पटना : कोरोना काल में बिहार समेत देशभर में साइबर क्राइम तेजी के साथ बढ़ा है. बिहार के हर थाने में साइबर फ्रॉड से जुड़ा मामला दर्ज है. बावजूद इसके, इन मामलों का रिकवरी रेट 5% से कम है. राजधानी दिल्ली के बाद पटना साइबर क्राइम के मामले में दूसरे नबंर पर है. इस बात की जानकारी खुद आरबीआई की तरफ से दी गई है.
बिहार में साइबर क्राइम को रोकने के लिए कुल 75 साइबर क्राइम डिटेक्टर यूनिट हैं. सबसे ज्यादा पटना जिले में चार यूनिट हैं. इसके बावजूद भी साइबर क्राइम के मामले पटना देश के दूसरे नंबर पर है. गुरुवार को राजधानी पटना में साइबर फ्रॉड से जुड़े 3 नए मामले सामने आए हैं. कदमकुआं थाना क्षेत्र अंतर्गत ज्वेलरी व्यवसाई सुभाष चंद्र खनी के खाते से तीन बार में 52 हजार रुपयों की निकासी कर ली गई.
गायब हो गई पूरी सैलरी
वहीं, कोतवाली थाना अंतर्गत नगर निगम की सुपरवाइजर तारा देवी के 1 महीने की पूरी सैलरी क्लोन एटीएम से गायब कर दी गई. तारा के खाते से 35 हजार 500 रुपये निकाल लिए गए. तीसरा मामला कोतवाली थाना अंतर्गत का ही है. यहां, एक निजी स्कूल के शिक्षकों के खाते से 35 हजार रुपयों की अवैध निकासी कर ली गई. तीनों मामलों में थाने में एफआईआर दर्ज करवाई गई है, पुलिस के अनुसार छानबीन की जा रही है.
ईटीवी भारत की मुहिम : जागते रहो
पीड़ितों ने सुनाया दर्द
राजधानी पटना के अवध कुमार का मोबाइल पिछले एक महीने पहले गिर गया था, जिसमें उनके बैंक से जुड़े डिटेल्स थे. साइबर अपराधियों ने उसका इस्तेमाल कर, उनके खाते से पैसे की गबन कर लिए. अवध कहते हैं कि अब तक पैसे वापस नहीं मिले हैं. पुलिस सिर्फ कार्रवाई की बात कर रही है.
कदमकुआं के दलदली रोड निवासी कपड़ा व्यवसायी नवीन कुमार ने बताया कि उनके अकाउंट से क्लोन एटीएम से अवैध निकासी कर ली गई. बैंक और थाने के चक्कर लगा कर थक चुके हैं. पैसा वापस नहीं मिला है.
क्या कहते हैं आंकड़े
- 1 जुलाई 2019 से 30 जून 2020 के दौरान अनाधिकृत इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर के देश में 19 हजार 652 मामले दर्ज किए गए हैं.
- वहीं, पटना में 392 मामले दर्ज हुए हैं.
- देश की राजधानी दिल्ली में 496 मामले दर्ज हुए हैं.
पुलिस मुख्यालय के सूत्र से मिली जानकारी के अनुसार, हर साल बिहार में हजार से ज्यादा मामले दर्ज होते हैं. इनका रिकवरी रेट बहुत कम है. आर्थिक अपराध नियंत्रण इकाई लगातार लोगों को जागरूक कर रही है.
क्या कहते हैं आर्थिक अपराध नियंत्रण इकाई के एडीजी
आर्थिक अपराध नियंत्रण इकाई के एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि जिन मामलों में बैंक की गलती से साइबर फ्रॉड हुआ और पैसे की निकासी होती है. उन मामलों में बैंकों को चाहिए कि वो अपने उपभोक्ता को पैसे का भुगतान करें, ऐसे मामलों में पैसे मिलने की संभावना रहती है. लेकिन जहां कस्टमर ने ओटीपी बता कर या साइबर ठगों के झांसे में आकर खुद से गलती की होती है, उन मामलों में बैंक का कोई दायित्व नहीं बनता.
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एडीजी ने ठगी के बाद शिकायत कहां दर्ज करवानी चाहिए, इन सभी बिंदुओं पर एक बार फिर से ईटीवी भारत के माध्यम से लोगों को जागरूक किया. वहीं, उन्होंने बताया कि ऐसी समस्या निवारण के लिए भारत सरकार पूरे देश में एक ऐप तैयार कर रही है. उम्मीद है जल्द ही इस ऐप के माध्यम से देश के किसी भी कोने में साइबर क्राइम से पीड़ित लोगों की मदद की जा सकती है.
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जरूर करें ये काम
- वैध वेबसाइट्स पर विजिट करें, इनाम या ऑफर वाली डुप्लीकेट वेबसाइट से बचें.
- फोन चोरी अथवा खो जाने के बाद तुरंत अपना नंबर डिएक्टिवेट करवाएं.
- अपने इमेल का पासवर्ड बदलें, गूगल पे-फोन पे जैसे अकाउंट का पिन जरूर बदलें.
- बैंक से आने वाले फोन कॉल्स पर ध्यान ना दें. कभी किसी को ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) साझा ना करें.
- अज्ञात स्रोत से आए लिंक को कभी क्लिक ना करें.
- सार्वजनिक वाईफाई का प्रयोग करने से बचें.
- सोशल मीडिया अकाउंट का पासवर्ड समय-समय पर बदलते रहें.