पटनाः राजधानी पटना के एक इंटर स्कूल के प्रिंसिपल और शिक्षक को डीएम डॉ. चन्द्रशेखर सिंह ने निलंबित कर दिया है. दोनों पर ये कार्रवाई स्कूल की छात्राओं द्वारा लगाए गए छेड़खानी के आरोप के बाद की गई है. दरअसल छात्रों ने बीते दिनों डीएम ऑफिस का घेराव कर शिक्षक और प्रिंसिपल को हटाने की मांग की थी. स्कूल के छात्र-छात्राओं ने जिला नियंत्रण कक्ष के दंडाधिकारी के समक्ष बयान देकर लिखित आवेदन भी दिया था.
स्कूल के प्रिंसिपल और शिक्षक निलंबितः डीएम ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए तीन सदस्यी टीम का गठन किया था. टीम ने जांच रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंपी और अश्लील हरकत करने वाले शिक्षक और स्कूल की प्रिंसिपल को निलंबित कर दिया गया. बता दें कि समिति द्वारा दिए गए जांच रिपोर्ट के अनुसार आरोपित शिक्षक ने समिति के समक्ष विरोधाभासी बयान दिया. वहीं, विद्यालय की प्रधानाध्यापिका द्वारा जांच में सहयोग नहीं किया. प्रधानाध्यापिका ने छात्राओं के द्वारा पहले भी दी गई शिकायत पर भी किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की थी.
जांच में प्रिंसिपल की लापरवाही आई सामनेः जांच में पाया गया कि प्रधानाध्यापिका ने किसी वरीय पदाधिकारी को भी इस संबंध में कोई सूचना नहीं दी. विद्यालय में कोई शिकायत पेटी भी नहीं है, जहां पर छात्राएं अपनी शिकायत दर्ज कर सकें. नोटिस बोर्ड पर भी छात्राओं की सुरक्षा हेतु कोई सूचना प्रदर्शित नहीं की गयी है. आंतरिक शिकायत समिति का भी विद्यालय में गठन नहीं किया गया है. समिति ने पाया कि प्रधानाध्यापिका द्वारा लापरवाही, शिथिलता और उदासीनता बरतते हुए सरकार के निर्देशों का उल्लंघन किया गया है. जिसे देखते हुए जिलाधिकारी ने उन्हें निलंबित कर दिया है.
"यह एक काफी संवेदनशील मामला है. आरोपित शिक्षक के विरूद्ध जो आरोप लगाए गए हैं वे प्रथमदृष्ट्या सही पाया गया है. आरोपों की गंभीरता को देखते हुए विद्यालय की प्रधानाध्यापिका और आरोपित शिक्षक को निलंबित करते हुए मामले की कार्रवाई के लिए शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को अनुशंसा किया गया है. छात्राओं के बयान के आधार पर पीरबहोर थाना में पॉक्सो एक्ट के तहत प्राथमिकी भी दर्ज की गई है"- डॉ. चन्द्रशेखर सिंह, डीएम
डीएम ऑफिस में हुआ था हंगामाः बता दें कि इस मामले में इंटर स्कूल की छात्राओं ने शिक्षक पर आरोप लगाते हुए बताया था कि वो लगातार बारी-बारी से लड़कियों के साथ गंदी हरकतें करते हैं, गालियां भी देते हैं. कई बार इसकी शिकायत प्रिंसिपल से की गई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. उल्टे छात्राओं को ही स्कूल से सस्पेंड कर दिया गया. इसके बाद स्कूल की लगभग सात बच्चियों और कुछ लड़कों ने जिला नियंत्रण कक्ष के दंडाधिकारी के समक्ष बयान देते हुए लिखित आवेदन दिया. साथ ही डीएम ऑफिस के पास हंगामा भी किया.
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