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Population Control In Bihar: बिहार में क्यों जरूरी है जनसंख्या नियंत्रण, जानिए माननीयों की राय

बिहार में जनसंख्या नियंत्रण मामले पर सभी पार्टी के नेताओं के अलग अलग बयान हैं. जबकि सभी नेताओं के मुताबिक एक ही बात सामने आ रही है कि बिहार में जनसंख्या पर नियंत्रण करने के लिए लोगों को शिक्षित और जागरुक होने की जरुरत है. नेताओं का कहना है कि कुछ अनजान लोग हैं. उन लोगों को भी इस बारे में जागरुकता फैलाने की जरुरत है. पढ़ें पूरी खबर...

जनसंख्या नियंत्रण पर नेताओं का भाव
जनसंख्या नियंत्रण पर नेताओं का भाव
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Published : Mar 3, 2023, 1:20 PM IST

जनसंख्या नियंत्रण पर माननीयों की राय

पटना: बिहार राज्य विकास दर के मामले में बेहतर प्रदर्शन कर रहा है. वहीं राज्य में संसाधनों पर बढ़ती जनसंख्या का दबाव है. पूरे बिहार की जनसंख्या (Population in Bihar ) भी सरकार के सामने चुनौती खड़ी कर रही है. इस मामले पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी चिंता जाहिर की है. जनसंख्या नियंत्रण को लेकर सरकार मजबूत इरादों के साथ आगे बढ़ रही है. वहीं वोट बैंक की चिंता ने राजनीतिक दलों को काफी असमंजस में कर रखा है. बताया जाता है कि बिहार पिछड़ा होने के बावजूद विकास की सीढ़ियों पर तेजी से चढ़ रहा है.

संसाधनों में भारी कमी: राष्ट्रीय स्तर पर विकास के मामले में बिहार का प्रदर्शन काफी बेहतर बताया जाता है. जबकि राज्यभर में संसाधनों की कमी देखी जा रही है. इसके लिए राज्य के मुखिया नीतीश कुमार ने कहा है कि पूरे राज्य में काफी ज्यादा जनसंख्या का दबाव है. लिहाजा सरकार की नीतियां आम लोगों तक सही समय पर नहीं पहुंच पाती है. जिस कारण मुख्यमंत्री ने चिंता व्यक्त की है. जबकि राष्ट्रीय स्तर पर बिहार सबसे अधिक जनसंख्या घनत्व वाला राज्य है. यहां प्रति वर्ग किलोमीटर 1106 व्यक्ति निवास करते है.

12 करोड़ पार हुआ जनसंख्या: बिहार राज्य में 2012 की जनगणना के मुताबिक 99.2 मिलियन (करीब 10 करोड़) की आबादी है. जबकि अनुमान के मुताबिक यह आंकड़ा 12 करोड़ के पार जा चुका है. देशभर में बिहार राज्यों की जनसंख्या की दृष्टि से तीसरा और क्षेत्रफल की दृष्टि से 12वां राज्य बताया जा रहा है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारत में संतान उत्पत्ति दर में कमी आई है. बिहार जैसे राज्यों के लिए स्थिति खतरनाक दिख रही है. वहीं इन आंकड़ों ने सरकार को चिंता में डाल दिया.

पांच राज्यों की सूची: बताया जाता है कि राष्ट्रीय जन्म दर पहले 2.2 फीसदी थी. जबकि यह घटकर 2.0 हो गई है. बिहार में संतान उत्पत्ति दर राष्ट्रीय आंकड़े से ज्यादा है. जबकि बिहार में अभी भी संतान उत्पति दर 2.91 प्रतिशत है. राष्ट्रीय स्तर पर टॉप 5 संतान उत्पत्ति दर वाले राज्यों की सूची जारी की गई है. जिसमें बिहार 2.9, मेघालय 2.91, उत्तर प्रदेश 2.35, झारखंड 2.26, मणिपुर 2.17 प्रतिशत है. जबकि साल 2008 में बिहार सरकार ने नियम बनाया था कि जिनलोगों के 2 बच्चे से अधिक होंगे वह नगर निकाय चुनाव में हिस्सा नहीं ले सकता है.


