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Bihari Sweets: 100 सालों से इस लाई के दीवाने हैं लोग...विदेशों तक पहुंच रही है इसकी मिठास

बिहार की लाई इतनी फेमस है कि 100 सालों से अपनी स्वाद से लोगों को दिवाना बनायी हुई है. इसकी मिठास विदेश तक पहुंच चुकी है. पढ़ें पूरी खबर...

बिहार की लाई
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 15, 2023, 6:06 AM IST

Updated : Oct 15, 2023, 11:46 AM IST

बिहार की लाई

पटनाः बिहार का लिट्टी चोखा तो खूब खाये होंगे. एक बार बिहार की लाई भी खाकर देखिए, दिवाना नहीं हो गए तो फिर कहिएगा. पटना के बाढ़ की फेमस लाई बिहार के नीतीश कुमार जैसे कई हस्ती को पसंद है. राज्यों के अलावा विदेशों में भी इसके स्वाद की खास पहचान है. इसकी मिठास इतनी प्यारी है कि लोग दूर-दूर से लाई का स्वाद लेने के लिए पहुंचते हैं. जब इस लाई को दुकानों में बनाया जाता है तो इसकी खुशबू लोगों को सड़क से खींच लाती है.

यह भी पढ़ेंः Bihari cuisine: हां बाबू ई बिहार का Atom Bomb है.. देखते ही मुंह में आ जाएगा पानी.. 70 साल से स्वाद के दिवाने हैं लोग

बिहार की लाई
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100 सालों से बन रही है लाईः इस लाई को बनाने के पीछे एक दिलचस्प किस्सा भी है. लाई का व्यवसाय करने वाले बताते हैं कि उनके पूर्वजों ने ही इसकी शुरुआत की थी. बाढ़ के चोंदी के रहने वाले गोविंद साह ने बताया लाई बनाने की शुरुआत करीब 100 साल पहले हुई थी. इस 100 सालों में लाई अपने स्वाद से लोगों को दिवाना बनाए हुए है. वर्तमान में इसकी मिठास देश के साथ साथ विदेशों में घुल रही है.

आपदा में अवसर बनी लाईः बाढ़ शहर के व्यवसाय अविनाश कुमार बताते हैं कि वे काफी समय से इसकी दुकान चला रहे हैं. इस लाई को बनाने का इतिहास काफी दिलचस्प है. अविनाश बताते हैं कि 1947 में आजादी के बाद लोगों के पास आर्थिक समस्या आ गई थी. खाने पीने में काफी दिक्कत हो रही थी. खाने पीने की समस्या से निजात पाने के लिए लोगों ने लावा के लाई बनाना शुरू किया. धीरे-धीरे यह लाई लोगों को पसंद आने लगा. इसके बाद क्षेत्र के बहुत लोगों ने इसका व्यवसायी करने लगे. आज के समय में यह एक कुटीर उद्योग बन गया है.

बिहार की लाई
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"100 सालों से इस लाई को बनाया जा रहा है. इलाके के 5 से 7 हजार लोगों को रोजगार मिल रहा है. आजादी के बाद खाने पीने की समस्या हो गई तो लोगों ने इस लाय को बनाया था. तब से यह धीरे धीरे उद्योग का रूप ले लिया है." -अविनाश कुमार, व्यवसायी

इसलिए होती है स्वादिष्टः इस लाय को बनाने में दूध और खोया का प्रयोग किया जाता है, इस कारण इसकी मिठास काफी प्यारी होती है. लाई बनाने वाले कारीगर रत्न कुमार गुप्ता बताते हैं कि लावे पहले भूंजा जाता है. इसके बाद लावा में खोया चीनी की चाशनी, इलाइची, काजू, बादाम और किसमिस मिलाया जाता है. इसके बाद इसे गोल गोलकर रखा जाता है. इतनी सारी समाग्री के कारण इसका स्वाद काफी लाजवाब हो जाता है.

"लाई बनाने के लिए लावा को भूजा जाता है. इसके बाद इसमें खोया चीनी की चाशनी, इलाइची, काजू, बादाम और किसमिस मिलाया जाता है. इस कारण यह काफी स्वादिष्ट होता है." -रत्न कुमार गुप्ता, कारीगर

अन्य राज्यों में बढ़ी है इसकी डिमांडः इस लाई की खासियत यह है कि काफी दिनों तक खराब नहीं होती है. आम लोगों के साथ साथ यह लाई राजनेताओं में भी काफी फेमस है. बिहार के सीएम नीतीश कुमार, राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव खुद इस लाई के दिवाने हैं. अन्य नेता भी पार्टी के कार्यक्रम में लाई का ऑर्डर देते हैं. बिहार के अलावा अन्य राज्यों में बाढ़ की लाई काफी मशहूर है.

