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हाईकोर्ट का आदेश: 24 घंटे के अंदर हाजीपुर में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की जमीन कराएं खाली

पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने वैशाली के डीएम और एसपी को बड़ा आदेश दिया है. कोर्ट ने हाजीपुर में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की जमीन 24 घंटे में खाली कराने का आदेश दिया है.

Patna High Court
पटना हाईकोर्ट
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Published : Aug 12, 2021, 9:44 PM IST

पटना: राष्ट्रीय राजमार्गों से संबंधित कई मामलों की सुनवाई और समीक्षा गुरुवार को पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने की. चीफ जस्टिस संजय करोल और जस्टिस एस कुमार की खंडपीठ ने हाजीपुर, मुजफ्फरपुर राजमार्ग के मामले पर सुनवाई की. पिछली सुनवाई के दौरान जिला प्रशासन को यह आदेश दिया गया था कि हाजीपुर स्थित रामाशीष चौक से सभी अवैध कब्जे को खाली कराया जाए.

यह भी पढ़ें- हाईकोर्ट का सरकार को निर्देश, जल्द शुरू करें पटना रिंग रोड का काम

वैशाली के जिलाधिकारी और एसपी द्वारा हाजीपुर बस स्टैंड, टेम्पो स्टैंड आदि खाली नहीं कराया गया. इसके अलावा पुलिस थाना और पुलिस बिल्डिंग भी खाली नहीं कराई गई. इसपर कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए आदेश दिया कि 24 घंटे के अंदर इन सभी अवैध कब्जों को हटाया जाए और भूमि खाली कर राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को उपलब्ध करा दिया जाए ताकि उस पर जल्द से जल्द सड़क निर्माण कार्य शुरू किया जा सके.

इसके अलावा हाईकोर्ट ने मुजफ्फरपुर के जिलाधिकारी को आदेश दिया कि जल्द से जल्द जमीनों का पैसा जमीन मालिकों को भुगतान कर भूमि का कब्जा राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को दिया जाए ताकि मुजफ्फरपुर बाईपास का निर्माण पूरा हो. पटना-बख्तियारपुर राष्ट्रीय उच्च पथ के बारे में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के वरीय अधिवक्ता एस डी संजय ने कोर्ट को बताया कि इस राजमार्ग के किनारे नालों को ढक कर सर्विस लेन का निर्माण करना है. अंडरपास का निर्माण प्राधिकरण को करना है. इसके लिए राज्य सरकार द्वारा राशि भुगतान किया जाना है. इसमें देरी होने की वजह से इस राजमार्ग पर जाम की बड़ी समस्या हो रही है.

खंडपीठ ने बिहार सरकार के अपर महाधिवक्ता अंजनी कुमार सिंह को इस बारे में राज्य सरकार से जानकारी लेकर अगली तिथि को बताने का निर्देश दिया. कोर्ट ने जल्द से जल्द इस कार्य को संपन्न कराने के लिए राज्य सरकार से सहयोग की अपेक्षा की. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि 10 साल पहले इन राजमार्गों के निर्माण की शुरुआत की गई थी, परंतु जमीन अधिग्रहण समय से नहीं किए जाने के कारण अभी तक काम पूरा नहीं हुआ. इससे एक तरफ लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है दूसरी तरफ सड़क निर्माण के खर्च में काफी वृद्धि हो गई है.

खंडपीठ ने कहा कि हमें इन राजमार्गों को बनाने में हो रही देर की समीक्षा करने की कोई इच्छा नहीं है. राज्य सरकार को इसके लिए एक विशेष प्रकोष्ठ खोलना चाहिए, जो इस कार्य की समीक्षा समय-समय पर करके समस्याओं का निदान कर सके. इससे कोर्ट का समय बचेगा. इस मामले पर आगे भी सुनवाई होगी.

यह भी पढ़ें- VIDEO: दियारा की महिलाएं गा रही 'शांत हो जाइं हे गंगा मइया...'

पटना: राष्ट्रीय राजमार्गों से संबंधित कई मामलों की सुनवाई और समीक्षा गुरुवार को पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने की. चीफ जस्टिस संजय करोल और जस्टिस एस कुमार की खंडपीठ ने हाजीपुर, मुजफ्फरपुर राजमार्ग के मामले पर सुनवाई की. पिछली सुनवाई के दौरान जिला प्रशासन को यह आदेश दिया गया था कि हाजीपुर स्थित रामाशीष चौक से सभी अवैध कब्जे को खाली कराया जाए.

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वैशाली के जिलाधिकारी और एसपी द्वारा हाजीपुर बस स्टैंड, टेम्पो स्टैंड आदि खाली नहीं कराया गया. इसके अलावा पुलिस थाना और पुलिस बिल्डिंग भी खाली नहीं कराई गई. इसपर कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए आदेश दिया कि 24 घंटे के अंदर इन सभी अवैध कब्जों को हटाया जाए और भूमि खाली कर राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को उपलब्ध करा दिया जाए ताकि उस पर जल्द से जल्द सड़क निर्माण कार्य शुरू किया जा सके.

इसके अलावा हाईकोर्ट ने मुजफ्फरपुर के जिलाधिकारी को आदेश दिया कि जल्द से जल्द जमीनों का पैसा जमीन मालिकों को भुगतान कर भूमि का कब्जा राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को दिया जाए ताकि मुजफ्फरपुर बाईपास का निर्माण पूरा हो. पटना-बख्तियारपुर राष्ट्रीय उच्च पथ के बारे में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के वरीय अधिवक्ता एस डी संजय ने कोर्ट को बताया कि इस राजमार्ग के किनारे नालों को ढक कर सर्विस लेन का निर्माण करना है. अंडरपास का निर्माण प्राधिकरण को करना है. इसके लिए राज्य सरकार द्वारा राशि भुगतान किया जाना है. इसमें देरी होने की वजह से इस राजमार्ग पर जाम की बड़ी समस्या हो रही है.

खंडपीठ ने बिहार सरकार के अपर महाधिवक्ता अंजनी कुमार सिंह को इस बारे में राज्य सरकार से जानकारी लेकर अगली तिथि को बताने का निर्देश दिया. कोर्ट ने जल्द से जल्द इस कार्य को संपन्न कराने के लिए राज्य सरकार से सहयोग की अपेक्षा की. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि 10 साल पहले इन राजमार्गों के निर्माण की शुरुआत की गई थी, परंतु जमीन अधिग्रहण समय से नहीं किए जाने के कारण अभी तक काम पूरा नहीं हुआ. इससे एक तरफ लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है दूसरी तरफ सड़क निर्माण के खर्च में काफी वृद्धि हो गई है.

खंडपीठ ने कहा कि हमें इन राजमार्गों को बनाने में हो रही देर की समीक्षा करने की कोई इच्छा नहीं है. राज्य सरकार को इसके लिए एक विशेष प्रकोष्ठ खोलना चाहिए, जो इस कार्य की समीक्षा समय-समय पर करके समस्याओं का निदान कर सके. इससे कोर्ट का समय बचेगा. इस मामले पर आगे भी सुनवाई होगी.

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