पटनाः सूबे के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच में राज्य के कोने-कोने से लोग रोगों के निराकरण की उम्मीदें लगाकर पहुंचते हैं. इसी क्रम में जमुई से एक बच्ची ठीक होने की आस में पीएमसीएच पहुंची, लेकिन यहां अस्पताल प्रशासन की घोर लापरवाही देखने को मिली है. 12 दिनों से जमुई की मुस्कान जिंदगी और मौत से जंग लड़ रही है. इसके बावजूद उसे अस्पताल में अभी तक बेड नहीं मिल पाया है.
दर-दर भटक रहे परिवारवाले
जमुई की 12 वर्षीय मुस्कान ओपीडी के सामने खुले आसमान में अपने परिवार के साथ जमीन पर ही रात गुजार रही है. मुस्कान की मां गुड़िया देवी ने बताया कि उनके पास पैसे भी नहीं है. वे लोग अपनी बेटी की इलाज के लिए दर-दर भटक रहे हैं.
"12 दिनों से इतने बड़े अस्पताल पीएमसीएच में हम अपनी बेटी के लिए बेड का इंतजार कर रहे हैं. लेकिन अभी तक बेड नहीं मिल पाया है. पूरा परिवार भूखे पेट दिन गुजार रहा है. हमारे पास बस 500 रुपये बचे हैं."- गुड़िया देवी, मुस्कान की मां
भूखे-प्यासे रहने के लिए मजबूर
मुस्कान की हालत देखकर लाचार माता पिता बस मदद की आस लगाए हुए हैं. गुड़िया देवी ने बताया कि जमीन पर ही मुस्कान की ड्रेसिंग हो रही है. उन्होंने कहा कि मुस्कान के अलावा भी हमारे 2 और छोटे बच्चे हैं, जो आज 12 दिनों से खुले आसमान के नीचे भूखे-प्यासे रहने के लिए मजबूर हैं.
पीएमसीएच का चक्कर काट रहे पिता
मुस्कान के पिता जमुई में ही ऑटो चलाते थे. उन्होंने कहा कि जब से बेटी बीमार हुई है तब से पीएमसीएच का चक्कर काट रहे हैं. जो कमाई हो रही थी, वो भी कोरोना काल के कारण लगे लॉकडाउन में बंद हो गई. पूरा परिवार अब सड़क पर आ गया है.
दफ्तर में नहीं थे अधीक्षक
गौरतलब है कि ईटीवी भारत की टीम ने पीएमसीएच के अधीक्षक से संपर्क साधने की कोशिश की. लेकिन हर दिन की तरह अधीक्षक अपने दफ्तर में नहीं थे. उनसे संपर्क नहीं हो पाया. अब देखना होगा कि मुस्कान के परिवार वालों की गुहार सुनकर अस्पताल प्रशासन कब तक मदद के लिए आगे आता है.