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नीतीश के चहेते अधिकारियों ने निकाली सुशासन की हवा, हाईकोर्ट अधिवक्ता के खिलाफ FIR दर्ज कर लिया यू-टर्न - हाईकोर्ट अधिवक्ता के खिलाफ FIR

अधिवक्ता सुमित शेखर पांडे कमिश्नर आनंद किशोर सहित तमाम पदाधिकारियों को यह समझाने की कोशिश कर रहे थे कि जिस जमीन पर अतिक्रमण हटाने की कोशिश प्रशासन कर रहा है उसके बारे में नगर निगम ने पहले ही शपथ पत्र दिया हुआ है.

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Published : Aug 20, 2019, 11:49 PM IST

Updated : Aug 21, 2019, 12:12 PM IST

पटना: राजधानी पटना को स्मार्ट बनाने के लिए युद्ध स्तर पर अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया जा रहा है. इस दौरान अधिकारियों की ओर से जमकर मनमानी की बात भी सामने आ रही है. ऐसा ही एक मामला 18 अगस्त को हुआ जब अतिक्रमण हटाने के दौरान पटना हाईकोर्ट के वकील सुमित शेखर पांडे को सरकारी कार्य में बाधा डालने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया. हालांकि जब मामले ने तूल पकड़ा तो प्रशासन बैकफुट पर आया और माफीनामा भी लिखा.

संवाददाता रंजीत कुमार की रिपोर्ट

दरअसल, 18 अगस्त को अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत पटना के प्रमंडलीय आयुक्त आनंद किशोर पूरी टीम के साथ पटना सचिवालय पहुंचे. अभियान के दौरान पटना हाईकोर्ट के अधिवक्ता सुमित शेखर पांडे वहां पहुंचे और अधिकारियों को कानूनी पक्ष बताने की कोशिश की. अधिवक्ता सुमित शेखर पांडे कमिश्नर आनंद किशोर सहित तमाम पदाधिकारियों को यह समझाने की कोशिश कर रहे थे कि जिस जमीन पर अतिक्रमण हटाने की कोशिश प्रशासन कर रहा है उसके बारे में नगर निगम ने पहले ही शपथ पत्र दे चुका है.

प्रशासनिक अधिकारियों ने लिया यू-टर्न
प्रशासन को अधिवक्ता का व्यवहार नगवार गुजरा और उसे हिरासत में ले लिया गया. यही नहीं सचिवालय थाने में अधिवक्ता सुमित शेखर के खिलाफ सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने के आरोप में आईपीसी की धारा 147, 341, 323, 353, 332 और 504 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया. लेकिन जैसे ही इस मामले की जानकारी पटना हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ताओं को हुई तो उन्होंने मामले को तूल दिया और बात उच्च न्यायायिक पदाधिकारियों तक पहुंच गई. इसके बाद जब पटना हाई कोर्ट से जुड़े पदाधिकारियों का दबाव बढ़ा तब जाकर नगर निगम और जिला प्रशासन के अधिकारियों ने यू-टर्न ले लिया.

मजिस्ट्रेट ने लिखा माफीनामा
हाई प्रोफाइल ड्रामे के बाद मजिस्ट्रेट शंभू नाथ ने माफीनामा दिया. शंभूनाथ ने अपने माफीनामा के पत्र में कहा कि घटनास्थल पर बहुत संख्या में भीड़ इकट्ठी थी और अतिक्रमण हटाने के दौरान काफी धक्का-मुक्की हुई थी. इसी कारण किसी के कहने पर मैंने ऊपर वर्णित अभियुक्त का नाम प्राथमिकी में दे दिया. बाद में मुझे पता चला कि वर्णित व्यक्ति हाईकोर्ट में अधिवक्ता है तथा अतिक्रमण अभियान से उनका कोई लेना देना नहीं है और न ही उन्होंने किसी प्रकार की कोई बाधा उत्पन्न की थी.

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माफिनामा

कई सवाल खड़ा करता है ये कार्रवाई
पहले एफआईआर और फिर माफीनामे के पत्र से कई सवाल खड़े हो रहे हैं. अब सवाल यह उठता है कि जब पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता कानूनी पक्ष पर बात कर रहे थे तो उन्हें हिरासत में क्यों लिया गया ? अगर हिरासत में इस आरोप में लिया गया कि वह सरकारी कार्य में बाधा पहुंचा रहे थे तो उन्हें किन परिस्थितियों में वापस लिया गया ?

patna
एफआईआर पत्र

सरकारी पदाधिकारी के खिलाफ हो सकती है कार्रवाई
पटना उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता नरेश दीक्षित ने कहा कि अतिक्रमण हटाओ अभियान के दौरान अधिकारियों ने नियमों का उल्लंघन किया है और ऐसे में जिन अधिकारियों ने नियम कानून को ताक पर रखा है उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए.
कानून के जानकार बताते हैं कि सरकारी पदाधिकारी अगर ऐसी गलती करता है तो उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 182 और 211 के तहत कार्रवाई हो सकती है और इस धारा के तहत अगर दोष सिद्धि हो जाती है तो 2 साल तक की सजा मुकर्रर हो सकती है.

