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हाईकोर्ट में 67वीं BPSC परीक्षा में अधिकतम उम्र सीमा में छूट के मामले में सुनवाई पूरी, फैसला सुरक्षित - etv bharat bihar

पटना हाईकोर्ट ने 67वीं बीपीएसपी परीक्षा में अधिकतम उम्र सीमा में छूट दिए जाने के मामले में सुनवाई पूरी हो चुकी है. जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह की एकल पीठ में फैसला सुरक्षित कर लिया है.

फैसला सुरक्षित
हाईकोर्ट में 67वीं BPSC परीक्षा
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Published : Oct 23, 2021, 4:10 PM IST

पटना: हाईकोर्ट ने 67 वीं बीपीएससी परीक्षा ( 67th BPSC Exam) में अधिकतम उम्र सीमा में छूट दिए जाने के मामले पर सुनवाई पूरी कर निर्णय सुरक्षित रख लिया है. जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह की एकलपीठ ने जयदीप अभय व अन्य की ओर से दायर रिट याचिकाओं पर सुनवाई कर फैसला सुरक्षित रखा

ये भी पढ़ें- पटना हाईकोर्ट में आज से अदालती कामकाज शुरू, 7 नवनियुक्त न्यायाधीश भी मामलों पर करेंगे सुनवाई

याचिकाकर्ताओं की ओर से कोर्ट को बताया गया कि राज्य में पिछले 15 वर्षों से लोक सेवा प्रतियोगिता परीक्षा को हर साल लेने की जगह दो तीन वर्षों की कंबाइंड प्रतियोगी परीक्षा आयोजित किया जाता है. हर वर्ष बहाली के लिए परीक्षा आयोजित नहीं होने के कारण अभ्यार्थियों को परीक्षा में बैठने का समान अवसर नहीं मिलता है. क्योंकि प्रतियोगी परीक्षा में शामिल होने की उम्र सीमा खत्म होने के बाद उन्हें परीक्षा में शामिल होने का बराबर अवसर नहीं मिल पाता है.

वहीं बीपीएससी की तरफ से याचिका का विरोध करते हुए अधिवक्ता संजय पाण्डेय ने कोर्ट को बताया गया कम्बाइंड परीक्षा में अधिकतम उम्र में छूट दी जाती रही है. साथ ही उन परीक्षाओं में हर वर्ष की रिक्तियां भी एकसाथ सम्मिलित रहती हैं और अभ्यार्थियों को उचित अवसर मिलता है. हाई कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद इस मामले पर फैसला सुरक्षित कर लिया.

पटना: हाईकोर्ट ने 67 वीं बीपीएससी परीक्षा ( 67th BPSC Exam) में अधिकतम उम्र सीमा में छूट दिए जाने के मामले पर सुनवाई पूरी कर निर्णय सुरक्षित रख लिया है. जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह की एकलपीठ ने जयदीप अभय व अन्य की ओर से दायर रिट याचिकाओं पर सुनवाई कर फैसला सुरक्षित रखा

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याचिकाकर्ताओं की ओर से कोर्ट को बताया गया कि राज्य में पिछले 15 वर्षों से लोक सेवा प्रतियोगिता परीक्षा को हर साल लेने की जगह दो तीन वर्षों की कंबाइंड प्रतियोगी परीक्षा आयोजित किया जाता है. हर वर्ष बहाली के लिए परीक्षा आयोजित नहीं होने के कारण अभ्यार्थियों को परीक्षा में बैठने का समान अवसर नहीं मिलता है. क्योंकि प्रतियोगी परीक्षा में शामिल होने की उम्र सीमा खत्म होने के बाद उन्हें परीक्षा में शामिल होने का बराबर अवसर नहीं मिल पाता है.

वहीं बीपीएससी की तरफ से याचिका का विरोध करते हुए अधिवक्ता संजय पाण्डेय ने कोर्ट को बताया गया कम्बाइंड परीक्षा में अधिकतम उम्र में छूट दी जाती रही है. साथ ही उन परीक्षाओं में हर वर्ष की रिक्तियां भी एकसाथ सम्मिलित रहती हैं और अभ्यार्थियों को उचित अवसर मिलता है. हाई कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद इस मामले पर फैसला सुरक्षित कर लिया.

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