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बिहार म्यूजियम में संगीत संध्या का आयोजन, शास्त्रीय संगीत का लोगों ने उठाया आनंद

अर्थशिला के यशवंत पराशर ने कहा कि पूरे देश में शास्त्रीय संगीत के श्रोताओं की अच्छी तादाद है. खासकर पटना में शास्त्रीय संगीत के श्रोताओं की तादाद काफी ज्यादा है. यह मानना गलत है कि आज के दौर में शास्त्रीय संगीत के श्रोता कम हो गए हैं.

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Published : Jul 20, 2019, 11:12 PM IST

प्रस्तुति देते कलाकार

पटना: राजधानी के बेली रोड स्थित बिहार म्यूजियम में अर्थशिला संस्था की ओर से संगीत संध्या का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में युवा 'हिंदुस्तानी वायलिन' वादक साकेत साहू, शास्त्रीय संगीत के गायक समीहन कशालकर ने अपनी प्रस्तुति दी. वायलिन वादक साकेत साहू के साथ तबले पर रूपक भट्टाचार्जी ने उनका साथ दिया तो वहीं समीहन कशालकर की संगीत पर संजय अधिकारी ने तबला बजाया.

patna
युवा संगीतज्ञ


लोगों ने युवा कलाकारों की प्रस्तुति को खूब सराहा
बिहार म्यूजियम के सभागार में अर्थशिला की ओर से आयोजित संगीत संध्या में श्रोताओं की अच्छी तादाद देखने को मिली. हॉल लोगों की भीड़ से खचाखच भरा रहा. श्रोताओं ने हिंदुस्तानी वायलिन और शास्त्रीय संगीत का खूब आनंद उठाया. लोगों ने युवा कलाकारों की प्रस्तुति को खूब सराहा.

प्रस्तुति देते कलाकार

'शास्त्रीय संगीत के प्रति लोगों की दिलचस्पी बढ़ी'
अर्थशिला के यशवंत पराशर ने बताया कि अर्थशिला बहुसांस्कृतिक संस्था है. यह सांस्कृतिक गतिविधियों के जितने भी आयाम है सब में कार्यक्रम करती है. उन्होंने बताया कि यह कार्यक्रम युवा संगीतज्ञ का है. जिन्होंने शास्त्रीय संगीत में आज के दौर में नाम करना शुरू किया है. यशवंत ने कहा कि पूरे देश में शास्त्रीय संगीत के श्रोताओं की अच्छी तादाद है. खासकर पटना में शास्त्रीय संगीत के श्रोताओं की तादाद काफी ज्यादा है. यह मानना गलत है कि आज के दौर में शास्त्रीय संगीत के श्रोता कम हो गए हैं. बल्कि आज के दौर में शास्त्रीय संगीत के प्रति लोगों की दिलचस्पी और ज्यादा बढ़ी है.

पटना: राजधानी के बेली रोड स्थित बिहार म्यूजियम में अर्थशिला संस्था की ओर से संगीत संध्या का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में युवा 'हिंदुस्तानी वायलिन' वादक साकेत साहू, शास्त्रीय संगीत के गायक समीहन कशालकर ने अपनी प्रस्तुति दी. वायलिन वादक साकेत साहू के साथ तबले पर रूपक भट्टाचार्जी ने उनका साथ दिया तो वहीं समीहन कशालकर की संगीत पर संजय अधिकारी ने तबला बजाया.

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युवा संगीतज्ञ


लोगों ने युवा कलाकारों की प्रस्तुति को खूब सराहा
बिहार म्यूजियम के सभागार में अर्थशिला की ओर से आयोजित संगीत संध्या में श्रोताओं की अच्छी तादाद देखने को मिली. हॉल लोगों की भीड़ से खचाखच भरा रहा. श्रोताओं ने हिंदुस्तानी वायलिन और शास्त्रीय संगीत का खूब आनंद उठाया. लोगों ने युवा कलाकारों की प्रस्तुति को खूब सराहा.

प्रस्तुति देते कलाकार

'शास्त्रीय संगीत के प्रति लोगों की दिलचस्पी बढ़ी'
अर्थशिला के यशवंत पराशर ने बताया कि अर्थशिला बहुसांस्कृतिक संस्था है. यह सांस्कृतिक गतिविधियों के जितने भी आयाम है सब में कार्यक्रम करती है. उन्होंने बताया कि यह कार्यक्रम युवा संगीतज्ञ का है. जिन्होंने शास्त्रीय संगीत में आज के दौर में नाम करना शुरू किया है. यशवंत ने कहा कि पूरे देश में शास्त्रीय संगीत के श्रोताओं की अच्छी तादाद है. खासकर पटना में शास्त्रीय संगीत के श्रोताओं की तादाद काफी ज्यादा है. यह मानना गलत है कि आज के दौर में शास्त्रीय संगीत के श्रोता कम हो गए हैं. बल्कि आज के दौर में शास्त्रीय संगीत के प्रति लोगों की दिलचस्पी और ज्यादा बढ़ी है.

Intro:राजधानी पटना के बेली रोड स्थित बिहार म्यूजियम में अर्थ शीला की ओर से संगीत संध्या का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में युवा 'हिंदुस्तानी वायलिन' वादक साकेत साहू, शास्त्रीय संगीत के गायक समीहन कशालकर ने अपनी प्रस्तुति दी. वायलिन वादक साकेत साहू के साथ तबले पर रूपक भट्टाचार्जी ने उनका साथ दिया तो वही समीहन कशालकर की संगीत पर संजय अधिकारी ने तबला बजाया.


Body:बिहार म्यूजियम के सभागार में अर्थशिला की ओर से आयोजित संगीत संध्या में श्रोताओं की अच्छी तादाद देखने को मिली है और हॉल खचाखच भरा रहा. श्रोताओं ने हिंदुस्तानी वायलिन और शास्त्रीय संगीत का खूब आनंद उठाया और युवा कलाकारों की प्रस्तुति को खूब सराहा.


Conclusion:अर्थशिला के यशवंत पराशर ने बताया कि अर्थशिला बहुसांस्कृतिक संस्था है और यह सांस्कृतिक गतिविधियों के जितने भी आयाम है सब में कार्यक्रम करती है. उन्होंने बताया कि यह कार्यक्रम युवा संगीतज्ञ का है जिन्होंने शास्त्रीय संगीत में आज के दौर में नाम करना शुरू किया है. यशवंत ने कहां की पूरे देश में शास्त्रीय संगीत के श्रोताओं की अच्छी तादाद है और पटना में शास्त्रीय संगीत के श्रोताओं की तादाद काफी ज्यादा है. यह मानना गलत है कि आज के दौर में शास्त्रीय संगीत के श्रोता कम हो गए हैं बल्कि आज के दौर में शास्त्रीय संगीत के प्रति लोगों की दिलचस्पी और ज्यादा बढ़ी है.
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