पटनाः बिहार के पटना में नियोजित शिक्षकों का प्रदर्शन दूसरे दिन भी जारी रहा. बिहार में शिक्षक बहाली को लेकर जारी नई नियमावली का विरोध किया जा रहा है. नियोजित शिक्षकों की मांग है कि उन्हें बिना परीक्षा लिए राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाए, क्योंकि चुनाव से पहले सरकार ने वादा किया था. शिक्षकों ने कहा कि हमलोगों ने इतने दिनों तक मेहनत की. पहले ठीक थे और आज अयोग्य हो गए हैं?
पटना में शिक्षकों का प्रदर्शनः मंगलवार से ही पटना में शिक्षकों का प्रदर्शन हो रहा है. बिहार के विभिन्न जिलों से नियोजित शिक्षक पटना के गर्दनीबाग में दो दिवसीय धरना पर हैं. बुधवार को भी धरना प्रदर्शन किया गया. बुधवार को 'डेरा डालो घेरा डालो अभियान' के तहत नियोजित शिक्षक स्थानीय विधायक और विधान पार्षदों के आवास पर डेरा डाले हुए हैं. नियोजित शिक्षकों का कहना है कि सरकार यदि राज्य कर्मी नहीं बनाती है तो सरकार की ईंट से ईंट बजा देंगे.
सरकार की ईंट से ईंट बजा देंगेः बिहार पंचायत नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष प्रमोद कुमार ने कहा कि पूर्व से निर्धारित कार्यक्रम के तहत गर्दनीबाग में धरना प्रदर्शन के बाद दूसरे दिन आज डेरा डालो घेरा डालो अभियान चल रहा है. उनकी मांग है कि नियोजित शिक्षकों को बिना किसी शर्त के सीधे राज्य कर्मी का दर्जा दिया जाए और सम्मान जनक वेतन दिया जाए. अगर ऐसा नहीं होता है तो सरकार की ईंट से ईंट बजाने के लिए नियोजित शिक्षक तैयार हैं.
"बिना शर्त नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाए. इसी मांग को लेकर हमलोग प्रदर्शन कर रहे हैं. अगर हमारी मांग को नहीं माना जाता है तो हमलोग सरकार की ईंट से ईंट बजा देंगे. अपनी मांग को लेकर डेरा डालो घेरा डालो अभियान चला रहे हैं." -प्रमोद कुमार, अध्यक्ष, बिहार पंचायत नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ
सरकार के प्रति आक्रोशः बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष मनोज कुमार ने सरकार के प्रति आक्रोश जताया. मनोज ने कहा कि महागठबंधन सरकार ने पूर्व में यह वादा किया था कि सरकार बनने पर नियोजित शिक्षकों को राज्य कर्मी का दर्जा देंगे. इसी मांग को लेकर शिक्षक प्रदर्शन कर रहे हैं. राज्यकर्मी का दर्जा देने के साथ-साथ पुरानी पेंशन नीति को भी लागू किया जाए. मांग पूरी नहीं होती है विद्यालयों में तालाबंदी भी की जा सकती है. बता दें कि गुरुवार को BJP का शिक्षकों की मांग को लेकर राजभवन मार्च है, जिसका नियोजित शिक्षक समर्थन कर रहे हैं.
"सरकार ने चुनाव से पूर्व वादा किया था कि नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाएगा, लेकिन अब सरकार अपने वादे को भूल बीपीएसपी से परीक्षा करवा रही है. इसी के विरोध में प्रदर्शन किया जा रहा है. सरकार अगर हमलोगों की मांग को नहीं मानती है तो आने वाले समय में स्कूल में तालाबंदी की जाएगी." -मनोज कुमार, प्रदेश अध्यक्ष, बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ
सरकार को खरी खोटी सुनाईः अपनी मांगो को लेकर प्रदर्शन करने आई शिक्षिका ने भी सरकार को खूब खरी खोटी सुनाई. शिक्षिका गीता झा ने कहा कि वे विद्यालय में हेड मास्टर की पद पर हैं. वर्षों से विद्यालय में पढ़ा रही हैं. 18 वर्ष पहले जब उन्होंने विद्यालय ज्वाइन किया था तब आठवीं कक्षा में मात्र 9 बच्चे पढ़ाई करते थे. आज 132 बच्चे पढ़ रहे हैं. आज उन लोगों के शैक्षणिक गुणवत्ता पर सरकार सवाल उठा रही है. वर्षों से कार्यरत शिक्षकों को शिक्षक अभ्यर्थियों के साथ परीक्षा में बैठाना अपमानजनक रवैया है.
"अभ्यर्थियों के साथ शिक्षकों को परीक्षा में बैठाना अपमानजनक है. मैं 18 साल से स्कूल में बच्चों को पढ़ा रही हूं. क्या अब हमलोग बच्चों को नहीं पढ़ा सकते हैं. इतने वर्षों से हमलोग ठीक थे और आज अयोग्य हो गए हैं. हमलोगों की मांग है कि सरकार राज्यकर्मी का दर्जा देने का काम करें. हमलोगों के बदौलत मिडिल स्कूल उतक्रमित हो गया. आज सरकार हमलोगों की योग्यता पर सवाल उठा रही है." -गीता झा, शिक्षिका
बिना शर्त राज्यकर्मी का दर्जा की मांगः बिहार सरकार ने शिक्षक बहाली को लेकर नई नियमावली जारी की है, जिसमें बीपीएसपी के माध्यम से शिक्षकों की बहाली होगी. बीपीएससी से बहाल होने वाले शिक्षक राज्यकर्मी होंगे. इसमें यह भी प्रावधान है कि जो नियोजित शिक्षक राज्यकर्मी का दर्जा पाना चाहते हैं, वे भी इस परीक्षा में भाग ले सकते हैं. इसी नियमावली को लेकर विवाद है. नियोजित शिक्षक बिना शर्त राज्यकर्मी का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं.