर्जे की स्थिति कांग्रेस ने बना दी थी. लेकिन अब नीतीश कुमार ने जिस प्रकार से पहल की है, आने वाले दिनों में इसका असर जरूर दिखेगा और प्रति व्यक्ति आय में भी काफी इजाफा होगा''- राजीव रंजन, जदयू प्रवक्ता
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बिहार के जिलों में प्रति व्यक्ति आय में असमानता
बिहार में प्रति व्यक्ति आय जहां 10 साल पहले राष्ट्रीय औसत का लगभग 31 प्रतिशत थी. वहीं, आज लगभग 38 प्रतिशत के आसपास है. गोवा, दिल्ली, कर्नाटक, हरियाणा, गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों से बिहार में प्रति व्यक्ति आय बहुत ही कम है. वहीं, दूसरी तरफ बिहार के अंदर भी प्रति व्यक्ति आय में काफी असमानता है. बिहार में जिलों में भी काफी असमानता है.
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12 जिलों की हालत बेहद खराब
पटना के मुकाबले कई अन्य जिलों की स्थिति बहुत ही खराब है. पटना में प्रति व्यक्ति सालाना आय 60 हजार से ऊपर है. वहीं, सुपौल, मधेपुरा, शिवहर जैसे जिलों में प्रति व्यक्ति आय 10 हजार से भी नीचे है. बिहार में ऐसे 12 जिले हैं. जहां प्रति व्यक्ति आय के मामले में काफी खराब स्थिति है.
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प्रति व्यक्ति आय में बिहार फिसड्डी
बिहार के आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट की मानें तो शिवहर, सीतामढ़ी, मधुबनी, बांका, कैमूर, अरवल, नवादा, सुपौल, मधेपुरा, कटिहार, अररिया और किशनगंज प्रति व्यक्ति आय के मामले में फिसड्डी बने हुए हैं. कुल मिलाकर नीतीश कुमार के पिछले एक दशक से डबल डिजिट में हो रहे ग्रोथ पर पूरे देश में बिहार की प्रति व्यक्ति आय फिसड्डी होने पर सवाल खड़ा हो रहा है.