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कृषि कानून वापस होने के बाद बिहार में सियासी संग्राम, एपीएमसी एक्ट बहाल करने की मांग

नरेंद्र मोदी की सरकार ने कृषि कानून को वापस (Repeal All Three Farm Laws) ले लिया है. बिहार जैसे राज्यों पर भी अब दबाव बढ़ने लगा है कि किसानों के हित को देखते हुए एपीएमसी एक्ट (APMC Act in Bihar) बहाल हो. इसकी मांग को लेकर राजनीतिक दलों ने भी आवाज बुलंद करना शुरू कर दिया है. पढ़ें खास रिपोर्ट...

एपीएमसी एक्ट बहाल करने की मांग
एपीएमसी एक्ट बहाल करने की मांग
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Published : Nov 21, 2021, 8:32 PM IST

Updated : Nov 21, 2021, 9:06 PM IST

पटना: साल 2006 में ही नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की अगुवाई वाली एनडीए की सरकार ने बिहार में एपीएमसी एक्ट (APMC Act in Bihar) को खत्म कर दिया था. जब केंद्र की सरकार ने कृषि कानून (Three Farm Laws) को पारित कराया था तो जेडीयू (JDU) के नेताओं ने खूब वाहवाही बटोरी थी. नेताओं ने कहा था कि जिसे केंद्र सरकार आज कानूनी रूप दे रही है, उसे 2006 में ही नीतीश कुमार ने खत्म कर दिया था. वहीं, अब जबकि केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानून को वापस (Repeal All Three Farm Laws) ले लिया है, तब वैसी स्थिति में राज्य सरकार पर दबाव बढ़ गया है.

ये भी पढ़ें: कृषि कानून पर फंसी जेडीयू: पहले समर्थन अब गोलमोल जवाब, विपक्ष के निशाने पर नीतीश कुमार

दरअसल, केंद्र सरकार हर साल 23 फसलों पर एमएसपी (MSP) घोषित करती है, लेकिन बिहार जैसे राज्यों में धान गेहूं और मकई के अलावा किसी भी फसल पर एमएसपी लागू नहीं होता है. किसानों को दाल औने-पौने दामों पर बेचने पड़ते हैं. 6% किसानों को ही एमएसपी का लाभ मिल पाता है.

देखें रिपोर्ट

शांता कुमार कमेटी के मुताबिक, एमएसपी खरीद का लाभ मात्र आठ से 10 फीसदी किसानों को ही मिल पा रहा है. वहीं, नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक 94% किसान एमएसपी के पक्ष में हैं और वे चाहते हैं कि एमएसपी जारी रहे. अधिकांश राज्यों में एमएससी के संदर्भ में जानकारी बहुत कम है. बिहार में तो मंडी व्यवस्था 2006 में ही खत्म कर दी गई. बिहार में कुल 95 बाजार समितियां हैं. जिसमें 53 के पास यार्ड है. बिहार में बाजार समितियों के पास 1575 एकड़ से भी ज्यादा जमीन है. कुल 54 बाजार समितियों को विकसित करने का लक्ष्य रखा गया था.

ये भी पढ़ें: तेजस्वी ने कृषि कानून वापसी से बाद की MSP की मांग, शराबबंदी पर नीतीश सरकार को घेरा

कांग्रेस पार्टी के मुख्य प्रवक्ता राजेश राठौर ने कहा है कि केंद्र सरकार ने कृषि कानून को वापस ले लिया है और अब बिहार सरकार को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए. सरकार ने मंडी व्यवस्था को खत्म कर पैक्स व्यवस्था को लागू किया था, लेकिन यह भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया और लाभ बिचौलियों को मिल रहा है.

वहीं, बीजेपी प्रवक्ता डॉ. राम सागर सिंह ने कहा है कि केंद्र सरकार बाजार समिति को सशक्त बनाना चाहती है. केंद्र की मंशा है कि बाजार समितियों को हाईटेक किया जाए, जिससे कि किसानों को उचित कीमत मिल सके. बाजार समितियों को हम हाईटेक करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

ये भी पढ़ें: कांग्रेस का दावा- 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों में बदला लेंगे किसान, BJP बोली- अन्नदाता हमारे साथ

जेडीयू प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा है कि किसानों के हित के लिए नीतीश सरकार प्रतिबद्ध है. अब तक किसानों के हित के लिए नीतीश कुमार ने काफी कुछ किया है और आगे भी वे किसानों के हितों की चिंता करेंगे.

