पटना: राजधानी पटना के रहने वाले दसवीं के छात्र प्रणव सुमन ने डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की किताब पढ़कर स्मार्ट इनवर्टर बनाया है. डेढ़ साल में 16 बार असफलता मिलने के बावजूद भी सुमन हार नहीं माने, जिसका नतीजा है कि आज 17वीं बार में उन्होंने स्मार्ट इनवर्टर बनाकर सफलता पाया है. छात्र ने बताया कि ये इनवर्टर मार्केट के इनवर्टर से 3 तरह से अलग है. मार्केट के इनवर्टर से साइज में छोटा है, दाम कम और माइक्रोप्रोसेसर्स कंट्रोल यूनिट से संचालित है.
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प्रणव सुमन की तकनीक ने किया कमाल: प्रणव सुमन ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि बाजार में जो इनवर्टर आते हैं, वह काफी महंगे होते हैं. मिडिल क्लास फैमिली के लिए इनवर्टर खरीदना मुश्किल होता है. हमने गर्मी के दिनों में बिजली कट की परेशानी को झेला है. जिसके बाद मेरे दिमाग में यह ख्याल आया कि इनवर्टर बनाकर गर्मी से राहत पाई जा सकती है. जिसके बाद इनवर्टर बनाने में जुटे, लेकिन पिछले डेढ़ साल में 16 बार कामयाब नहीं हो पाए, लेकिन 17वीं बार में सफलता मिली है. जिसकी चर्चा आज पूरे प्रदेश में हो रही है.
"ये इनवर्टर साइज में छोटा है, दाम कम और माइक्रोप्रोसेसर्स कंट्रोल यूनिट से संचालित है. सबसे खास है कि मार्केट से इनवर्टर लेने के साथ बड़ा बैटरी की खरीदारी करनी पड़ती है. इसमें इनबिल्ट बैटरी लगाई गई है. बैटरी काफी छोटा है पर इसमें लिथियम ड्राई सेल का बनाया गया बैटरी लगाया गया है. जिस टेक्निक का प्रयोग कर हमने बैटरी बनाया है. वैसी टेक्निक टेस्ला कंपनी कार बनाने में इस्तेमाल करती है. एडवांस फीचर के साथ टचस्क्रीन डिस्पले है. डिस्प्ले पर सारे तरह के इंडिकेटस दिए गए हैं."- प्रणव सुमन, छात्र
17वीं बार में बनाया इनवर्टर: छात्र प्रणव सुमन ने बताया कि अगर इसकी वजह से अगर घर में शॉर्ट सर्किट से आग लगने वाली है तो पता चल जाता है तो यह इनवर्टर खुद और आपके घर को प्रोटेक्ट करता है. उन्होंने बताया की गुजरात साइंस एंड टेक्नोलॉजी के इनक्यूबेशन सेंटर से मुझे ऑफर मिला है. मेरी कोशिश है कि महीने 2 महीने के अंदर इस इनवर्टर को बाजार में उपलब्ध कराया जाए. ताकि सभी लोग उपयोग कर सकें.
"इस इनवर्टर की बैटरी वैकअप मिनिमम 3 घंटा है और मैक्सिमम 5 घंटा है. इस इनवर्टर से पंखा, कूलर, बल्ब, आयरन, मिक्सर तमाम चीज चला सकते हैं. इस इनवर्टर को बनाने में 4 हजार रूपय की लागत आई है. ऐसे तो 16 बार विफल होने में जो लागत लगी वह 40 हजार लगी है. यह इनवर्टर बाजार में मिलने वाले इनवर्टर की तुलना में काफी कम कीमत का है. टच स्क्रीन इनवर्टर के साथ बैटरी भी इनबिल्ट है. इनवर्टर का नाम इंडस स्मार्ट इनवर्टर रखा गया है. पिछले साल मुझे चाइल्ड साइंटिस्ट का अवार्ड गवर्नमेंट ऑफ इंडिया से मुझे मिला है."- प्रणव सुमन, छात्र
प्रणव की सफलता से पिता खुश: प्रणव सुमन ने ईटीवी से बताया कि जिस प्रोजेक्ट के तहत मुझे गवर्मेंट ऑफ इंडिया के तरफ से सम्मान दिया गया, अब यूएसए इंटरनेशनल को प्रजेंट करने जा रहा हूं. प्रणव सुमन के पिता सुमन कुमार मिश्रा ने कहा कि एक पिता के लिए इससे गर्व की बात क्या हो सकती है. मैं बचपन से ही अपने बेटे को देख रहा हूं. मुझे लग रहा था कि इसमें साइंटिफिक क्वालिटी है, जो आज करके दिखाया है. उन्होंने कहा कि मैं एक शिक्षक हूं और शिक्षक होने के नाते मैं यही कहूंगा कि जो बच्चा जो चीज ग्रहण करना चाहता है. उसको लगन के साथ और देने की कोशिश की जाए तो निश्चित तौर पर सफलता मिलती है.
"एक पिता के लिए इससे गर्व की बात क्या हो सकती है. मैं बचपन से ही अपने बेटे को देख रहा हूं. मुझे लग रहा था कि इसमें साइंटिफिक क्वालिटी है, जो आज करके दिखाया है. मैं एक शिक्षक हूं और शिक्षक होने के नाते मैं यही कहूंगा कि जो बच्चा जो चीज ग्रहण करना चाहता है. उसको लगन के साथ और देने की कोशिश की जाए तो निश्चित तौर पर सफलता मिलती है."- सुमन कुमार मिश्रा, प्रणव सुमन के पिता