पटना: पीएमसीएच (Patna Medical College and Hospital) के पुनर्निर्माण और इसे सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के रूप में बदलने के लिए दिए गए टेंडर (PMCH Reconstruction Tender) में अनियमितता के आरोप पर पटना हाईकोर्ट में सुनवाई हुई.
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चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने ब्रजेश मिश्रा की जनहित याचिका को निष्पादित करते हुए आदेश दिया कि स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव इस आरोप पर तीन महीने में सुनवाई कर उचित और विस्तृत आदेश पारित करें. याचिकाकर्ता के वकील राजीव कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया कि करीब 5500 करोड़ रुपये के इस ग्लोबल टेंडर का विज्ञापन एक भी विदेशी अखबार में नहीं प्रकाशित हुआ.
टेंडर में सबसे कम बोली लगाने वाली कंपनी के साथ टेंडर खत्म होने के बाद निर्माण प्रोजेक्ट की कीमत को संशोधित किया गया. यह केंद्रीय निगरानी आयोग और बिहार वित्त निगम के नियमों के खिलाफ है. ऐसी गंभीर अनियमितता राजकीय कोष के दुरूपयोग की ओर इंगित करता है. टेंडर 4831.77 करोड़ रुपये का था. एल एन्ड टी को फाइनल 5089.60 करोड़ पर हुआ और उद्घाटन 5540 करोड़ का हुआ.
बता दें कि पीएमसीएच में बहुमंजिली बिल्डिंग का निर्माण होगा. एक छत के नीचे मरीज को सारी चिकित्सा सुविधा उपलब्ध होगी. मरीज को इलाज के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा. यहां हेलिकॉप्टर के भी उतरने की व्यवस्था होगी. इसमें 487 बेड का इमरजेंसी, 765 बेड का आईसीयू, 60 मॉड्यूलर ओटी और 140 इमरजेंसी मरीजों के लिए अलग से रूम होगा.
बिल्डिंग मरीन ड्राइव से जुड़ी होगी. 779600 वर्गफीट में भवन का निर्माण होगा. इसमें पीडियाट्रिक, गायनिक, मेडिसीन, ट्रॉमा सेंटर, जेनेटिक और न्यूरो यूनिट की स्थापना होगी. अस्पताल के भवन को भूकंप रोधी बनाया जायेगा. बिल्डिंग मरीन ड्राइव से जुड़ी होगी.
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