वहीं, अर्थशास्त्री डॉ विद्यार्थी विकास का कहना है कि मंडी व्यवस्था खत्म होने से किसानों को नुकसान हुआ है. उनके आय में कमी आई है, क्योंकि केंद्र ने कृषि कानून को वापस ले लिया है तो वैसी स्थिति में बिहार सरकार को भी मंडी व्यवस्था फिर से लागू करने की दिशा में सोचना चाहिए. वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर सरकार ने जो व्यवस्था लागू किया है, वह किसानों के लिए लाभकारी नहीं हुआ है. ऐसे में पुरानी व्यवस्था की ओर ही लौटना चाहिए.

नोट: ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत एप

पटना: साल 2006 में ही नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की अगुवाई वाली एनडीए की सरकार ने बिहार में एपीएमसी एक्ट (APMC Act in Bihar) को खत्म कर दिया था. जब केंद्र की सरकार ने कृषि कानून (Three Farm Laws) को पारित कराया था तो जेडीयू (JDU) के नेताओं ने खूब वाहवाही बटोरी थी. नेताओं ने कहा था कि जिसे केंद्र सरकार आज कानूनी रूप दे रही है, उसे 2006 में ही नीतीश कुमार ने खत्म कर दिया था. वहीं, अब जबकि केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानून को वापस (Repeal All Three Farm Laws) ले लिया है, तब वैसी स्थिति में राज्य सरकार पर दबाव बढ़ गया है.

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दरअसल, केंद्र सरकार हर साल 23 फसलों पर एमएसपी (MSP) घोषित करती है, लेकिन बिहार जैसे राज्यों में धान गेहूं और मकई के अलावा किसी भी फसल पर एमएसपी लागू नहीं होता है. किसानों को दाल औने-पौने दामों पर बेचने पड़ते हैं. 6% किसानों को ही एमएसपी का लाभ मिल पाता है.

देखें रिपोर्ट

शांता कुमार कमेटी के मुताबिक, एमएसपी खरीद का लाभ मात्र आठ से 10 फीसदी किसानों को ही मिल पा रहा है. वहीं, नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक 94% किसान एमएसपी के पक्ष में हैं और वे चाहते हैं कि एमएसपी जारी रहे. अधिकांश राज्यों में एमएससी के संदर्भ में जानकारी बहुत कम है. बिहार में तो मंडी व्यवस्था 2006 में ही खत्म कर दी गई. बिहार में कुल 95 बाजार समितियां हैं. जिसमें 53 के पास यार्ड है. बिहार में बाजार समितियों के पास 1575 एकड़ से भी ज्यादा जमीन है. कुल 54 बाजार समितियों को विकसित करने का लक्ष्य रखा गया था.

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कांग्रेस पार्टी के मुख्य प्रवक्ता राजेश राठौर ने कहा है कि केंद्र सरकार ने कृषि कानून को वापस ले लिया है और अब बिहार सरकार को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए. सरकार ने मंडी व्यवस्था को खत्म कर पैक्स व्यवस्था को लागू किया था, लेकिन यह भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया और लाभ बिचौलियों को मिल रहा है.

वहीं, बीजेपी प्रवक्ता डॉ. राम सागर सिंह ने कहा है कि केंद्र सरकार बाजार समिति को सशक्त बनाना चाहती है. केंद्र की मंशा है कि बाजार समितियों को हाईटेक किया जाए, जिससे कि किसानों को उचित कीमत मिल सके. बाजार समितियों को हम हाईटेक करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

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जेडीयू प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा है कि किसानों के हित के लिए नीतीश सरकार प्रतिबद्ध है. अब तक किसानों के हित के लिए नीतीश कुमार ने काफी कुछ किया है और आगे भी वे किसानों के हितों की चिंता करेंगे.

वहीं, अर्थशास्त्री डॉ विद्यार्थी विकास का कहना है कि मंडी व्यवस्था खत्म होने से किसानों को नुकसान हुआ है. उनके आय में कमी आई है, क्योंकि केंद्र ने कृषि कानून को वापस ले लिया है तो वैसी स्थिति में बिहार सरकार को भी मंडी व्यवस्था फिर से लागू करने की दिशा में सोचना चाहिए. वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर सरकार ने जो व्यवस्था लागू किया है, वह किसानों के लिए लाभकारी नहीं हुआ है. ऐसे में पुरानी व्यवस्था की ओर ही लौटना चाहिए.

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Last Updated : Nov 21, 2021, 9:06 PM IST
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