पटना: बिहार सरकार के कारण पटना नगर निगम लंबे समय से घाटे में चल रहा है. शहर का विकास साफ-सफाई से लेकर सौन्दर्यीकरण के लिए निगम पैसे का मुहताज है. निगम को हर काम के लिए सरकार के आगे हाथ फैलाना पड़ता है. नगर निगम के बैठक के दौरान सशक्त समिति के सदस्य डॉ. आशीष सिन्हा ने सरकार पर असहयोग करने का आरोप लगाया है.
2011 के जनगणना के अनुसार 17 लाख आवादी वाला यह शहर 17 किलोमीटर लंबा और 8 किलोमीटर चौड़ा है. लेकिन निगम स्वंतत्र संस्था होने के बाद भी अपना खर्च नहीं निकाल पा रहा है. निगम में आय के स्त्रोत को लेकर अधिकारी और जनप्रतिनिधि लगातार जूझ रहे हैं. वहीं, जनप्रतिनिधि सरकार पर निगम में लगातार हस्तक्षेप का आरोप लगा रहे हैं. निगम के अस्थाई सदस्यों का कहना है कि उनके प्रपोजल को सरकार रिजेक्ट कर देती है. ऐसे हालात में निगम अपना आय कैसे बढ़ाएं.
निगम के मत्थे सिर्फ विफलता
जनप्रतिनिधियों के मुताबिक सरकार की तरफ से राशि लेटलतीफ नियम और शर्तों के साथ कटौती करके मिलता है. लेकिन विफलता के समय निगम के माथे सारी विफलता मढ़ दी जाती है. हालांकि पटना नगर निगम आय बढ़ाने के लिए कई तरह की योजना लेकर आई है. जिसमें मल्टीप्लेक्स, मार्केट कॉम्पलेक्स, होटल और होर्डिंग से होने वाली आय से निगम को आर्थिक मदद पहुंचा सकता था लेकिन हर प्रोजेक्ट को बिहार सरकार रिजेक्ट करते गई.
होल्डिंग माफिया से परेशान नगर निगम
शहर में लगने वाले होर्डिंग का हाल भी बुरा है. नगर निगम एक भी वोटिंग का परमिशन नहीं दिया है. लेकिन पूरे शहर में होल्डिंग दिखाई देते हैं. आखिर इसका पैसा कहां जा रहा है यह निगम को भी पता नहीं है. सशक्त समिति के सदस्य डॉ. आशीष सिन्हा का कहना है कि इस पर निगम जब भी कार्रवाई करती है तो होल्डिंग माफिया कोर्ट से स्टे लेकर काम रुकवा देते हैं ऐसी स्थिति में है निगम अपनी अपनी आर्थिक स्थिति कैसे सुधार पाएगी.
कई सालों से नहीं बढ़ा टैक्स
पिछले कई सालों से निगम की तरफ से होल्डिंग टैक्स, नल के जल का टैक्स के अलावा अलावा किसी भी तरह का टैक्स नहीं बढ़ाया गया है. बिहार सरकार के हस्तक्षेप की वजह से निगम अपने मुताबिक शहर के अंदर साफ-सफाई और गलियों में स्ट्रीट लाइट आदि लगाने अभी भी सक्षम नहीं है.