कैसे हो जनसंख्या नियंत्रण: जनसंख्या नियंत्रण पर बात करते हुए कई नेताओं ने अपनी अलग अलग राय दी है. जबकि इसके लिए किस तरह से शुरुआत की जाए. इसपर भी अभी तक कोई बात नहीं बनी है. राजनीतिक दल अपने राजनीतिक हितों के मद्देनजर जनसंख्या नियंत्रण को देखते हैं. कुछ पार्टियों की वोट बैंक की चिंता की वजह से कुल जनसंख्या नियंत्रण को लेकर ठोस कदम नहीं उठाया जा सकता है.

नेताओं की राय: बीजेपी विधायक हरि भूषण ठाकुर ने चर्चा के दौरान कहा कि बिहार के सीमांचल इलाके में समुदाय विशेष की जनसंख्या में जबरदस्त इजाफा हुआ है. इस पर मुख्यमंत्री ने भी सहमति जताते हुए कहा कि यह चिंता का विषय है. बीजेपी का मानना है कि जनसंख्या नियंत्रण कानून के जरिए इस पर रोक लगाया जा सकता है. जबकि पूर्व मंत्री राणा रणधीर सिंह ने कहा है कि जनसंख्या नियंत्रण करने के लिए जागरूकता और कानून दोनों की दरकार है. सरकार को मजबूत कदम उठाने की जरूरत है.

कानून बनाकर नियंत्रण संभव नहीं: कांग्रेस विधायक डॉ शकील का मानना है कि जनसंख्या नियंत्रण के लिए जागरुकता सबसे जरूरी है. उनहोंनों बताया कि लोगों को अगर शिक्षित कर दिया जाए, तब जनसंख्या को नियंत्रित किया जा सकता है. वहीं भाकपा माले विधायक संदीप सौरभ का मानना है कि जनसंख्या नियंत्रण एक गंभीर विषय है. जनसंख्या नियंत्रण पर उन्होंने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण को कानून के जरिए नियंत्रित नहीं किया जा सकता.

शिक्षा के बल पर यह संभव: आरजेडी मुख्य प्रवक्ता भाई बिरेंद्र का मानना है कि जनसंख्या को नियंत्रित करने की जरूरत है. पूरे मसले पर नीतीश कुमार को ही निर्णय लेना है. जो भी उनका निर्णय होगा, हमलोग उस निर्णय के साथ हैं. जबकि जेडीयू विधायक शालिनी मिश्रा ने कहा कि इसे चिंता का विषय मानती हूं. जनसंख्या नियंत्रण जरूरी है. इसके लिए लोगों को शिक्षित और जागरूक कर ही नियंत्रित की जा सकती है. मंत्री जमां खान ने कहा कि इसके लिए शिक्षा जरूरी है. जहां भी शिक्षा का स्तर बढ़िया है, वहां जनसंख्या नियंत्रित है. बिहार ने भी ऐसा करके दिखाया है.

जनसंख्या नियंत्रण पर माननीयों की राय

पटना: बिहार राज्य विकास दर के मामले में बेहतर प्रदर्शन कर रहा है. वहीं राज्य में संसाधनों पर बढ़ती जनसंख्या का दबाव है. पूरे बिहार की जनसंख्या (Population in Bihar ) भी सरकार के सामने चुनौती खड़ी कर रही है. इस मामले पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी चिंता जाहिर की है. जनसंख्या नियंत्रण को लेकर सरकार मजबूत इरादों के साथ आगे बढ़ रही है. वहीं वोट बैंक की चिंता ने राजनीतिक दलों को काफी असमंजस में कर रखा है. बताया जाता है कि बिहार पिछड़ा होने के बावजूद विकास की सीढ़ियों पर तेजी से चढ़ रहा है.

संसाधनों में भारी कमी: राष्ट्रीय स्तर पर विकास के मामले में बिहार का प्रदर्शन काफी बेहतर बताया जाता है. जबकि राज्यभर में संसाधनों की कमी देखी जा रही है. इसके लिए राज्य के मुखिया नीतीश कुमार ने कहा है कि पूरे राज्य में काफी ज्यादा जनसंख्या का दबाव है. लिहाजा सरकार की नीतियां आम लोगों तक सही समय पर नहीं पहुंच पाती है. जिस कारण मुख्यमंत्री ने चिंता व्यक्त की है. जबकि राष्ट्रीय स्तर पर बिहार सबसे अधिक जनसंख्या घनत्व वाला राज्य है. यहां प्रति वर्ग किलोमीटर 1106 व्यक्ति निवास करते है.

