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पटना हाईकोर्ट का आदेश, 'पंचायत प्रतिनिधियों को प्रतिदिन कोरोना से हुई मौतों का आंकड़ा मृत्यु निबंधकों को सौंपना होगा'

पटना उच्च न्यायालय ने अपनी सुनवाई में कोरोना की लड़ाई में पंचायत प्रतिनिधियों को शामिल करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि जिस पंचायत प्रतिनिधि ने कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया. उसे कर्तव्यहीनता के आधार पर पद से हटा दिया जाएगा.

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Published : May 15, 2021, 2:12 PM IST

पटना: पटना हाईकोर्ट में कोरोना मामले को लेकर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मौतों के आंकड़ों के सही संकलन की जिम्मेदारी पंचायत प्रतिनिधियों को दी है. चीफ जस्टिस संजय करोल व जस्टिस एस. कुमार की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि सभी पंचायत प्रतिनिधि कोरोना से हुई मौतों की सही जानकारी 24 घंटे के भीतर मृत्यु निबंधकों को दें. ताकि कोरोना से हो रही मौतों का सही आंकड़े का पता चल सके.

यह भी पढ़ें: कोविड हॉस्पिटल का हाल तो देखिये, बेड खाली पर मरीजों की नहीं हो रही भर्ती

आदेश का पालन नहीं करने पर कार्रवाई
कोर्ट ने सख्त आदेश देते हुए कहा कि जिस जनप्रतिनिधि ने कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया. उसे कर्तव्यहीनता के आधार पर पद से हटा दिया जाएगा. चीफ जस्टिस की खंडपीठ ने कहा कि गांव-गांव तक तभी टेस्टिंग, ट्रेकिंग और ट्रीटमेंट संभव होगा, जब कोरोना से लड़ाई की मुहिम में पंचायत प्रतिनिधियों को शामिल किया जाएगा. इसलिए सभी मुखिया, प्रमुख व अध्यक्ष को इसमें कर्तव्य का पालन करने का आदेश दिया गया है.

यह भी पढ़ें: अश्विनी चौबे पुराने एंबुलेंस पर नया स्टिकर चिपकाकर कर रहे उद्घाटन

अगली सुनवाई में कोर्ट लेगा काम का ब्यौरा
हाईकोर्ट ने कहा कि कोर्ट के निर्देश का अुनपालन किस प्रकार किया गया, इसकी जानकारी अगली सुनवाई में लेगा. चीफ जस्टिस ने सुनवाई के दौरान कहा कि पूरा प्रदेश मेडिकल इमरजेंसी के दौर से गुजर रहा है. 2011 की जनगणना के हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि इस राज्य की 90 फीसदी जनता ग्रामीण इलाकों में बसती है और ऐसी बात नहीं कि कोरोना सिर्फ शहरी लोगों को ही होता है.

इसलिए सरकार इन आंकड़ों को एकत्रित कर ही गांवों में मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर सकती है. ताकि राज्य कोरोना के तीसरे वेव से लड़ने के लिए तैयार रहे.

यह भी पढ़ें: गंगा में लाशों का अंबार मामला: पटना HC ने सरकार से किया जवाब-तलब

पटना: पटना हाईकोर्ट में कोरोना मामले को लेकर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मौतों के आंकड़ों के सही संकलन की जिम्मेदारी पंचायत प्रतिनिधियों को दी है. चीफ जस्टिस संजय करोल व जस्टिस एस. कुमार की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि सभी पंचायत प्रतिनिधि कोरोना से हुई मौतों की सही जानकारी 24 घंटे के भीतर मृत्यु निबंधकों को दें. ताकि कोरोना से हो रही मौतों का सही आंकड़े का पता चल सके.

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आदेश का पालन नहीं करने पर कार्रवाई
कोर्ट ने सख्त आदेश देते हुए कहा कि जिस जनप्रतिनिधि ने कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया. उसे कर्तव्यहीनता के आधार पर पद से हटा दिया जाएगा. चीफ जस्टिस की खंडपीठ ने कहा कि गांव-गांव तक तभी टेस्टिंग, ट्रेकिंग और ट्रीटमेंट संभव होगा, जब कोरोना से लड़ाई की मुहिम में पंचायत प्रतिनिधियों को शामिल किया जाएगा. इसलिए सभी मुखिया, प्रमुख व अध्यक्ष को इसमें कर्तव्य का पालन करने का आदेश दिया गया है.

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अगली सुनवाई में कोर्ट लेगा काम का ब्यौरा
हाईकोर्ट ने कहा कि कोर्ट के निर्देश का अुनपालन किस प्रकार किया गया, इसकी जानकारी अगली सुनवाई में लेगा. चीफ जस्टिस ने सुनवाई के दौरान कहा कि पूरा प्रदेश मेडिकल इमरजेंसी के दौर से गुजर रहा है. 2011 की जनगणना के हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि इस राज्य की 90 फीसदी जनता ग्रामीण इलाकों में बसती है और ऐसी बात नहीं कि कोरोना सिर्फ शहरी लोगों को ही होता है.

इसलिए सरकार इन आंकड़ों को एकत्रित कर ही गांवों में मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर सकती है. ताकि राज्य कोरोना के तीसरे वेव से लड़ने के लिए तैयार रहे.

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