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पटना हाईकोर्ट में असिस्टेंट प्रोफेसर आरक्षण नियमों के उल्लंघन मामले पर हुई सुनवाई, गुरुवार से है इंटरव्यू

बुधवार को पटना हाईकोर्ट ने राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति में आरक्षण नियमों का उल्लंघन करने के मामले में सुनवाई की. डॉ आमोद प्रबोधी व अन्य की याचिकाओं पर जस्टिस विकास जैन ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को एक सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया है.

Patna High Court news
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Published : Jul 14, 2021, 10:40 PM IST

पटना: बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग (Bihar State University Service Commission) 4648 पदों पर असिस्टेंट प्रोफेसर की बहाली के लिए 15 जुलाई से इंटरव्यू की शुरुआत कर रहा है. सबसे पहले अंगिका विषय का इंटरव्यू निर्धारित है. वहीं बुधवार असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति में आरक्षण नियमों के उल्लंघन मामले में पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) में सुनवाई भी की गई और राज्य सरकार से एक सप्ताह में जवाब मांगा गया है.

यह भी पढ़ें- पटना हाईकोर्ट में केंद्र और राज्य सरकार का जवाब: बांग्लादेश की 3 महिलाओं को वापस भेजने की औपचारिकताएं पूरी

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि इस रिट के परिणाम का असर इस बहाली प्रक्रिया पर पड़ेगा. सीडब्ल्यूजेसी नंबर 8932 ऑफ 2020 (डॉ आमोद प्रबोधि और अन्य बनाम बिहार राज्य और अन्य) की सुनवाई 14 जुलाई को न्यायमूर्ति विकास जैन की पीठ ने की. इस रिट आवेदन के माध्यम से याचिकाकर्ताओं ने बिहार राज्य के विश्वविद्यालयों में सहायक प्रोफेसर की नियमित नियुक्ति के लिए जारी विज्ञापन को चुनौती दी थी.

कल 15 जुलाई, 2021 से नियुक्ति के लिए उम्मीदवारों साक्षात्कार प्रारम्भ होने वाले हैं. वरीय अधिवक्ता पी के शाही ने कोर्ट को बताया कि इस तरह नियुक्तियों में पचास फीसदी से अधिक पदों को आरक्षित नहीं किया जा सकता है. बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग द्वारा जारी विज्ञापन में 70% आरक्षित किया गया है.

यह संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन है. शाही ने कोर्ट को बताया कि सत्तर फीसदी आरक्षण देने का अर्थ है कि संवैधानिक प्रावधानों का इन पदों पर नियुक्ति के लिए निकाले गए विज्ञापन में अनदेखी की गई है. इस मामले पर अगली सुनवाई अगले सप्ताह की जाएगी.

पटना: बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग (Bihar State University Service Commission) 4648 पदों पर असिस्टेंट प्रोफेसर की बहाली के लिए 15 जुलाई से इंटरव्यू की शुरुआत कर रहा है. सबसे पहले अंगिका विषय का इंटरव्यू निर्धारित है. वहीं बुधवार असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति में आरक्षण नियमों के उल्लंघन मामले में पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) में सुनवाई भी की गई और राज्य सरकार से एक सप्ताह में जवाब मांगा गया है.

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सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि इस रिट के परिणाम का असर इस बहाली प्रक्रिया पर पड़ेगा. सीडब्ल्यूजेसी नंबर 8932 ऑफ 2020 (डॉ आमोद प्रबोधि और अन्य बनाम बिहार राज्य और अन्य) की सुनवाई 14 जुलाई को न्यायमूर्ति विकास जैन की पीठ ने की. इस रिट आवेदन के माध्यम से याचिकाकर्ताओं ने बिहार राज्य के विश्वविद्यालयों में सहायक प्रोफेसर की नियमित नियुक्ति के लिए जारी विज्ञापन को चुनौती दी थी.

कल 15 जुलाई, 2021 से नियुक्ति के लिए उम्मीदवारों साक्षात्कार प्रारम्भ होने वाले हैं. वरीय अधिवक्ता पी के शाही ने कोर्ट को बताया कि इस तरह नियुक्तियों में पचास फीसदी से अधिक पदों को आरक्षित नहीं किया जा सकता है. बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग द्वारा जारी विज्ञापन में 70% आरक्षित किया गया है.

यह संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन है. शाही ने कोर्ट को बताया कि सत्तर फीसदी आरक्षण देने का अर्थ है कि संवैधानिक प्रावधानों का इन पदों पर नियुक्ति के लिए निकाले गए विज्ञापन में अनदेखी की गई है. इस मामले पर अगली सुनवाई अगले सप्ताह की जाएगी.

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