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पूर्व कानून मंत्री कार्तिकेय कुमार को बड़ी राहत, HC से अग्रिम जमानत याचिका मंजूर - ईटीवी भारत बिहार

कार्तिकेय कुमार की अग्रिम जमानत याचिका मंजूर हो गयी है. पटना हाई कोर्ट ने फैसला सुना दिया है. 14 नवम्बर, 2014 को बिहटा में हुए अपहरण से यह मामला जुड़ा हुआ है. आगे पढ़ें पूरी खबर...

Kartikeya Kumar Bail Plea Etv Bharat
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Published : Nov 9, 2022, 6:39 PM IST

पटना : पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) ने बिहार के पूर्व कानून मंत्री व विधान पार्षद कार्तिकेय कुमार ऊर्फ कार्तिक सिंह को अग्रिम जमानत की याचिका (Kartikeya Kumar Bail Plea) को मंजूर करते हुए बड़ी राहत दी. पटना हाइकोर्ट ने पहले सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा था, जिसे आज सुनाया (Kartikeya Kumar Anticipatory Bail Plea Approved) गया. इस अग्रिम जमानत की याचिका पर जस्टिस सुनील कुमार पंवार ने सुनवाई की थी. ये मामला बिहटा के राजीव रंजन सिंह ऊर्फ राजू सिंह के अपहरण से सम्बंधित मामला है. 14 नवम्बर, 2014 को बिहटा पुलिस स्टेशन में थाना कांड संख्या 859/2014 रजिस्टर किया गया था.

ये भी पढ़ें - पूर्व कानून मंत्री कार्तिकेय कुमार फरार, SSP ने कहा- हमें कोर्ट से गैर जमानती वारंट का इंतजार

2014 में अपहरण का मामला : ये मामला दानापुर के जुड़ीशियल मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास, अजय कुमार के समक्ष सुनवाई हेतु लंबित है. इस मामले में सूचक सचिन कुमार ने बिहटा थाना में 14 नवंबर, 2014 को सूचना दी कि उन्हें टेलिफोन पर ये पता चला है कि उनके चाचा राजीव रंजन सिंह ऊर्फ राजू सिंह का अपहरण हो गया है. अपहर्ता 18 की संख्या में थे,जो पांच गाड़ियों से आये थे. वे राजू को बलपूर्वक ले गए. इसमें ये आरोप लगाया गया कि मोकामा के विधायक अनंत सिंह, बंटू सिंह व अन्य 16 व्यक्तियों ने इसे अंजाम दिया. इससे पहले भी दस करोड़ रुपए की फिरौती मांगे जाने का आरोप लगाया गया था, जिसकी सूचना कृष्णापुरी थाने को दी गई थी.

दलील में क्या कहा गया : याचिकाकर्ता ने अपनी अग्रिम जमानत की याचिका में कोर्ट को बताया है कि उनके विरुद्ध जो अन्य आपराधिक मामले हैं, उनमें वे जमानत पर है. पटना हाईकोर्ट में 2017 में अग्रिम जमानत की याचिका दायर की थी, लेकिन उसे 16 फरवरी, 2017 को कोर्ट ने नामंजूर कर दिया. उसके बाद उन्होंने अग्रिम जमानत की कोई याचिका पटना हाइकोर्ट में नहीं दायर की. उन्होंने अपनी अग्रिम जमानत की याचिका में ये बताया है कि प्राथमिकी में उनका नाम नहीं था. साथ ही पीड़ित और सूचक ने उनका नाम इस घटना के सम्बन्ध में नहीं लिया था. उन्होंने बताया कि घटना के दिन 14 नवंबर, 2014 को वे सरकारी स्कूल में अपनी ड्यूटी में थे. उनके हस्ताक्षर भी उपस्थित रजिस्टर में अंकित है.

पटना : पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) ने बिहार के पूर्व कानून मंत्री व विधान पार्षद कार्तिकेय कुमार ऊर्फ कार्तिक सिंह को अग्रिम जमानत की याचिका (Kartikeya Kumar Bail Plea) को मंजूर करते हुए बड़ी राहत दी. पटना हाइकोर्ट ने पहले सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा था, जिसे आज सुनाया (Kartikeya Kumar Anticipatory Bail Plea Approved) गया. इस अग्रिम जमानत की याचिका पर जस्टिस सुनील कुमार पंवार ने सुनवाई की थी. ये मामला बिहटा के राजीव रंजन सिंह ऊर्फ राजू सिंह के अपहरण से सम्बंधित मामला है. 14 नवम्बर, 2014 को बिहटा पुलिस स्टेशन में थाना कांड संख्या 859/2014 रजिस्टर किया गया था.

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2014 में अपहरण का मामला : ये मामला दानापुर के जुड़ीशियल मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास, अजय कुमार के समक्ष सुनवाई हेतु लंबित है. इस मामले में सूचक सचिन कुमार ने बिहटा थाना में 14 नवंबर, 2014 को सूचना दी कि उन्हें टेलिफोन पर ये पता चला है कि उनके चाचा राजीव रंजन सिंह ऊर्फ राजू सिंह का अपहरण हो गया है. अपहर्ता 18 की संख्या में थे,जो पांच गाड़ियों से आये थे. वे राजू को बलपूर्वक ले गए. इसमें ये आरोप लगाया गया कि मोकामा के विधायक अनंत सिंह, बंटू सिंह व अन्य 16 व्यक्तियों ने इसे अंजाम दिया. इससे पहले भी दस करोड़ रुपए की फिरौती मांगे जाने का आरोप लगाया गया था, जिसकी सूचना कृष्णापुरी थाने को दी गई थी.

दलील में क्या कहा गया : याचिकाकर्ता ने अपनी अग्रिम जमानत की याचिका में कोर्ट को बताया है कि उनके विरुद्ध जो अन्य आपराधिक मामले हैं, उनमें वे जमानत पर है. पटना हाईकोर्ट में 2017 में अग्रिम जमानत की याचिका दायर की थी, लेकिन उसे 16 फरवरी, 2017 को कोर्ट ने नामंजूर कर दिया. उसके बाद उन्होंने अग्रिम जमानत की कोई याचिका पटना हाइकोर्ट में नहीं दायर की. उन्होंने अपनी अग्रिम जमानत की याचिका में ये बताया है कि प्राथमिकी में उनका नाम नहीं था. साथ ही पीड़ित और सूचक ने उनका नाम इस घटना के सम्बन्ध में नहीं लिया था. उन्होंने बताया कि घटना के दिन 14 नवंबर, 2014 को वे सरकारी स्कूल में अपनी ड्यूटी में थे. उनके हस्ताक्षर भी उपस्थित रजिस्टर में अंकित है.

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