पटनाः कोरोना अब तक पूरे विश्व के लिए एक अबूझ पहेली बना हुआ है. आए दिन इसके नए दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं. कोरोना से ठीक होने के बाद अब मरीज इसके साइड इफेक्ट के तहत होने वाली बीमारियों को लेकर अस्पताल पहुंच रहे हैं. अधिकांश मरीजों में सांस लेने की तकलीफ बनी रह रही है और उनमें लंग्स फाइब्रोसिस की बीमारी पाई जा रही है.
फेफड़े में इंफेक्शन
बिहार का पहला कोविड-19 डेडीकेटेड हॉस्पिटल एनएमसीएच के कोरोना के नोडल पदाधिकारी डॉ अजय कुमार सिन्हा ने बताया कि कोरोना से ठीक हुए मरीजों में कुछ दिनों के बाद कई प्रॉब्लम सामने आ रहे हैं. यह चिंता की विषय है. उन्होंने बताया कि रिकवर हुए मरीजों के फेफड़े में इंफेक्शन रह जा रहा है.
निमोनिया की शिकायत
डॉ अजय कुमार सिन्हा ने बताया कि रिकवर हुए मरीजों के फेफड़े के इंफेक्शन को मेडिकल टर्म में लंग्स फाइब्रोसिस कहते हैं. उन्होंने कहा कि अधिक उम्र के मरीज या अन्य गंभीर बीमारियों के मरीजों में यह समस्या ज्यादा देखी जा रही है. डॉ अजय ने बताया कि निमोनिया की शिकायत 28 से 30 दिनों में ठीक हो जाती है, लेकिन कोरोना से ठीक हुए मरीजों के फेफड़े में इन्फेक्शन कई दिनों तक रह जा रहा है.
इस्तेमाल की जा रही फाइब्रोसिस की दवा
एनएमसीएच के नोडल पदाधिकारी ने कहा कि कुछ दवाइयां अभी आई है जो फाइब्रोसिस में यूज की जाती हैं. उसे अभी इस्तेमाल किया जा रहा है, लेकिन अभी तक मेडिकल टीम इस नतीजे पर नहीं पहुंची है कि सभी पेशेंट को यह दवाई दी जा सकती है या नहीं.
गंभीर रूप से संक्रमित मरीजों को हो रही परेशानी
पीएमसीएच के कोविड-19 सेंटर के प्रभारी चिकित्सक डॉक्टर अरुण अजय ने बताया कि हाल के दिनों में कोरोना से ठीक हो चुके कुछ मरीजों में फाइब्रोसिस की शिकायत मिली है. उन्होंने बताया कि यह अधिकांश कोमोरबिडिटी पेशेंट और ओल्ड एज पेशेंट में देखने को मिल रही है जो संक्रमण से गंभीर रूप से संक्रमित हुए थे.
बनाया गया पोस्ट कोविड-19 वार्ड
लंग्स फाइब्रोसिस के बारे में बताते हुए डॉ अरुण अजय ने बताया कि कोरोना से ठीक होने के बाद मरीज के फेफड़े के कई सेल डेड हो गए रहते हैं और सेल एक्टिव सेल के साथ चिपके रहते हैं. जिससे फेफड़ा सिकुड़ने लगता है और मरीज को सांस लेने में तकलीफ होती है. उन्होंने बताया कि कोरोना से ठीक होने के बाद दुष्परिणाम को देखते हुए अस्पताल में पोस्ट कोविड-19 वार्ड बनाया गया है.
लंग्स फाइब्रोसिस के लिए किए जा रहे टेस्ट
डॉ अरुण अजय ने बताया कि पोस्ट कोविड-19 वार्ड में अभी के समय लंग्स फाइब्रोसिस के एक पेशेंट मौजूद है. उन्होंने बताया कि लंग्स फाइब्रोसिस का पता लगाने के लिए पेशेंट के कोरोना से रिकवर होने के बाद उसका एचआरसीटी, सीने का एक्सरे या सीटी स्कैन किया जाता है.
अबूझ पहेली बना कोरोना
पीएमसीएच के डॉक्टर ने बताया कि कोरोना के मरीजों को लंग्स फाइब्रोसिस की शिकायत नहीं होने के लिए कुछ दवाई दी जा रही है. उन्होंने कहा कि कोरोना अभी भी एक अबूझ पहेली बना हुआ है और रोज इसके नए साइड इफेक्ट्स और सिम्टम्स नजर आ रहे हैं.