पटनाः बिहार की पटना हाइकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में एक नाबालिग लड़की की कस्टडी उसके पति को देने से इंकार कर दिया है. जस्टिस पीबी बजनथ्री की खंडपीठ ने उसके पति नीतीश कुमार की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए ये महत्वपूर्ण फैसला सुनाया.
राजकीय महिला केयर होम में रहेगी लड़कीः कोर्ट ने इस आधार पर उस लड़की की कस्टडी उसके पति को देने से इंकार किया कि वह नाबालिग है और उसकी उम्र 18 वर्ष से कम है. कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया कि जब तक लड़की बालिग नहीं हो जाती, वह राजकीय महिला केयर होम में रहेगी.
नवजात शिशु का खर्चा देने का निर्देशः इसके साथ ही कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश लड़की के पति नीतीश कुमार को दिया है. कोर्ट ने नवजात शिशु की देखभाल के लिए उसे एक बैंक खाता खोलने को कहा है. साथ ही समय-समय पर उस खाते में पर्याप्त धनराशि डालने का भी आदेश दिया.
लड़की ने बताया जान का खतराः इस मामले में लड़की ने अपने माता पिता के साथ जाने से इंकार कर दिया. उसने अपने माता पिता की ओर से उसे और उसके नवजात शिशु की जान को खतरा बताया. ऐसी स्थिति में कोर्ट ने लड़की को बालिग होने तक राजकीय महिला केयर होम में रखे जाने का निर्देश दिया.
पिता द्वारा दायर मामले पर भी सुनवाईः कोर्ट ने लड़की के पिता द्वारा दायर मामले पर भी गौर किया. जिसमें लड़की ने स्पष्ट किया कि उसने अपनी इच्छा से याचिकाकर्ता नीतिश कुमार से शादी की थी. साथ ही उसकी सहमति से बच्चे को जन्म दिया.
लड़की की शादी के लिए कानूनी प्रावधानः भारत में नाबालिग लड़की की शादी करना कानूनी जुर्म की श्रेणी में आता है. बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के मुताबिक शादी के लिए एक लड़की की उम्र 18 साल थी, जिसे भारत सरकार ने बढ़ाकर अब 21 साल कर दिया है. यानी 21 साल से पहले कोई भी लड़की शादी के लिए बालिग नहीं मानी जाएगी. अगर इससे कम उम्र में लड़की की शादी कराई जाती है, तो इसके लिए क़ानून में सज़ा का प्रावधान है. बाल विवाह को रोकने के लिए भारत में आजादी से पहले से ही कानून है. पहला बाल विवाह निरोधक अधिनियम 1929 में बना था.
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