पटना: देश के कई राज्यों में प्याज बिना काटे ही सबको रुला रहा है. लेकिन लगातार बढ़ रहे दाम के पीछे का क्या कारण है. किसान विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले साल किसानों को प्याज का काफी नुकसान उठाना पड़ा था. सरकार इसके रखरखाव की व्यवस्था नहीं करती है. इस साल किसानों ने प्याज की खेती ही कम की, जिस कारण प्याज की मात्रा कम थी और मांग ज्यादा.
प्याज के दाम पर क्यों राजनीति?
प्रदेश में जिस तरह से लगातार प्याज के दाम बढ़ रहे हैं, इससे आम जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है. राजनीतिक पार्टियां एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाकर अपनी राजनीति चमका रहे हैं, लेकिन आम लोगों को प्याज सस्ते दामो में देने वाला कोई नहीं है. सरकार एक दो दिन हर वार्ड में 70 रुपये में 2 किलो प्याज बिस्कोमान के माध्यम से बेच रही थी. लेकिन अब वो भी लोगों को नहीं मिल रहा है.
प्याज के लिए अच्छे रखरखाव की व्यवस्था नहीं
शोधकर्ता किसान सीता राम ने बताया कि प्याज महंगाई का सबसे बड़ा कारण सरकार और व्यवस्था है. उसके बाद कहर बरपाने वाली बाढ़ है. उन्होंने कहा कि पिछले साल प्याज की पैदावार इतनी अच्छी हुई कि किसानों की मजदूरी तक नहीं निकली, क्योंकि प्याज की ज्यादा मात्रा में उपजने के कारण प्याज का रेट गिर गया. लोगों ने प्याज खरीदा नहीं और वो फेंका गया. वहीं, प्याज के रखरखाव करने के लिए भी सरकार की कोई व्यवस्था नहीं है. राज्य के अधिकांश कोल्डस्टोरेज जर्जर और बदहाल हैं, इसलिये सभी प्याज सड़ गये.
क्या है प्याज महंगा होने का कारण?
सीता राम ने कहा कि इस बार किसानों ने डरते-डरते प्याज की खेती कम की और उसके बाद कई राज्यों में बाढ़ आ गयी. जिस कारण प्याज की पैदावार सही रूप से कहीं नहीं हो पाई. उन्होंने कहा कि नासिक महाराष्ट्र से भी प्याज का आयात-निर्यात नहीं हुआ. वहीं, बिचौलिया भी स्टॉक कर प्याज को महंगा कर दिया. इसके बाद से सरकार से लेकर जनता तक सब परेशान हो गये. सबको महंगाई का सामना करना पड़ रहा है.