पटना: राज्य में नेशनल हाईवे के विकास और निर्माण की मॉनिटरिंग (Monitoring Of Development And Construction Of NH) कर रही पटना हाई कोर्ट ने विभिन्न नेशनल हाईवे के मामले पर सुनवाई की. मंगलवार को चीफ जस्टिस संजय करोल (Chief Justice Sanjay Karol) और जस्टिस एस कुमार की खंडपीठ ने इन मामलों की सुनवाई की. इस दौरान एनएच 30 पटना- बख्तियारपुर सेक्शन (बीओटी टॉल) के मामले पर एनएचएआई द्वारा गलत जानकारी देने पर कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जाहिर की.
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सुनवाई के दौरान इस संबंध में एनएचएआई कि ओर से कोर्ट को बताया गया कि इस मामले में कोई मुद्दा नहीं है. एनएचएआई ने कोर्ट को बताया कि सड़क तैयार है और गाड़ियां चल रही है. टॉल भी इकट्ठा किया जा रहा है. वहीं इस पर राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता अंजनी कुमार और वरीय अधिवक्ता पीके शाही ने बताया कि ये झूठ बोल रहे हैं. रोड का फ्लेंक नहीं बना है. इतना ही नहीं फेंसिंग भी नहीं किया गया है.
इसको लेकर जब कोर्ट ने अपनी नाराजगी जताई, तो एनएचएआई ने अपना हलफनामा वापस ले लिया. कोर्ट ने इस मामले में नए सिरे से हलफनामा दाखिल करने को कहा है. एक अन्य एनएच के मामलें में (चकला- बैरगनिया सेक्शन के मामले में) भारत सरकार के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने बताया की आगामी 21 अगस्त तक टेंडर नोटिस का निर्णय हो जाएगा. कोर्ट ने राज्य के विकास आयुक्त को सभी संबंधित जिलाधिकारियों के साथ फौरन बैठक बुलाकर अनुपालन रिपोर्ट देने को कहा है.
रिपोर्ट जिलाधिकारी से नीचे के अधिकारी को नहीं देने को कहा गया है. राजीव रंजन सिंह की याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया है कि इस मामले में मुजफ्फरपुर और वैशाली के जिलाधिकारी ने हलफनामा दायर किया था. वैशाली के डीसीएलआर ने अपने हलफनामा में बताया था कि रामाशीष चौक से बस स्टैंड अस्थायी तौर से हटा दिया गया है. साथ ही इसे अस्थाई जगह पर शिफ्ट कर दिया गया है. इस मामले में कोर्ट ने वैशाली की जिलाधिकारी को इसके स्थायी समाधान को लेकर हलफनामा दायर करने को कहा है.
इस संदर्भ में वैशाली की डीसीएलआर द्वारा जानकारी दी गई थी कि रामाशीष चौक पर जाम का मुख्य कारण अंजानपीर चौक से इसका जुड़ाव है. जहां ओवरब्रिज बनाना है, लेकिन नहीं बन सका है. इतना ही नहीं, अभी एक ही लेन चालू है. दूसरे लेन का काम 12 वर्षों के बाद भी पूरा नहीं किया जा सका है. इस वजह से भारी गाड़ियां नीचे से होकर जाती है. कोर्ट ने एनएचएआई से हलफनामा दाखिल करने को कहा है कि आखिर 12 वर्षों के बाद भी इसका निर्माण कार्य पूरा क्यों नहीं किया जा सका है. इन मामलों पर हाईकोर्ट आगे भी सुनवाई करेगा.
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