पटना: हाल के दिनों में बिहार में कोरोना मरीजों का रिकवरी डेट काफी तेजी से बढ़ा है. पिछले 15 दिनों में यह आंकड़ा 64% से बढ़कर 71.94% हो गया है. अभी के समय प्रतिदिन तीन से चार हजार के करीब कोरोना के नए मामले सामने आ रहे हैं. लेकिन सरकारी अधिकारियों के दावे को माने तो बिहार में अभी विशेष चिंता की बात नहीं है क्योंकि यहां मरीजों की रिकवरी रेट काफी अच्छी है.
रिकवरी रेट में किन बातों का ध्यान रखा जा रहा है और रिकवरी रेट कैसे तय हो रहा है, इस बारे में पटना सिविल सर्जन डॉ. राजकिशोर चौधरी ने जानकारी दी. उन्होंने बताया कि :-
रिकवरी रेट निकालने के लिए टोटल रिकवर्ड पेशेंट का टोटल अफेक्टेड पेशेंट से भाग देकर 100 से गुणा किया जाता है.
पेशेंट के आइसोलेशन पीरियड के दौरान 10 दिन का पीरियड होता है.
उसमें 8वें, 9वें और 10वें दिन अगर पेशेंट में कोई लक्षण रहते हैं तो उनकी दोबारा जांच कराई जाती है.
लेकिन अगर कोई लक्षण नहीं रहा तो उन्हें रिकवर मान लिया जाता है.
रखी जाती है पूरी निगरानी
सिविल सर्जन डॉ. राजकिशोर चौधरी ने बताया कि:-जो लोग होम आइसोलेशन में है उन्हें डिस्ट्रिक्ट कोविड-19 कंट्रोल रूम से फोन जाता है.
10 दिन के आइसोलेशन पीरियड के दौरान दूसरे, पांचवें और नौवें दिन फोन जाता है.
इस दौरान पेशेंट का हालचाल जाना जाता है.
पेशेंट को आइसोलेशन पीरियड के आखिरी 3 दिन में अगर सर्दी, खांसी और बुखार नहीं है तो उन्हें रिकवर माना जाता है.
उनके लिए जांच की कोई खास आवश्यकता नहीं होती है.
इस कारण उनकी जांच भी दोबारा नहीं होती है.
कोविड-19 केयर सेंटर में यह नियम
डॉ. राजकिशोर चौधरी ने कहा कि जिले के सभी कोविड-19 केयर सेंटर में भी यही नियम लागू होता है. मरीज के 10 दिन के आइसोलेशन पीरियड के दौरान अंतिम के 3 दिनों में अगर कोई लक्षण नहीं नजर आता है तो बिना कोरोना की जांच किए उन्हें 7 दिन के होम आइसोलेशन रहने का निर्देश देते हुए डिस्चार्ज किया जाता है. उन्होंने कहा कि कोविड-19 पेशेंट को डिस्चार्ज करते वक्त सभी नियम फॉलो किए जाते हैं, जो आईसीएमआर का गाइडलाइन कहता है.