छपरा: बिहार में जहरीली शराब से मौत मामले में जन अधिकार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पप्पू यादव (JAP Supremo Pappu Yadav) ने बीजेपी पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि मैंने 12 स्थानों पर जाकर लोगों को दस दस हजार रुपये देकर मदद की. क्या राजीव प्रताप रूडी के पास पैसे नहीं है? क्या उन्होंने पैसे नहीं कमाए हैं? क्या जनार्दन सिग्रीवाल के पास पैसे नहीं है? (Pappu Yadav On Chapra Hooch Tragedy)
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'नेता करें छपरा के पीड़ितों की मदद': पप्पू यादव ने कहा कि नेताओं के पास चुनाव लड़ने और टिकट खरीदने के लिए पैसे होते हैं लेकिन बिहार की जनता को देने के लिए नहीं होते हैं. भाजपा के लोग बिहार को शराबमुक्त बनाना चाहते हैं तो अपने नेताओं की सैंपल जांच कराएं. उन्होंने दावा किया कि 90 प्रतिशत लोग पकड़े जाएंगे.
"शराब मामले को लेकर जो एक्ट बना था उसके हिसाब से मुआवजा सरकार को देना था या शराब माफिया की संपत्ति को जब्त करना था. प्रावधान यह है कि शराब माफियाओं की संपत्ति को बेचकर जो पैसा आता है उसी से मुआवजा दिया जाएगा. अगर नीतीश कुमार मुआवजा नहीं दे रहे हैं तो भारत सरकार अपनी घोषणा के अनुसार पैसे क्यों नहीं दे रही है?"- पप्पू यादव, राष्ट्रीय अध्यक्ष, जाप
नीतीश सरकार को बदनाम करने में जुटी बीजेपी: साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार बनते ही बेगूसराय में गोलीकांड, अरवल में बच्चियों को जिंदा जला देना, बगहा में 13 साल की बच्ची के साथ रेप, महिलाओं को टुकड़े-टुकड़े काट देना या कटिहार में नरसंहार होना, यह सब भाजपा की साजिश है. मशरख जहरीली शराब कांड भी इसी साजिश का हिस्सा है. इससे पहले बेतिया, सिवान गोपालगंज, मुजफ्फरपुर, नवादा और बक्सर में ऐसी घटनाएं घट चुकी हैं. हर जगह जन अधिकार पार्टी ने पीड़ितों की मदद की. उस समय भाजपा का कोई नेता सामने नहीं आया.
जहरीली शराब से मौत मामला: बता दें कि छपरा जहरीली शराब कांड में मरने वालों का आंकड़ा 73 तक पहुंच चुका है. जबकि सरकार की ओर से 38 लोगों के मौत की पुष्टि की जा रही है. वहीं छपरा सदर अस्पताल के सूत्रों के मुताबिक संदिग्ध पेय पदार्थ पीकर 67 लोग मरे हैं. सवाल इस बात का है कि आखिर आंकड़ों में इतना बड़ा अंतर कैसे आ रहा है? जहरीली शराब से मौत मामले को लेकर पिछले दिनों बिहार विधानसभा में बीजेपी ने जबरदस्त हंगामा किया और मुआवजे की मांग की. न्यायिक जांच की मांग भी बीजेपी की तरफ से हो रही है.