पटना: पीपा पुल टूटने के बाद लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. राघोपुर के लोग नाव के सहारे जान जोखिम में डालकर यात्रा कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि इस इलाके से कई बड़े नेता और मुख्यमंत्री तक रहे हैं, लेकिन किसी ने आज तक इस ओर ध्यान नहीं दिया.
सड़क पर चलने वाली गाड़ियां नाव पर सवार
कभी पटरी पर रेल, तो कभी रेल पर पटरी की कहावत तो आपने सुनी होगी. उसी कहावत को ये दृश्य चरितार्थ करता है. सड़क पर चलने वाली गाड़ियां आज नाव पर यात्री बनकर सवार हैं. बाइक से लेकर दूल्हे की गाड़ी भी नाव पर सवार है.
जान हथेली पर रखकर यात्रा करते हैं लोग
आज भी राघोपुर के लोग अपनी जान हथेली पर रखकर आवागमन करते हैं. गंगा का जलस्तर बढ़ने के बाद लहरें जब तेज उफान मारती हैं तो नाव पर सवार लोगों की धड़कने तेज हो जाती है. डर के साये में जी रहे हजारों लोग प्रतिदिन राघोपुर से पटना जाते हैं. इन्हें हमेशा इस बात का भय रहता है कि ओवरलोड होने के कारण नाव कहीं गंगा की गोद में न समा जाए.
सरकार की अनदेखी
उत्तरी बिहार और दक्षिणी बिहार को जोड़ने वाला महात्मा गांधी सेतु पुल बनने के बाद आज तक कोई भी स्थाई पुल का निर्माण राजधानी पटना में नहीं कराया गया. राघोपुर विधान सभा आज तक उपेक्षित है. आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव और पूर्व मुख्यंमत्री राबड़ी देवी राघोपुर सीट से जीती थीं. अब इस सीट पर उनके पुत्र और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव विराजमान हैं. लेकिन आज तक इस गंगा के ऊपर किसी स्थाई पुल का निर्माण नहीं हो सका.
डर के साये में जी रहे लोग
लोगों का कहना हैं कि ये परेशानी आज की नहीं, बल्कि सदियों पुरानी है. अगर रात में किसी की तबीयत भी खराब हो जाए तो इन्हें नाव से ही जाना पड़ता है. गर्भवती महिलाओं को काफी परेशानी होती है. इधर डीएम साहब रात में नाव न चलाने का फरमान भी जारी करते हैं. सरकार की उदासीन रवैये से लोगों में मायूसी है.