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करोड़ों की लागत बने पंचायत भवन नहीं हो सके चालू, असामाजिक तत्वों के बैठने का बना अड्डा - बिहार सरकार

राजधानी पटना के मनेर प्रखंड के पंचायतों में करोड़ों रुपए की लागत से पंचायत भवन तो बन गए. लेकिन अधिकारियों की लापरवाही से यह चालू नहीं हुए. जिससे लोगों को प्रखंड और अंचल कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ रहा है. वहीं, भवन भी जर्जर हो रहा है.

पंचायत भवन
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Published : Sep 26, 2021, 2:00 PM IST

पटना: बिहार सरकार ( Bihar Government ) ने पंचायत स्तर पर लोगों की सुविधा के लिए पंचायत भवन का निर्माण ( Construction of Panchayat Building ) कराया था. ताकि लोगों को प्रखंड और अंचल कार्यालय का चक्कर न लगाना पड़े. लेकिन अधिकारियों की लापरवाही की चलते यह योजना सफल नहीं हुई. यहां पंचायत सचिव सहित पंचायत स्तर के सभी कर्मियों बैठना था. मगर पंचायत कर्मी यहां बैठना तो दूर झांकना तक पसंद नहीं करते.

ये भी पढे़ं- 'कालनेमि' हैं राकेश टिकैत, भेष बदलकर किसानों को कर रहे हैं भ्रमित- भाजपा

बता दें कि राजधानी पटना से सटे मनेर प्रखंड में विश्व बैंक की सहायता से 1.25 करोड़ की लागत से पंचायत भवन बनाया गया. लेकिन उद्घाटन के बाद से यह नहीं खुला. करोड़ों की लागत से बने भवन में गंदगी का अंबार लगा हुआ है. न तो संबंधित अधिकारी और न ही जिला मुख्यालय से इसके संचालन को लेकर कोई दिशा-निर्देश दिया जाता है. जबकि यहां कृषि जमीन दाखिल खारिज, लगान रसीद, जाति, आय, जन्म व मृत्यु प्रमाण पत्र और ग्राम कचहरी संबंधी कार्य किये जाने की योजना थी. जिससे पंचायत वासियों को सहूलियत होती और उन्हें प्रखंड और अंचल कार्यालय का चक्कर नहीं लगाना पड़ता.

लेकिन सरकारी बाबुओं की लापरवाही की वजह से यह योजना फेल होती दिख रही है. करोड़ों रुपये खर्च होने के बाद भी लोगों को छोटे-छोटे कार्यों के लिए प्रखंड और अंचल का चक्कर लगाना पड़ रहा है. पंचायत भवन चालू नहीं होने से भवन पूरी तरह जर्जर हो चुका है. कई जगह से तो खिड़की के शीशे भी टूट चुके हैं. यह असामाजिक तत्वों का भी बैठने का अड्डा बन चुका है. वहीं, स्थानीय लोग इसमें उपले रखना शुरू कर दिये हैं.

ये भी पढ़ें- मोतिहारी में बड़ा हादसा... सिकरहना नदी में पलटी नाव... कई लापता... एक शव बरामद

'सभी पंचायतों में पंचायत भवन बनाया जा रहा है. जहां सारी सुविधायें उपलब्ध करायी जाएगी. जिन स्थानों पर कर्मचारियों की कमी के चलते भवन बंद हैं. उसे शीघ्र ही चालू कराया जाएगा.' - चंदन प्रसाद, प्रखंड विकास पदाधिकारी, मनेर

गौरतलब है कि सभी पंचायतों मे पंचायत भवन बनाने की योजना से स्थानीय लोग काफी उत्साहित थे और इस योजना का स्वागत किया था. लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही के चलते इस पर पलीता लग गया और लोगों को छोटे-छोटे कार्यो के लिए प्रखंड कार्यालय और अंचल कार्यालय का चक्कर नहीं लगाना पड़ रहा है.

पटना: बिहार सरकार ( Bihar Government ) ने पंचायत स्तर पर लोगों की सुविधा के लिए पंचायत भवन का निर्माण ( Construction of Panchayat Building ) कराया था. ताकि लोगों को प्रखंड और अंचल कार्यालय का चक्कर न लगाना पड़े. लेकिन अधिकारियों की लापरवाही की चलते यह योजना सफल नहीं हुई. यहां पंचायत सचिव सहित पंचायत स्तर के सभी कर्मियों बैठना था. मगर पंचायत कर्मी यहां बैठना तो दूर झांकना तक पसंद नहीं करते.

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बता दें कि राजधानी पटना से सटे मनेर प्रखंड में विश्व बैंक की सहायता से 1.25 करोड़ की लागत से पंचायत भवन बनाया गया. लेकिन उद्घाटन के बाद से यह नहीं खुला. करोड़ों की लागत से बने भवन में गंदगी का अंबार लगा हुआ है. न तो संबंधित अधिकारी और न ही जिला मुख्यालय से इसके संचालन को लेकर कोई दिशा-निर्देश दिया जाता है. जबकि यहां कृषि जमीन दाखिल खारिज, लगान रसीद, जाति, आय, जन्म व मृत्यु प्रमाण पत्र और ग्राम कचहरी संबंधी कार्य किये जाने की योजना थी. जिससे पंचायत वासियों को सहूलियत होती और उन्हें प्रखंड और अंचल कार्यालय का चक्कर नहीं लगाना पड़ता.

लेकिन सरकारी बाबुओं की लापरवाही की वजह से यह योजना फेल होती दिख रही है. करोड़ों रुपये खर्च होने के बाद भी लोगों को छोटे-छोटे कार्यों के लिए प्रखंड और अंचल का चक्कर लगाना पड़ रहा है. पंचायत भवन चालू नहीं होने से भवन पूरी तरह जर्जर हो चुका है. कई जगह से तो खिड़की के शीशे भी टूट चुके हैं. यह असामाजिक तत्वों का भी बैठने का अड्डा बन चुका है. वहीं, स्थानीय लोग इसमें उपले रखना शुरू कर दिये हैं.

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'सभी पंचायतों में पंचायत भवन बनाया जा रहा है. जहां सारी सुविधायें उपलब्ध करायी जाएगी. जिन स्थानों पर कर्मचारियों की कमी के चलते भवन बंद हैं. उसे शीघ्र ही चालू कराया जाएगा.' - चंदन प्रसाद, प्रखंड विकास पदाधिकारी, मनेर

गौरतलब है कि सभी पंचायतों मे पंचायत भवन बनाने की योजना से स्थानीय लोग काफी उत्साहित थे और इस योजना का स्वागत किया था. लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही के चलते इस पर पलीता लग गया और लोगों को छोटे-छोटे कार्यो के लिए प्रखंड कार्यालय और अंचल कार्यालय का चक्कर नहीं लगाना पड़ रहा है.

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