पटना : पटना हाइकोर्ट ने बिहार राज्य में मानसिक स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधाओं से सम्बंधित मामले पर सुनवाई की. कोर्ट ने इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को की जा रही कार्रवाईयों का पूरा ब्यौरा तीन सप्ताह में देने का निर्देश दिया है. चीफ जस्टिस केवी चंद्रन की खंडपीठ आकांक्षा मालवीय की जनहित याचिका पर सुनवाई की.
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सरकार द्वारा आधा-अधूरा कार्य किया गया : पिछली सुनवाई में कोर्ट को राज्य सरकार की ओर से बताया गया था कि नयी नियमावली बना ली गयी है. कोर्ट ने हलफनामा दायर करने का निर्देश राज्य सरकार को दिया था. याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता अधिवक्ता आकांक्षा मालवीय ने कोर्ट को बताया था कि कोर्ट ने जो भी आदेश दिया, उस पर राज्य सरकार के द्वारा आधा अधूरा ही कार्य किया गया है.
कमियों का ब्यौरा पेश करने का आदेश : कोर्ट ने पहले की सुनवाई में इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को भी पूरी जानकारी देने को कहा था. कोर्ट ने याचिकाकर्ता को राज्य में मानसिक स्वास्थ्य सेवा में क्या क्या कमियां हैं इसके सम्बन्ध में ब्यौरा देने को कहा था. साथ ही कोर्ट ने इसमें सुधारने के उपाय पर सलाह देने को कहा था.
डिस्ट्रिक्ट मेन्टल हेल्थ कानून बनाया जाए : याचिकाकर्ता की अधिवक्ता आकांक्षा मालवीय ने बताया था कि नेशनल मेन्टल हेल्थ प्रोग्राम के अंतर्गत राज्य के 38 जिलों में डिस्ट्रिक्ट मेन्टल हेल्थ प्रोग्राम चल रहा है. लेकिन इसमें स्टाफ की संख्या नाकाफी है. पूर्व की सुनवाई में उन्होंने बताया था कि राज्य सरकार का दायित्व है कि वह मेन्टल हेल्थ केयर एक्ट के तहत कानून बनाए. साथ ही इसके लिए मूलभूत सुविधाएं और फंड उपलब्ध कराए.
बिहार में मानसिक रोग के अध्ययन के लिए कॉलेज नहीं : कोर्ट को ये भी बताया गया था कि सेन्टर ऑफ एक्सलेंस के तहत हर राज्य में मानसिक रोग के अध्ययन और ईलाज के लिए कॉलेज है. लेकिन बिहार ही एक ऐसा राज्य है, जहां मानसिक रोग के अध्ययन और ईलाज के लिए कोई कॉलेज नहीं है.
तीन सप्ताह बाद अगली सुनवाई : पहले की सुनवाई में याचिकाकर्ता की अधिवक्ता आकांक्षा मालवीय ने कोर्ट को बताया था कि बिहार की आबादी लगभग बारह करोड़ है. उसकी तुलना में राज्य में मानसिक स्वास्थ्य के लिए बुनियादी सुविधाएं नहीं के बराबर है. इस मामले पर अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद की जाएगी.