पटना: बिहार में मेडिकल कॉलेजों के जूनियर डॉक्टर लगातार छठे दिन भी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बने रहे. वहीं सरकार की तरफ से भी जूनियर डॉक्टरों के प्रतिनिधिमंडल से बिना कोई वार्ता की कोशिश किए हड़ताल खत्म कराने के लिए लगातार स्वास्थ विभाग के माध्यम से कई आदेश निर्गत किए जा रहे हैं. ऐसे में राजधानी पटना के प्रतिष्ठित पीएमसीएच हॉस्पिटल में अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे जूनियर डॉक्टरों के बीच उनकी मांगों का समर्थन करने पालीगंज से सीपीआईएमएल विधायक संदीप सौरभ पहुंचे और उन्होंने जूनियर डॉक्टरों की मांगों का समर्थन किया.
'जूनियर डॉक्टरों की मांगें जायज है और सरकार ने पहले ही वादा किया था कि वह स्टाइपेंड बढ़ाएंगे और 1 जनवरी 2020 से ही यह बढ़ना था. लेकिन 1 साल हो गए हैं और जूनियर डॉक्टरों ने तय सीमा के खत्म होने के बाद भी अपनी बातों को सरकार तक पहुंचाने का लगातार कई प्रयास किया, जब वह अपने सभी प्रयासों में विफल रहे तब जाकर उन्होंने हड़ताल का सहारा लिया है. सरकार की ओर से जूनियर डॉक्टरों से बात कर उनकी मांगों पर लिखित में उचित आश्वासन दिया जाना चाहिए. लेकिन यह सरकार पूरी तरह निरंकुश हो चुकी है और जूनियर डॉक्टरों से बात करने के बजाए अपने आदेशों के माध्यम से जूनियर डॉक्टरों को धमकाने का प्रयास कर रही है, जो कि बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है' : संदीप सौरभ, विधायक, पालीगंज
'जूनियर डॉक्टरों की बात मान लेनी चाहिए'
विधायक संदीप सौरव ने कहा कि पीएमसीएच में सरकार के तरफ से जूनियर डॉक्टरों को इतना कम वेतन दिया जाएगा, तो प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था बेहतर कैसे होगा. उन्होंने कहा कि पीएमसीएच में बिहार के ग्रामीण इलाके से गरीब मरीज इलाज कराने पहुंचते हैं. ऐसे में सरकार को जूनियर डॉक्टरों की बात मान लेनी चाहिए थी. लेकिन सरकार जिद पर अड़ी हुई है कि वह जूनियर डॉक्टरों से बात नहीं करेंगे.
ये भी पढ़ें: 'अरुणाचल की घटना का असर बिहार में नहीं, नीतीश के नेतृत्व में 5 साल चलेगी सरकार'
वहीं, पीएमसीएच में जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के सचिव डॉ. कुंदन सुमन ने बताया कि सरकार जबरन हड़ताल खत्म कराने के लिए कोई भी आदेश ला दे, वह डरने वाले नहीं है और इस बार आर-पार की लड़ाई के मूड में सभी जूनियर डॉक्टर हैं. उन्होंने कहा कि सरकार जब तक उनकी बातों को नहीं मानती है और सरकार के प्रतिनिधि उनसे वार्ता कर लिखित आश्वासन नहीं देते हैं. तब तक वह हड़ताल नहीं समाप्त करेंगे.