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ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों के लिए जागरुकता कार्यक्रम, AIIMS के डॉक्टर भी हुए शामिल

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Published : Apr 13, 2019, 10:46 PM IST

शनिवार को पटना एम्स में ऑटिज्म नामक बीमारी से पीड़ित बच्चों की देखरेख के लिए एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया.

पटना एम्स

पटना :शनिवार को पटना एम्स में ऑटिज्म नामक बीमारी से पीड़ित बच्चों की देखरेख के लिए एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. पटना एम्स के शिशु रोग विभाग और मनोचिकित्सक विभाग के साथ स्पर्श फॉर चिल्ड्रन संस्था की ओर से यह कार्यक्रम आयोजित की गई. इसमें न्यूरो डेवलपमेंट डिसऑर्डर यानी बच्चों में होने वाली ऑटिज्म, डिस्लेक्सिया और एडीएचडी जैसी बीमारियों के प्रति लोगों को जागरूक किया गया.

कार्यक्रम और स्पर्श फॉर चिल्ड्रन संस्था के डयरेक्टर और सदस्य का बयान

इस कार्यक्रम में एम्स के डॉक्टर के साथ साथ बच्चों के अभिभावक और स्कूल के शिक्षकों ने भी हिस्सा लिया कार्यक्रम में बताया गया कि आरती जाम से पीड़ित बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है. समाज में उन्हें स्वीकार भी नहीं किया जाता है ऐसे में जरूरत है कि ज्यादा से ज्यादा लोग जागरूक हो और ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास किया जाए.

ज्यादा लोगों को जागरुक करना मकसद
कार्यक्रम में ऑटिज्म बीमारी के बारे में विस्तार से बताया गया कि यह क्यों और कैसे होता है. इसका इलाज क्या है और इस बीमारी से पीड़ित बच्चों की देखरेख के लिए क्या कुछ किया जा सकता है. कार्यक्रम का मकसद है आरती जाम बीमारी के बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरुक करना.

पटना :शनिवार को पटना एम्स में ऑटिज्म नामक बीमारी से पीड़ित बच्चों की देखरेख के लिए एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. पटना एम्स के शिशु रोग विभाग और मनोचिकित्सक विभाग के साथ स्पर्श फॉर चिल्ड्रन संस्था की ओर से यह कार्यक्रम आयोजित की गई. इसमें न्यूरो डेवलपमेंट डिसऑर्डर यानी बच्चों में होने वाली ऑटिज्म, डिस्लेक्सिया और एडीएचडी जैसी बीमारियों के प्रति लोगों को जागरूक किया गया.

कार्यक्रम और स्पर्श फॉर चिल्ड्रन संस्था के डयरेक्टर और सदस्य का बयान

इस कार्यक्रम में एम्स के डॉक्टर के साथ साथ बच्चों के अभिभावक और स्कूल के शिक्षकों ने भी हिस्सा लिया कार्यक्रम में बताया गया कि आरती जाम से पीड़ित बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है. समाज में उन्हें स्वीकार भी नहीं किया जाता है ऐसे में जरूरत है कि ज्यादा से ज्यादा लोग जागरूक हो और ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास किया जाए.

ज्यादा लोगों को जागरुक करना मकसद
कार्यक्रम में ऑटिज्म बीमारी के बारे में विस्तार से बताया गया कि यह क्यों और कैसे होता है. इसका इलाज क्या है और इस बीमारी से पीड़ित बच्चों की देखरेख के लिए क्या कुछ किया जा सकता है. कार्यक्रम का मकसद है आरती जाम बीमारी के बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरुक करना.

Intro:पटना एम्स में ऑटिजम नामक बीमारी से पीड़ित बच्चों की देख रेख के लिए जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया


Body:शनिवार को पटना एम्स में ऑटिजम नामक बीमारी से पीड़ित बच्चों की देखरेख के लिए एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। पटना एम्स के शिशु रोग विभाग और मनोचिकित्सक विभाग के साथ स्पर्श फॉर चिल्ड्रन संस्था की ओर से आयोजित सीएमई सह जागरूकता कार्यक्रम में न्यूरो डेवलपमेंट डिसऑर्डर यानी बच्चों में होने वाली ऑटिजम,डिस्लेक्सिया और एडीएचडी जैसी बीमारियों के प्रति लोगों को जागरूक किया गया इस कार्यक्रम में एम्स के डॉक्टर के साथ साथ बच्चों के अभिभावक और स्कूल के शिक्षकों ने भी हिस्सा लिया कार्यक्रम में बताया गया कि आरती जाम से पीड़ित बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है और समाज में उन्हें स्वीकार भी नहीं किया जाता है ऐसे में जरूरत है कि ज्यादा से ज्यादा लोग जागरूक हो और ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास किया जा सके।


Conclusion:इस कार्यक्रम में ऑटिजम बीमारी के बारे में विस्तार से बताया गया कि यह क्यों और कैसे होता है उसका इलाज क्या है और इस बीमारी से पीड़ित बच्चों की देखरेख के लिए क्या कुछ किया जा सकता है कार्यक्रम का मकसद है आरती जाम बीमारी के बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरुक करना।

बाईट-सुरिभ वर्मा, निर्देशक स्पर्श संस्था, नई दिल्ली।
बाईट-मुक्ता मोहनी, सदस्य स्पर्श संस्था।
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