पटना: गोलघर पटना की पहचान है, लेकिन आज वही अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. 1786 में बना पटना का गोलघर ऐतिहासिक इमारतों में से एक है. बावजूद इसके रखरखा में लापरवाही बरती जा रही है. पिछले 10 साल से इसके मरम्मत का काम चल रहा है, लेकिन अभी तक रंगाई पुताई नहीं हुई है. बस दीवारों में आई दरारों को भरकर खानापूर्ति कर दी गई है.
गोलघर से जुड़ी है जनभावना
आपको बता दें कि 235 वर्ष पुराने गोलघर का निर्माण राजधानी पटना के गांधी मैदान के पास 20 जुलाई 1786 को हुआ था. महज ढाई साल में ही गोलघर को बनवा दिया गया था. 1770 में आए भयंकर सूखे के दौरान लगभग एक करोड़ लोग भुखमरी का शिकार हुए थे जिसके बाद गोलघर का निर्माण अनाज भंडारण के लिए किया गया था. गोलघर का आकार 125 मीटर और ऊंचाई 29 मीटर इसकी दीवारें 3.6 मीटर मोटी हैं. इसमें एक साथ 140000 टन अनाज रखा जा सकता है.
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ऐसे सहेजें धरोहर?
गोलघर में 145 सीढ़ियां हैं जिनके मरम्मत का कार्य अब तक पूरा नहीं हो पाया है. हैरानी की बात यह है कि बिहार पुरातत्व विभाग में कई अधिकारियों के पद रिक्त हैं और कला संस्कृति विभाग के निदेशक के पास ही पुरातत्व विभाग है. फिर भी काम में तेजी नहीं आई है. एक तरफ जहां सीएम नीतीश कुमार ऐतिहासिक धरोहरों को सहेजने की बातें करते हैं, वहीं दूसरी ओर राजधानी की पहचान 235 साल पुरानी धरोहर गोलघर का मरम्मत कार्य पिछले कई वर्षों से चल रहा है जो अब तक पूरा नहीं हो पाया है.
1 करोड़ 38 लाख में भी नहीं हुई मरम्मत !
गोलघर की मरम्मत के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने बिहार सरकार को एक करोड़ 38 लाख रुपए का बजट दिया था. जिसमें काफी रकम खर्च भी हो गयी. मिली जानकारी के अनुसार कला संस्कृति एवं युवा विभाग ने मरम्मत का काम कर रही आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया को पत्र लिखकर मरम्मत के कार्य पर ऐतराज जताया है. साथ ही इसके लिए टीम का गठन किया है, जो मरम्मत कार्य की जांच करेगी. जांच में जो दोषी होंगे उन पर कार्रवाई की जाएगी.
कला संस्कृति और युवा विभाग ने जताया ASI से ऐतराज
पत्र में यह भी आग्रह किया गया है कि जो काम अधूरा रह गया है उसे जल्द से जल्द पूरा किया जाए ताकि पटना और बिहार वासी फिर से गोलघर पर चढ़ सकें और बिहार की धरोहर भी सुरक्षित रहे. विभाग के निदेशक अनिमेष पराशर ने बताया कि मरम्मत का काम धीमा चल रहा था जिसको लेकर प्रधान सचिव ने ASI के डीसी को पत्र लिखा है और चल रहे कार्य को पूरा करने की बात कही है.
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पर्यटकों में मायूसी
वहीं गोलघर घूमने आए लोगों से जब ईटीवी भारत ने बात की तो उन्होंने बताया कि- 'गोलघर के बारे में काफी सुना था लेकिन सीढ़ियों पर ताला बंद है, और जाने की इजाजत नहीं है. गोलघर के ऊपर न पहुंच पाने से उनमें निराश है'. पर्यटक सरकार से मांग कर रहे हैं कि जल्द से जल्द निर्माण कार्य पूरा हो.
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टूरिस्टों ने उठाए सवाल
वहीं कुछ पटनावासियों ने बताया कि गोलघर बिहार की धरोहर है और इसकी दुर्दशा पर सरकार को ध्यान देना चाहिए. जल्द से जल्द निर्माण कार्य पूरा कर आना चाहिए ताकि हमारा धरोहर सुरक्षित रहे आने वाले समय में लोग इसे देख सके और इसके इतिहास में जान सकें. गोपालगंज से आए एक टूरिस्ट ने बताया कि वह गोलघर को देखने आए थे लेकिन इसकी स्थिति देखकर काफी झटका लगा है. सरकार धरोहर के संरक्षण की बात करती है लेकिन गोलघर की स्थिति काफी दयनीय है. सवाल ये है कि जो गोलघर ढाई साल में तैयार हो सकता है, वो सारे संसाधन रहते हुए भी 10 साल से खंडहर बना क्यों खड़ा है.