बिहार की लाई
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सरकार से अनुदान की मांगः हालांकि लाई इतनी फेमस होने के बाद भी सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है. स्थानीय व्यवसायी का कहना है कि इस लाई के कारण जिले के इलाके के 7 से 7 हजार लोगों को रोजगार मिला हुआ है, लेकिन सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिलती है. व्यसायियों ने सरकार से इसे उद्योग में शामिल करने के साथ साथ अनुदान उपलब्ध कराने की मांग की है ताकि इस क्षेत्र के लोग अपना व्यवसाय को आगे बढ़ा सके.

बिहार की लाई

पटनाः बिहार का लिट्टी चोखा तो खूब खाये होंगे. एक बार बिहार की लाई भी खाकर देखिए, दिवाना नहीं हो गए तो फिर कहिएगा. पटना के बाढ़ की फेमस लाई बिहार के नीतीश कुमार जैसे कई हस्ती को पसंद है. राज्यों के अलावा विदेशों में भी इसके स्वाद की खास पहचान है. इसकी मिठास इतनी प्यारी है कि लोग दूर-दूर से लाई का स्वाद लेने के लिए पहुंचते हैं. जब इस लाई को दुकानों में बनाया जाता है तो इसकी खुशबू लोगों को सड़क से खींच लाती है.

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बिहार की लाई
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100 सालों से बन रही है लाईः इस लाई को बनाने के पीछे एक दिलचस्प किस्सा भी है. लाई का व्यवसाय करने वाले बताते हैं कि उनके पूर्वजों ने ही इसकी शुरुआत की थी. बाढ़ के चोंदी के रहने वाले गोविंद साह ने बताया लाई बनाने की शुरुआत करीब 100 साल पहले हुई थी. इस 100 सालों में लाई अपने स्वाद से लोगों को दिवाना बनाए हुए है. वर्तमान में इसकी मिठास देश के साथ साथ विदेशों में घुल रही है.

आपदा में अवसर बनी लाईः बाढ़ शहर के व्यवसाय अविनाश कुमार बताते हैं कि वे काफी समय से इसकी दुकान चला रहे हैं. इस लाई को बनाने का इतिहास काफी दिलचस्प है. अविनाश बताते हैं कि 1947 में आजादी के बाद लोगों के पास आर्थिक समस्या आ गई थी. खाने पीने में काफी दिक्कत हो रही थी. खाने पीने की समस्या से निजात पाने के लिए लोगों ने लावा के लाई बनाना शुरू किया. धीरे-धीरे यह लाई लोगों को पसंद आने लगा. इसके बाद क्षेत्र के बहुत लोगों ने इसका व्यवसायी करने लगे. आज के समय में यह एक कुटीर उद्योग बन गया है.

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"100 सालों से इस लाई को बनाया जा रहा है. इलाके के 5 से 7 हजार लोगों को रोजगार मिल रहा है. आजादी के बाद खाने पीने की समस्या हो गई तो लोगों ने इस लाय को बनाया था. तब से यह धीरे धीरे उद्योग का रूप ले लिया है." -अविनाश कुमार, व्यवसायी

इसलिए होती है स्वादिष्टः इस लाय को बनाने में दूध और खोया का प्रयोग किया जाता है, इस कारण इसकी मिठास काफी प्यारी होती है. लाई बनाने वाले कारीगर रत्न कुमार गुप्ता बताते हैं कि लावे पहले भूंजा जाता है. इसके बाद लावा में खोया चीनी की चाशनी, इलाइची, काजू, बादाम और किसमिस मिलाया जाता है. इसके बाद इसे गोल गोलकर रखा जाता है. इतनी सारी समाग्री के कारण इसका स्वाद काफी लाजवाब हो जाता है.

"लाई बनाने के लिए लावा को भूजा जाता है. इसके बाद इसमें खोया चीनी की चाशनी, इलाइची, काजू, बादाम और किसमिस मिलाया जाता है. इस कारण यह काफी स्वादिष्ट होता है." -रत्न कुमार गुप्ता, कारीगर

अन्य राज्यों में बढ़ी है इसकी डिमांडः इस लाई की खासियत यह है कि काफी दिनों तक खराब नहीं होती है. आम लोगों के साथ साथ यह लाई राजनेताओं में भी काफी फेमस है. बिहार के सीएम नीतीश कुमार, राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव खुद इस लाई के दिवाने हैं. अन्य नेता भी पार्टी के कार्यक्रम में लाई का ऑर्डर देते हैं. बिहार के अलावा अन्य राज्यों में बाढ़ की लाई काफी मशहूर है.

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सरकार से अनुदान की मांगः हालांकि लाई इतनी फेमस होने के बाद भी सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है. स्थानीय व्यवसायी का कहना है कि इस लाई के कारण जिले के इलाके के 7 से 7 हजार लोगों को रोजगार मिला हुआ है, लेकिन सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिलती है. व्यसायियों ने सरकार से इसे उद्योग में शामिल करने के साथ साथ अनुदान उपलब्ध कराने की मांग की है ताकि इस क्षेत्र के लोग अपना व्यवसाय को आगे बढ़ा सके.

Last Updated : Oct 15, 2023, 11:46 AM IST
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