पटना: पटना हाइकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए छात्राओं के सभी शिक्षण संस्थाओं (Bad Condition Of Toilets) में बने शौचालयों की दयनीय स्थिति पर पटना राज्य के सभी जिलों के जिला शिक्षा अधिकारी को एक सप्ताह के भीतर पूरा रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है. चीफ जस्टिस संजय करोल (Chief Justice Sanjay Karol) की खंडपीठ ने स्वयम संज्ञान लेते हुए कोर्ट के आदेश की जानकारी अपर मुख्य सचिव सहित सभी जिलों के डीएम और डीईओ को तुरंत देने का निर्देश दिया है.
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स्कूलों शौचालयों के दयनीय स्थिति पर सुनवाई : कोर्ट ने ये जिम्मेदारी सरकारी अधिवक्ता आलोक राही को दिया है. कोर्ट ने शौचालय सहित सैनेटरी नैपकिन के बारे में भी पूरी जानकारी देने का आदेश दिया है. कोर्ट ने एक स्थानीय दैनिक अखबार में छपी खबर पर स्वतः संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका मानते हुए सुनवाई प्रारम्भ की. अधिवक्ता शम्भू शरण सिंह ने कोर्ट को बताया कि पटना जिला के डीईओ की ओर से एक हलफनामा दायर की गई है. इस हलफनामा में शहरी क्षेत्रों के सरकारी गर्ल्स स्कूल के शौचालय का पूरा ब्यौरा दिया गया है.
'नौवीं कक्षा से बारहवीं कक्षा में पढ़ने वाली दो हजार से ज्यादा छात्राओं के लिए सिर्फ दो शौचालय हैं. पटना के महत्वपूर्ण सरकारी स्कूलों का जो चार्ट दिया गया है, उससे साफ पता चलता है कि आखिर बच्चियां बीच में ही पढ़ाई क्यों छोड़ देती हैं?.' - शम्भू शरण सिंह, अधिवक्ता
HC ने अधिकारियों को लगाई कड़ी फटकार : उनका कहना था कि दायर हलफनामा में सैनेटरी नैपकिन के बारे में एक शब्द नहीं लिखा गया है. डीईओ की ओर से शहर के बीस स्कूलों में वर्ग नौवीं से बारहवीं कक्षा में पढ़ने वाली कुल 12 हजार 4 सौ 91 छात्राओं के लिए मात्र 128 शौचालय हैं. आगे कहा कि जब शहरी क्षेत्रों के सरकारी गर्ल्स स्कूल की दशा इस प्रकार की है तो ग्रामीण क्षेत्रों के बारे में कल्पना ही की जा सकती हैं.
मामले में अगली सुनवाई 7 फरवरी को होगी : कोर्ट ने अपने दो पुराने आदेश का हवाला देते हुए राज्य के सभी जिलों के जिला शिक्षा अधिकारी को एक सप्ताह के भीतर सभी सरकारी गर्ल्स स्कूल के शौचालय और सैनेटरी नैपकिन मुहैया कराने से लेकर उसके निष्पादन के बारे में पूरी जानकारी देने का आदेश दिया है. इस मामले पर अगली सुनवाई की तारीख 7 फरवरी, 2023 तय की गई है.