पटना: राजधानी पटना को स्मार्ट बनाने के लिए युद्ध स्तर पर अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया जा रहा है. इस दौरान अधिकारियों की ओर से जमकर मनमानी की बात भी सामने आ रही है. ऐसा ही एक मामला 18 अगस्त को हुआ जब अतिक्रमण हटाने के दौरान पटना हाईकोर्ट के वकील सुमित शेखर पांडे को सरकारी कार्य में बाधा डालने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया. हालांकि जब मामले ने तूल पकड़ा तो प्रशासन बैकफुट पर आया और माफीनामा भी लिखा.

संवाददाता रंजीत कुमार की रिपोर्ट

दरअसल, 18 अगस्त को अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत पटना के प्रमंडलीय आयुक्त आनंद किशोर पूरी टीम के साथ पटना सचिवालय पहुंचे. अभियान के दौरान पटना हाईकोर्ट के अधिवक्ता सुमित शेखर पांडे वहां पहुंचे और अधिकारियों को कानूनी पक्ष बताने की कोशिश की. अधिवक्ता सुमित शेखर पांडे कमिश्नर आनंद किशोर सहित तमाम पदाधिकारियों को यह समझाने की कोशिश कर रहे थे कि जिस जमीन पर अतिक्रमण हटाने की कोशिश प्रशासन कर रहा है उसके बारे में नगर निगम ने पहले ही शपथ पत्र दे चुका है.

प्रशासनिक अधिकारियों ने लिया यू-टर्न
प्रशासन को अधिवक्ता का व्यवहार नगवार गुजरा और उसे हिरासत में ले लिया गया. यही नहीं सचिवालय थाने में अधिवक्ता सुमित शेखर के खिलाफ सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने के आरोप में आईपीसी की धारा 147, 341, 323, 353, 332 और 504 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया. लेकिन जैसे ही इस मामले की जानकारी पटना हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ताओं को हुई तो उन्होंने मामले को तूल दिया और बात उच्च न्यायायिक पदाधिकारियों तक पहुंच गई. इसके बाद जब पटना हाई कोर्ट से जुड़े पदाधिकारियों का दबाव बढ़ा तब जाकर नगर निगम और जिला प्रशासन के अधिकारियों ने यू-टर्न ले लिया.

मजिस्ट्रेट ने लिखा माफीनामा
हाई प्रोफाइल ड्रामे के बाद मजिस्ट्रेट शंभू नाथ ने माफीनामा दिया. शंभूनाथ ने अपने माफीनामा के पत्र में कहा कि घटनास्थल पर बहुत संख्या में भीड़ इकट्ठी थी और अतिक्रमण हटाने के दौरान काफी धक्का-मुक्की हुई थी. इसी कारण किसी के कहने पर मैंने ऊपर वर्णित अभियुक्त का नाम प्राथमिकी में दे दिया. बाद में मुझे पता चला कि वर्णित व्यक्ति हाईकोर्ट में अधिवक्ता है तथा अतिक्रमण अभियान से उनका कोई लेना देना नहीं है और न ही उन्होंने किसी प्रकार की कोई बाधा उत्पन्न की थी.

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माफिनामा

कई सवाल खड़ा करता है ये कार्रवाई
पहले एफआईआर और फिर माफीनामे के पत्र से कई सवाल खड़े हो रहे हैं. अब सवाल यह उठता है कि जब पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता कानूनी पक्ष पर बात कर रहे थे तो उन्हें हिरासत में क्यों लिया गया ? अगर हिरासत में इस आरोप में लिया गया कि वह सरकारी कार्य में बाधा पहुंचा रहे थे तो उन्हें किन परिस्थितियों में वापस लिया गया ?

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एफआईआर पत्र

सरकारी पदाधिकारी के खिलाफ हो सकती है कार्रवाई
पटना उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता नरेश दीक्षित ने कहा कि अतिक्रमण हटाओ अभियान के दौरान अधिकारियों ने नियमों का उल्लंघन किया है और ऐसे में जिन अधिकारियों ने नियम कानून को ताक पर रखा है उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए.
कानून के जानकार बताते हैं कि सरकारी पदाधिकारी अगर ऐसी गलती करता है तो उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 182 और 211 के तहत कार्रवाई हो सकती है और इस धारा के तहत अगर दोष सिद्धि हो जाती है तो 2 साल तक की सजा मुकर्रर हो सकती है.

