पटना: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने एक न्यायिक अधिकारी के निलंबन आदेश को वापस (Patna HC withdrawn suspension of judge) ले लिया है. अररिया एडीजे शशिकांत राय (Araria ADJ Shashikant Rai) को इस साल फरवरी में निलंबित कर दिया गया था. एडीजे को एक नाबालिग के बलात्कार के मुकदमे को एक दिन के रिकॉर्ड समय में पूरा करने के लिए दंडित किया गया था. हाईकोर्ट ने जज के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई को भी रद्द कर दिया है.
पढ़ें-अररिया दुष्कर्म मामला: पटना HC ने दिया सिविल मिसलेनियस को क्रिमिनल रिट में बदलने का निर्देश
क्या है पूरा मामला : जस्टिस ललित और जस्टिस भट की पीठ ने बिहार के निलंबित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश द्वारा दायर रिट याचिका पर विचार करते आपत्ति जताई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि पटना हाईकोर्ट ने पॉक्सो मामलों में कुछ दिनों के भीतर फैसला करने पर उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू की गई है.
दरअसल, बिहार के अररिया के एडीजे रहे शशिकांत राय को इसी साल फरवरी में निलंबित कर दिया गया था. पॉक्सो स्पेशल कोर्ट में तैनाती के दौरान उन्होंने कई मामलों में स्पीडी ट्रायल किया था. उन्होंने पॉक्सो एक्ट के एक मामले में महज एक दिन की सुनवाई के बाद आरोपी को उम्रकैद की सजा सुना दी थी. इसके अलावा दूसरे मामले में चार दिन की सुनवाई के बाद फांसी की सजा सुनाई थी. मामला संज्ञान में आते ही पटना हाईकोर्ट ने जज शशिकांत राय को निलंबित कर दिया था.
सुप्रीम कोर्ट के पास पहुंचा मामला : इसके बाद, शशिकांत राय ने उच्च न्यायालय द्वारा जारी निलंबन आदेश को चुनौती देते हुए एडवोकेट नितिन सलूजा के माध्यम से शीर्ष अदालत का रुख किया था. जस्टिस ललित और जस्टिस भट की पीठ ने बिहार के निलंबित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश द्वारा दायर रिट याचिका पर विचार करते आपत्ति जताई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि पटना हाईकोर्ट ने पॉक्सो मामलों में कुछ दिनों के भीतर फैसला करने पर उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू की गई है. सुनवाई के दौरान जस्टिस यूयू ललित और एस रविंद्र भट्ट की बेंच ने कहा, जब तक किसी अधिकारी के खिलाफ भ्रष्टाचार जैसा मामला स्पष्ट न हो, तब तक कार्रवाई से बचा जाना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने 8 अगस्त को पटना उच्च न्यायालय से बिहार के एक निलंबित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के खिलाफ पॉक्सो मामलों का फैसला करने के लिए सभी अनुशासनात्मक कार्यवाही को एक दिन के रिकॉर्ड समय में समाप्त करने को कहा था. हाईकोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने शीर्ष अदालत में राय का प्रतिनिधित्व किया. उन्होंने कहा कि उनके मुवक्किल अपने खिलाफ लगे आरोपों को खारिज करते हुए उच्च न्यायालय में बयान देने को तैयार हैं.
बता दें कि शशिकांत राय 2007 में न्यायिक सेवा से जुड़े थे. 2014 में वे सिविल जज और 2018 में जिला जज बनेंच. उन्हें पॉक्सो कोर्ट की जिम्मेदारी मिली, इसके बाद शशिकांत राय ने बच्चों के यौन शोषण से जुड़े कई मामलों में स्पीडी ट्रायल किया और कम से कम समय में आरोपियों को सजा दिलाई.