पटना : पटना हाईकोर्ट में बिहार में निबंधित और योग्य फार्मासिस्ट के पर्याप्त संख्या नहीं होने के कारण लोगों के स्वास्थ्य पर होने वाले असर के मामले पर सुनवाई 15 सितम्बर 2023 तक टल गयी है. चीफ जस्टिस केवी चंद्रन की खंडपीठ ने इस जनहित याचिका पर सुनवाई की. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था.
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फार्मासिस्ट को लेकर जनहित याचिका पर सुनवाई : ये जनहित याचिका मुकेश कुमार ने दायर की है. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता प्रशान्त सिन्हा ने कोर्ट को बताया था कि डॉक्टरों द्वारा लिखे गए पर्ची पर निबंधित फार्मासिस्टों द्वारा दवा नहीं दी जाती है. उन्होंने कोर्ट को बताया था कि बहुत सारे सरकारी अस्पतालों में अनिबंधित नर्स, एएनएम, क्लर्क ही फार्मासिस्ट का कार्य करते हैं.
'आम आदमी के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़' : प्रशान्त सिन्हा ने कोर्ट को बताया था कि बिना जानकारी और योग्यता के ही ये लोग मरीजों को दवा देते हैं. जबकि ये कार्य निबंधित फार्मासिस्टों द्वारा किया जाना है. उन्होंने कहा कि इस तरह से अधिकारियों द्वारा अनिबंधित नर्स, एएनएम, क्लर्क से काम लेना न केवल सम्बंधित कानून का उल्लंघन है, बल्कि आम आदमी के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है.
फार्मेसी एक्ट का हो रहा उल्लंघन : याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया था कि फार्मेसी एक्ट, 1948 के तहत फार्मेसी से सम्बंधित विभिन्न प्रकार के कार्यों के अलग अलग पदों का सृजन किया जाना चाहिए. लेकिन बिहार सरकार ने इस सम्बन्ध में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है. उन्होंने कोर्ट के समक्ष बहस करते हुए कहा था इससे आम लोगों का स्वास्थ्य और जीवन पर खतरा उत्पन्न हो रहा है.
प्रशान्त सिन्हा ने कोर्ट से अनुरोध किया था कि फार्मेसी एक्ट, 1948 के अंतर्गत बिहार राज्य फार्मेसी कॉउन्सिल के क्रियाकलापों और भूमिका की जांच के लिए एक कमिटी गठित की जाए. ये कमिटी कॉउन्सिल की क्रियाकलापों की जांच करें, क्योंकि ये गलत तरीके से जाली डिग्री देती है. उन्होंने कोर्ट को बताया था कि बिहार राज्य फार्मेसी कॉउन्सिल द्वारा बड़े पैमाने पर फर्जी पंजीकरण किया गया है. राज्य में बड़ी संख्या मे फर्जी फार्मासिस्ट कार्य कर रहे हैं. इस मामले पर अगली सुनवाई 15 सितम्बर, 2023 को जाएगी.