Intro:राजधानी पटना को स्मार्ट बनाने के लिए युद्ध स्तर पर अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया जा रहा है अतिक्रमण हटाओ के नाम पर अधिकारी जमकर मनमानी भी कर रहे हैं लोगों के कानूनी पक्ष मजबूत होने के बावजूद उनके दुकान या मकान तोड़ दिए जा रहे हैं पटना कमिश्नर के नेतृत्व में चल रहा है अतिक्रमण अभियान के दौरान अधिवक्ता को हिरासत में लेना महंगा पड़ा न्यायिक पदाधिकारियों के दबाव पड़े तब प्रशासन ने यू-टर्न लिया ।


Body:18 अगस्त को अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत पटना के प्रमंडल आयुक्त आनंद किशोर पूरी टीम के साथ पटना सचिवालय पहुंचे जहां अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया जाना था सचिवालय से अभियान को शुरू किया गया अभियान के दौरान एक पक्ष के वकील वहां मौजूद हुए और कानूनी पक्ष बताने की कोशिश की पटना हाईकोर्ट के अधिवक्ता सुमित शेखर पांडे ने कमिश्नर आनंद किशोर सहित तमाम पदाधिकारियों को यह समझाने की कोशिश कर रहे थे कि जिस जमीन पर अतिक्रमण हटाने की कोशिश प्रशासन कर रही है उसके बारे में नगर निगम ने पहले ही शपथ पत्र दिया हुआ है प्रशासन को अधिवक्ता का व्यवहार नागवार गुजरा और उसे हिरासत में ले लिया गया यही नहीं सचिवालय थाने में अधिवक्ता सुमित शेखर के खिलाफ सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने के आरोप में हिरासत में ले लिया गया सुमित शेखर पांडे के खिलाफ 147 341 323 353 332 और 504 भारतीय दंड संहिता की धारा के तहत मुकदमा दर्ज किया गया ।


Conclusion:जैसे ही इस मामले की जानकारी पटना हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ताओं को मिली उन्होंने मामले को तूल दे दिया और बात उच्च न्यायिक पदाधिकारियों तक पहुंचाई गई जब पटना हाई कोर्ट से जुड़े पदाधिकारियों का दबाव बढ़ा तब जाकर अधिकारियों की हैकड़ी नरम पड़े ।
हाई प्रोफाइल ड्रामे के बाद मजिस्ट्रेट शंभू नाथ ने माफीनामा दिया शंभूनाथ में अपने माफी नाम है के पत्र में कहा कि घटनास्थल पर बहुत संख्या में भीड़ इकट्ठा थी और अतिक्रमण हटाने के दौरान काफी धक्का-मुक्की हुई थी इसी कारण किसी के कहने पर मैंने ऊपर वर्णित अभियुक्त के नाम प्राथमिकी में दे दिया बाद में मुझे पता चला कि वर्णित व्यक्ति हाईकोर्ट में अधिवक्ता है तथा अतिक्रमण अभियान से उनका कोई लेना देना नहीं है और ना ही उन्होंने किसी प्रकार का कोई बाधा उत्पन्न किया है ।
पहले f.i.r. और फिर माफीनामें के पत्र से कई सवाल खड़े हो रहे हैं सवाल यह उठता है कि जब पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता कानूनी पक्ष पर बात कर रहे थे तो उन्हें हिरासत में क्यों लिया गया और अगर हिरासत में इस आरोप में लिया गया कि वह सरकारी कार्य में बाधा पहुंचा रहे थे तो उसे किन परिस्थितियों में वापस लिया गया ।
तस्वीर साफ है कि या तो एफ आई आर गलत तरीके से दुर्भावना से प्रेरित होकर कराया था या फिर माफीनामा किसी के दबाव में लिखा गया पटना उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता नरेश दीक्षित ने कहा है कि अतिक्रमण हटाओ अभियान के दौरान अधिकारियों ने नियमों का उल्लंघन किया है और ऐसे में जिन अधिकारियों ने नियम कानून को ताक पर रखा है उनके खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए ।
कानून के जानकार बताते हैं कि सरकारी पदाधिकारी अगर ऐसी गलती करता है तो उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 182 और 211 के तहत कार्रवाई हो सकती है और इस धारा के तहत अगर दोष सिद्धि हो जाती है तो 2 साल तक की सजा मुकर्रर है। सूचक संभूनाथ ने कहा कि मैंने किसी के कहने पर सुमित शेखर पांडे का नाम प्राथमिकी में दे दिया सवाल यह भी उठता है कि आखिर वह कौन से पदाधिकारी हैं जिसके कहने पर प्राथमिकी में अधिवक्ता का नाम दिया गया
Last Updated : Aug 21, 2019, 12:12 PM IST
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