ETV Bharat / state

Patna High Court: 43 साल पुराने हत्याकांड में हाईकोर्ट से सभी दोषी बरी, मधुबनी कोर्ट ने सुनाई थी उम्रकैद की सजा - ETV Bharat Bihar

मधुबनी में हत्या के मामले में 43 साल बाद फैसला आया है. उच्च न्यायालय ने पाया कि अभियोजन इस केस को पूरी तरह से साबित नहीं कर पाया. इसलिए संदेह का लाभ देते हुए निचली अदालत के फैसले को रद्द करते हुए सभी दोषियों को बरी कर दिया.

मधुबनी हत्याकांड में पटना उच्च न्यायालय का फैसला
मधुबनी हत्याकांड में पटना उच्च न्यायालय का फैसला
author img

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Sep 4, 2023, 8:44 PM IST

पटना: बिहार के मधुबनी में 43 साल पुराने हत्याकांड में पटना हाइकोर्ट ने दोषी को बरी कर दिया है. जस्टिस सुधीर सिंह और जस्टिस चंद्र प्रकाश सिंह की खंडपीठ ने रामशीष यादव सहित 6 अपीलार्थियों की अपील को मंजूर करते हुए यह फैसला सुनाया. जिला व सत्र न्यायाधीश ने छह अभियुक्तों को सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी, उनको बरी कर दिया.

ये भी पढ़ें: Patna High Court का दरवाजा खटखटाया तो विधवा को मिला 4.50 लाख का मुआवजा, कोरोना से पति की हो गई थी मौत

मधुबनी हत्याकांड में पटना उच्च न्यायालय का फैसला: हाईकोर्ट ने अपीलार्थियों के वकील अमीश की इस दलील को सही पाया कि इस हत्याकांड की प्राथमिकी में जिन भाला-गड़ासा और फरसा जैसे हथियारों की चर्चा हुई है, उसको पूरे ट्रायल में साबित तक नहीं किया गया. यहां तक कि जो आरोप इन आरोपियों पर तय किया गया था, उसमें दंगा-फसादकर हत्या करने का सिर्फ आरोप लगा लेकिन किस हथियार से हत्या की गयी, वह हथियार नहीं मिला था. पूरे ट्रायल के दौरान अनुसंधान पदाधिकारी की गवाही तक नहीं ली गई थी. ऐसे ट्रायल को टेंटेड करार देते हुए पटना हाई कोर्ट ने इन अभियुक्तों को बरी किया.

मधुबनी कोर्ट से मिली थी सजा: घटना 43 साल पहले की है, जिसमें मधुबनी जिले के अंधराथाड़ी थाना के डुमरा टोली गांव मे जमीन जोतने के विवाद पर फसाद हुआ था. जिसमे अभियुक्त अपीलार्थियों पर यह आरोप था कि उन्होंने लाठी-भाला और गड़ासे से मारकर हरेराम यादव सहित पांच से अधिक लोगों को जख्मी कर दिया. इसमे एक ग्रामीण महंत यादव की मौत हो गई थी. 29 अगस्त 1980 को इस मामले में थाने में प्राथमिकी दर्ज हुई. इस मामले में पुलिस ने जांच के बाद रामाशीष यादव, रामविलास महतो, शिव कुमार महतो, फेकू महतो, ब्रह्मदेव महतो, रामस्वर्थ महतो, नारायण महतो और हरेराम महतो के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया.

पटना हाइकोर्ट से 43 साल बाद आरोपी बरी: मधुबनी के अपर सत्र न्यायाधीश की अदालत ने 1 मार्च 1996 को इन आरोपियों को हत्या की मंशा से फसाद करने और महंत यादव की हत्या करने का दोषी करार देते हुए आजीवन सश्रम कारावास की सजा सुनाई. फैसले के खिलाफ ये अपीलार्थी हाईकोर्ट आए थे. इन सभी अभ्यर्थियों की सजा पर रोक लगाते हुए हाईकोर्ट ने इन्हें जमानत पर रिहाई का आदेश दिया था. अपील के लंबित रहने के दौरान राम स्वार्थ महतो और नारायण महतो की मौत हो गई थी. इसलिए उनके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई को खत्म कर दिया गया.

पटना: बिहार के मधुबनी में 43 साल पुराने हत्याकांड में पटना हाइकोर्ट ने दोषी को बरी कर दिया है. जस्टिस सुधीर सिंह और जस्टिस चंद्र प्रकाश सिंह की खंडपीठ ने रामशीष यादव सहित 6 अपीलार्थियों की अपील को मंजूर करते हुए यह फैसला सुनाया. जिला व सत्र न्यायाधीश ने छह अभियुक्तों को सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी, उनको बरी कर दिया.

ये भी पढ़ें: Patna High Court का दरवाजा खटखटाया तो विधवा को मिला 4.50 लाख का मुआवजा, कोरोना से पति की हो गई थी मौत

मधुबनी हत्याकांड में पटना उच्च न्यायालय का फैसला: हाईकोर्ट ने अपीलार्थियों के वकील अमीश की इस दलील को सही पाया कि इस हत्याकांड की प्राथमिकी में जिन भाला-गड़ासा और फरसा जैसे हथियारों की चर्चा हुई है, उसको पूरे ट्रायल में साबित तक नहीं किया गया. यहां तक कि जो आरोप इन आरोपियों पर तय किया गया था, उसमें दंगा-फसादकर हत्या करने का सिर्फ आरोप लगा लेकिन किस हथियार से हत्या की गयी, वह हथियार नहीं मिला था. पूरे ट्रायल के दौरान अनुसंधान पदाधिकारी की गवाही तक नहीं ली गई थी. ऐसे ट्रायल को टेंटेड करार देते हुए पटना हाई कोर्ट ने इन अभियुक्तों को बरी किया.

मधुबनी कोर्ट से मिली थी सजा: घटना 43 साल पहले की है, जिसमें मधुबनी जिले के अंधराथाड़ी थाना के डुमरा टोली गांव मे जमीन जोतने के विवाद पर फसाद हुआ था. जिसमे अभियुक्त अपीलार्थियों पर यह आरोप था कि उन्होंने लाठी-भाला और गड़ासे से मारकर हरेराम यादव सहित पांच से अधिक लोगों को जख्मी कर दिया. इसमे एक ग्रामीण महंत यादव की मौत हो गई थी. 29 अगस्त 1980 को इस मामले में थाने में प्राथमिकी दर्ज हुई. इस मामले में पुलिस ने जांच के बाद रामाशीष यादव, रामविलास महतो, शिव कुमार महतो, फेकू महतो, ब्रह्मदेव महतो, रामस्वर्थ महतो, नारायण महतो और हरेराम महतो के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया.

पटना हाइकोर्ट से 43 साल बाद आरोपी बरी: मधुबनी के अपर सत्र न्यायाधीश की अदालत ने 1 मार्च 1996 को इन आरोपियों को हत्या की मंशा से फसाद करने और महंत यादव की हत्या करने का दोषी करार देते हुए आजीवन सश्रम कारावास की सजा सुनाई. फैसले के खिलाफ ये अपीलार्थी हाईकोर्ट आए थे. इन सभी अभ्यर्थियों की सजा पर रोक लगाते हुए हाईकोर्ट ने इन्हें जमानत पर रिहाई का आदेश दिया था. अपील के लंबित रहने के दौरान राम स्वार्थ महतो और नारायण महतो की मौत हो गई थी. इसलिए उनके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई को खत्म कर दिया गया.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.