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हाईकोर्ट ने थैलेसीमिया के इलाज पर सरकार की कार्रवाई को बताया संतोषजनक, जनहित याचिका निष्पादित

पटना हाईकोर्ट ने पूर्णियां और मुजफ्फरपुर जिले समेत राज्य के अन्य जिलों में थैलेसीमिया के रोगियों को खून, आवश्यक दवाएं व रेफ़रल सुविधा उपलब्ध कराने के मामले में राज्य सरकार की कार्रवाई पर संतोष जाहिर कर जनहित याचिका निष्पादित कर दिया. पढ़ें पूरी खबर...

पटना HC ने थैलेसीमिया के इलाज पर बिहार के कार्य को लेकर संतोष किया जाहिर
पटना HC ने थैलेसीमिया के इलाज पर बिहार के कार्य को लेकर संतोष किया जाहिर
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Published : Nov 1, 2021, 9:35 PM IST

पटना: बिहार के पूर्णियां और मुजफ्फरपुर जिले समेत राज्य के अन्य जिलों में थैलेसीमिया (Thalassemia treatment) के रोगियों को खून, आवश्यक दवाएं व रेफ़रल सुविधा उपलब्ध कराने के मामले में बिहार सरकार की कार्रवाई पर पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने संतोष जाहिर किया. चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने अमित कुमार अग्रवाल व अन्य की जनहित याचिका पर सुनवाई करने के बाद निष्पादित कर दिया.

इसे भी पढ़ें : पटना हाईकोर्ट ने खारिज की वकील संतोष मिश्रा की जमानत याचिका, 10.5 लाख रुपये गबन का है मामला

याचिकाकर्ता के वकील दीपक कुमार सिंह का कहना था कि करोना के संक्रमण के दौरान इन जिलों में थैलेसीमिया की वजह से मृत्यु व बीमारी की रिपोर्ट मिली है.अतः उन्हें तत्काल चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराने की जरूरत थी. याचिकाकर्ता ने बताया कि राज्य भर के जिला अस्पतालों में इस बीमारी की दवाएं उपलब्ध करवाई जानी चाहिए, ताकि लोगों को इसके लिए पटना नहीं आना पड़े. ब्लड व उपलब्ध चिकित्सा सुविधाओं के वर्तमान स्थिति का आकलन करने को लेकर एक कमेटी बनाने की मांग की गई थी. इसमें सीनियर मेडिकल ऑफिसर व सिविल सोसाइटी के सदस्यों को भी शामिल किया जाना चाहिए.

राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग के हेल्थ सर्विसेज के एडिशनल डायरेक्टर द्वारा पटना हाई कोर्ट में दाखिल हलफनामा में बताया गया है कि राज्य सरकार सक्रिय रूप से मामले को देख रही है. ऐसे मामलों से निपटने को लेकर बुनियादी सुविधाओं को बढ़ाया जा रहा है. इसको लेकर विद्यालयों व समाज में जागरूकता भी चलाया जा रहा है. लैब की स्थापना भी की जा रही है. प्रैग्नेंट महिलाओं व उनके पतियों का स्क्रीनिंग भी की जा रही है, ताकि थैलेसीमिया मेजर और सिकल सेल से प्रभावित बच्चों के जन्म होने से रोका जा सके. जरूरत के मुताबिक राज्य के मेडिकल कॉलेजों में जन्म के पूर्व किये जाने वाले जांच के लिए डायग्नोस्टिक सेंटर की स्थापना समेत अन्य कार्रवाई की जा रही है.

यह भी पढ़ें- पटना हाईकोर्ट ने बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर बिहार यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर को भेजा नोटिस

पटना: बिहार के पूर्णियां और मुजफ्फरपुर जिले समेत राज्य के अन्य जिलों में थैलेसीमिया (Thalassemia treatment) के रोगियों को खून, आवश्यक दवाएं व रेफ़रल सुविधा उपलब्ध कराने के मामले में बिहार सरकार की कार्रवाई पर पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने संतोष जाहिर किया. चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने अमित कुमार अग्रवाल व अन्य की जनहित याचिका पर सुनवाई करने के बाद निष्पादित कर दिया.

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याचिकाकर्ता के वकील दीपक कुमार सिंह का कहना था कि करोना के संक्रमण के दौरान इन जिलों में थैलेसीमिया की वजह से मृत्यु व बीमारी की रिपोर्ट मिली है.अतः उन्हें तत्काल चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराने की जरूरत थी. याचिकाकर्ता ने बताया कि राज्य भर के जिला अस्पतालों में इस बीमारी की दवाएं उपलब्ध करवाई जानी चाहिए, ताकि लोगों को इसके लिए पटना नहीं आना पड़े. ब्लड व उपलब्ध चिकित्सा सुविधाओं के वर्तमान स्थिति का आकलन करने को लेकर एक कमेटी बनाने की मांग की गई थी. इसमें सीनियर मेडिकल ऑफिसर व सिविल सोसाइटी के सदस्यों को भी शामिल किया जाना चाहिए.

राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग के हेल्थ सर्विसेज के एडिशनल डायरेक्टर द्वारा पटना हाई कोर्ट में दाखिल हलफनामा में बताया गया है कि राज्य सरकार सक्रिय रूप से मामले को देख रही है. ऐसे मामलों से निपटने को लेकर बुनियादी सुविधाओं को बढ़ाया जा रहा है. इसको लेकर विद्यालयों व समाज में जागरूकता भी चलाया जा रहा है. लैब की स्थापना भी की जा रही है. प्रैग्नेंट महिलाओं व उनके पतियों का स्क्रीनिंग भी की जा रही है, ताकि थैलेसीमिया मेजर और सिकल सेल से प्रभावित बच्चों के जन्म होने से रोका जा सके. जरूरत के मुताबिक राज्य के मेडिकल कॉलेजों में जन्म के पूर्व किये जाने वाले जांच के लिए डायग्नोस्टिक सेंटर की स्थापना समेत अन्य कार्रवाई की जा रही है.

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