12 करोड़ पार हुआ जनसंख्या: बिहार राज्य में 2012 की जनगणना के मुताबिक 99.2 मिलियन (करीब 10 करोड़) की आबादी है. जबकि अनुमान के मुताबिक यह आंकड़ा 12 करोड़ के पार जा चुका है. देशभर में बिहार राज्यों की जनसंख्या की दृष्टि से तीसरा और क्षेत्रफल की दृष्टि से 12वां राज्य बताया जा रहा है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारत में संतान उत्पत्ति दर में कमी आई है. बिहार जैसे राज्यों के लिए स्थिति खतरनाक दिख रही है. वहीं इन आंकड़ों ने सरकार को चिंता में डाल दिया.

पांच राज्यों की सूची: बताया जाता है कि राष्ट्रीय जन्म दर पहले 2.2 फीसदी थी. जबकि यह घटकर 2.0 हो गई है. बिहार में संतान उत्पत्ति दर राष्ट्रीय आंकड़े से ज्यादा है. जबकि बिहार में अभी भी संतान उत्पति दर 2.91 प्रतिशत है. राष्ट्रीय स्तर पर टॉप 5 संतान उत्पत्ति दर वाले राज्यों की सूची जारी की गई है. जिसमें बिहार 2.9, मेघालय 2.91, उत्तर प्रदेश 2.35, झारखंड 2.26, मणिपुर 2.17 प्रतिशत है. जबकि साल 2008 में बिहार सरकार ने नियम बनाया था कि जिनलोगों के 2 बच्चे से अधिक होंगे वह नगर निकाय चुनाव में हिस्सा नहीं ले सकता है.


कैसे हो जनसंख्या नियंत्रण: जनसंख्या नियंत्रण पर बात करते हुए कई नेताओं ने अपनी अलग अलग राय दी है. जबकि इसके लिए किस तरह से शुरुआत की जाए. इसपर भी अभी तक कोई बात नहीं बनी है. राजनीतिक दल अपने राजनीतिक हितों के मद्देनजर जनसंख्या नियंत्रण को देखते हैं. कुछ पार्टियों की वोट बैंक की चिंता की वजह से कुल जनसंख्या नियंत्रण को लेकर ठोस कदम नहीं उठाया जा सकता है.

नेताओं की राय: बीजेपी विधायक हरि भूषण ठाकुर ने चर्चा के दौरान कहा कि बिहार के सीमांचल इलाके में समुदाय विशेष की जनसंख्या में जबरदस्त इजाफा हुआ है. इस पर मुख्यमंत्री ने भी सहमति जताते हुए कहा कि यह चिंता का विषय है. बीजेपी का मानना है कि जनसंख्या नियंत्रण कानून के जरिए इस पर रोक लगाया जा सकता है. जबकि पूर्व मंत्री राणा रणधीर सिंह ने कहा है कि जनसंख्या नियंत्रण करने के लिए जागरूकता और कानून दोनों की दरकार है. सरकार को मजबूत कदम उठाने की जरूरत है.

कानून बनाकर नियंत्रण संभव नहीं: कांग्रेस विधायक डॉ शकील का मानना है कि जनसंख्या नियंत्रण के लिए जागरुकता सबसे जरूरी है. उनहोंनों बताया कि लोगों को अगर शिक्षित कर दिया जाए, तब जनसंख्या को नियंत्रित किया जा सकता है. वहीं भाकपा माले विधायक संदीप सौरभ का मानना है कि जनसंख्या नियंत्रण एक गंभीर विषय है. जनसंख्या नियंत्रण पर उन्होंने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण को कानून के जरिए नियंत्रित नहीं किया जा सकता.

शिक्षा के बल पर यह संभव: आरजेडी मुख्य प्रवक्ता भाई बिरेंद्र का मानना है कि जनसंख्या को नियंत्रित करने की जरूरत है. पूरे मसले पर नीतीश कुमार को ही निर्णय लेना है. जो भी उनका निर्णय होगा, हमलोग उस निर्णय के साथ हैं. जबकि जेडीयू विधायक शालिनी मिश्रा ने कहा कि इसे चिंता का विषय मानती हूं. जनसंख्या नियंत्रण जरूरी है. इसके लिए लोगों को शिक्षित और जागरूक कर ही नियंत्रित की जा सकती है. मंत्री जमां खान ने कहा कि इसके लिए शिक्षा जरूरी है. जहां भी शिक्षा का स्तर बढ़िया है, वहां जनसंख्या नियंत्रित है. बिहार ने भी ऐसा करके दिखाया है.

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