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Patna High Court: एयरपोर्ट के विकास, विस्तार और सुरक्षा पर हुई सुनवाई, केंद्र-राज्य से पूछा क्या है प्रस्ताव?

बिहार में नए एयरपोर्ट को स्थापित करने, विकास, विस्तार और सुरक्षा से जुड़े मामलों पर पटना हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से इस संबंध में क्या प्रस्ताव दिए गए हैं उसके बारे में पूछा है. पढें Patna High Court News -

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Published : Feb 13, 2023, 10:46 PM IST

पटना: बिहार में एयरपोर्ट के स्थापित करने, विकास, विस्तार और सुरक्षा से जुड़े मामलों पर पटना हाइकोर्ट ने सुनवाई की. एसीजे जस्टिस सीएस सिंह की खंडपीठ ने इन मामलो पर सुनवाई की. कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से ये बताने को कहा कि राज्य में नए एयरपोर्ट बनाए जाने के मामले में क्या कार्रवाई की गई. दोनों सरकारों को बताने को कहा गया कि वे बताए कि इनके सम्बन्ध में क्या प्रस्ताव बना रहे हैं.


ये भी पढ़ें- Patna High Court: बिक्रम के प्रस्तावित ट्रामा सेंटर के अटके काम पर HC सख्त, डीएम और स्वास्थ्य सचिव तलब

कोर्ट ने उन्हें ये भी बताने को कहा कि क्या वे बिहार में नए एयरपोर्ट निर्माण के लिए उन्हें चिन्हित करने की कार्रवाई की है. कोर्ट ने ये जानना चाहा कि इन नए एयरपोर्ट के निर्माण के लिए उनकी क्या योजना है. साथ ही कार्यरत एयरपोर्ट पटना, गया, बिहटा और दरभंगा के एयरपोर्ट के विकास, विस्तार और सुरक्षा के लिए केंद्र और राज्य सरकारों की क्या योजना है. बहुत सारी सुविधाओं की कमी है. इन्हें बेहतर बनाने के क्या कार्रवाई की जा रही है?

इससे पूर्व में हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए केंद्र और राज्य सरकार को पटना और बिहटा में एक ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाने पर विचार करने को कहा था. तत्कालीन चीफ संजय करोल की खंडपीठ ने इस सम्बन्ध में अभिजीत कुमार पाण्डेय की जनहित याचिका पर फैसला सुनाया था. ये राज्य में पहला मामला है, जिसमें कोर्ट ने राज्य में एक ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाने पर विचार करने का निर्देश दिया था.

इस मामले पर पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने कोर्ट के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत करते हुए कहा था कि कई अन्य राज्यों में कई ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट है, लेकिन बिहार में एक भी ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट नहीं है. जबकि ये बहुत ही आवश्यक और उपयोगी है. कोर्ट ने केंद्र सरकार की इस दलील को अस्वीकार दिया था कि राज्य में एयरपोर्ट के निर्माण का मामला जनहित के अंतर्गत नहीं है. कोर्ट ने कहा कि छोटे एयरपोर्ट पर बड़े हवाई जहाज कैसे आ सकते हैं?

कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि राज्य की जनता को विकसित और सुरक्षित हवाई यात्रा की सुविधा दिया जाना मौलिक अधिकारों के अंतर्गत आता है. केंद्र और राज्य सरकार इन्हें विकसित और सुरक्षित हवाई यात्रा उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है. इस मामले पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद की जाएगी.

पटना: बिहार में एयरपोर्ट के स्थापित करने, विकास, विस्तार और सुरक्षा से जुड़े मामलों पर पटना हाइकोर्ट ने सुनवाई की. एसीजे जस्टिस सीएस सिंह की खंडपीठ ने इन मामलो पर सुनवाई की. कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से ये बताने को कहा कि राज्य में नए एयरपोर्ट बनाए जाने के मामले में क्या कार्रवाई की गई. दोनों सरकारों को बताने को कहा गया कि वे बताए कि इनके सम्बन्ध में क्या प्रस्ताव बना रहे हैं.


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कोर्ट ने उन्हें ये भी बताने को कहा कि क्या वे बिहार में नए एयरपोर्ट निर्माण के लिए उन्हें चिन्हित करने की कार्रवाई की है. कोर्ट ने ये जानना चाहा कि इन नए एयरपोर्ट के निर्माण के लिए उनकी क्या योजना है. साथ ही कार्यरत एयरपोर्ट पटना, गया, बिहटा और दरभंगा के एयरपोर्ट के विकास, विस्तार और सुरक्षा के लिए केंद्र और राज्य सरकारों की क्या योजना है. बहुत सारी सुविधाओं की कमी है. इन्हें बेहतर बनाने के क्या कार्रवाई की जा रही है?

इससे पूर्व में हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए केंद्र और राज्य सरकार को पटना और बिहटा में एक ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाने पर विचार करने को कहा था. तत्कालीन चीफ संजय करोल की खंडपीठ ने इस सम्बन्ध में अभिजीत कुमार पाण्डेय की जनहित याचिका पर फैसला सुनाया था. ये राज्य में पहला मामला है, जिसमें कोर्ट ने राज्य में एक ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाने पर विचार करने का निर्देश दिया था.

इस मामले पर पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने कोर्ट के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत करते हुए कहा था कि कई अन्य राज्यों में कई ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट है, लेकिन बिहार में एक भी ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट नहीं है. जबकि ये बहुत ही आवश्यक और उपयोगी है. कोर्ट ने केंद्र सरकार की इस दलील को अस्वीकार दिया था कि राज्य में एयरपोर्ट के निर्माण का मामला जनहित के अंतर्गत नहीं है. कोर्ट ने कहा कि छोटे एयरपोर्ट पर बड़े हवाई जहाज कैसे आ सकते हैं?

कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि राज्य की जनता को विकसित और सुरक्षित हवाई यात्रा की सुविधा दिया जाना मौलिक अधिकारों के अंतर्गत आता है. केंद्र और राज्य सरकार इन्हें विकसित और सुरक्षित हवाई यात्रा उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है. इस मामले पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद की जाएगी.

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