पटनाः वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को केंद्रीय बजट पेश करेंगी. जिसको लेकर पूरे देश के आम और खास लोगों की निगाहें बजट पर टीकी हुई हैं. एलपीजी गैस सिलेंडर की बढ़ती कीमतों का सबसे ज्यादा असर ग्रामीण महिलाओं पर भी पड़ा है. उनका कहना था कि पहले तो फ्री में मिल गया लेकिन अब 1000 से 1200 रुपये तक लग रहा है. जिससे वे लोग फिर से पारंपरिक ईंधन यानी कि लकड़ी का उपयोग करने के लिए मजबूर हैं.
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"सरकार ने उज्ज्वला योजना को लेकर पोस्टर में नारा लिखवाया है कि 'महिलाओं को मिला सम्मान'. लेकिन, यह बात सिर्फ पोस्टर तक ही सीमित है. रसोई गैस के मूल्य में इजाफा होने कारण फिर से ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं लकड़ियां इकट्ठा करने को विवश हैं. सरकारी दावे सिर्फ हवा हवाई हैं. बजट से उम्मीद है कि उज्ज्वला गैस योजना के लिए सरकार कुछ करेगी"- रुक्मिणी देवी, तुलसीचक,मसौढ़ी
गांव में धुआं ही धुआंः महिलाओं ने पीएम उज्ज्वला गैस योजना पर ध्यान देने की उम्मीद लगा रखी हैं. इस बार उस योजना में गैस के दाम घट जाएंगे. इसके अलावा पंचायतों में कई तरह की बुनियादी समस्याओं के समाधान की उम्मीद इन महिलाओं को है. पटना जिले के मसौढ़ी के तुलसीचक की महिलओं ने कहा कि गैस सिलेंडर के दाम में बेतहाशा वृद्धि होने से रसोई का बजट बिगड़ गया है. गैस के दाम बढ़ने से गांव की तकरीबन उन सभी उज्ज्वला गैस योजना के उपभोक्ता फिर से लकड़ियों पर खाना बना रही हैं. सुबह शाम जलावन पर खाना बनने की वजह से गांव में धुआं धुआं नजर आता है.
हवा हवाई है सरकारी दावेः महिलाओं ने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार ने उज्ज्वला योजना को लेकर पोस्टर में नारा लिखवाया है कि महिलाओं को मिला सम्मान, लेकिन यह बात सिर्फ पोस्टर तक ही सीमित है. रसोई गैस के मूल्य में इजाफा होने कारण फिर से ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं लकड़ियां इकट्ठा करने को विवश है. सरकारी दावे सिर्फ हवा हवाई हैं. ऐसे में आने वाले बजट पर महिलाओं को उम्मीद है कि उज्ज्वला गैस योजना के लिए सरकार कुछ करेगी.