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Mission 2024: जार्ज फर्नांडिस और शरद यादव जैसे क्रूशियल रोल में दिखेंगे CM नीतीश! नए UPA में अहम जिम्मेदारी

कभी एनडीए के लिए जॉर्ज फर्नांडिस और शरद यादव ने कोऑर्डिनेटर (संयोजक) की भूमिका निभाई थी. कहा जा रहा है कि अब बिहार के सीएम नीतीश कुमार भी कुछ वैसी ही भूमिका नए यूपीए में निभा सकते हैं. नीतीश को विपक्ष को एकजुट करने के लिए संयोजक की जिम्मेदारी मिल सकती है.

Nitish Kumar will play important role in UPA
Nitish Kumar will play important role in UPA
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Published : Apr 13, 2023, 5:20 PM IST

बिहार के सीएम नीतीश को मिलेगी देश की राजनीति में अहम जिम्मेदारी

पटना: बिहार में महागठबंधन के साथ जाकर सरकार बनाने के बाद अब सीएम नीतीश कुमार एक बार फिर से सक्रिय हो गए हैं. मिशन 2024 को लेकर नीतीश विपक्षी एकजुटता पर काम कर रहे हैं, इस बार नीतीश का ये तीसरा दिल्ली दौरा है. दिल्ली में उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी और राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के साथ लंबी वार्ता की. ऐसे में माना जा रहा है कि नीतीश कुमार को नए यूपीए का संयोजक बनाने की घोषणा की जा सकती है.

पढ़ें- Jitan Ram Manjhi : 'मरते दम तक नीतीश के साथ रहेंगे, NDA में जाने का सवाल ही नहीं'

यूपीए में नीतीश कुमार निभाएंगे अहम भूमिका: फरवरी 2023 में पटना में विपक्षी दलों के साथ बैठक करने के बाद सीएम नीतीश शांत हो गए थे.सीपीआईएमएल के कन्वेंशन में नीतीश को विपक्ष का नेता मानने को लेकर बात नहीं बनी थी. लेकिन इस बार कांग्रेस के साथ हुई बैठक के बाद नीतीश सक्रिय हो गए हैं. कांग्रेस ने नीतीश कुमार को विपक्ष को एकजुट करने की बड़ी जिम्मेदारी दी है. उसके बाद नीतीश कुमार ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से भी मुलाकात की और केजरीवाल ने विपक्षी एकजुटता के प्रयास के लिए नीतीश कुमार की तारीफ भी की.

केजरीवाल से मिला सकारात्मक जवाब: वहीं दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने नीतीश कुमार को साथ देने का आश्वासन भी दिया है, यह एक बड़ी उपलब्धि है. सीएम नीतीश अपने दिल्ली दौरे के दौरान कई नेताओं से मुलाकात की है. कांग्रेस और जदयू के नेताओं के साथ ही राजनीतिक विशेषज्ञों का भी मानना है कि नीतीश कुमार विपक्षी एकजुटता के लिये कोऑर्डिनेटर की भूमिका अदा करेंगे. उन दलों के नेताओं से बात करेंगे, जिन्होंने आजतक कांग्रेस से परहेज कर रखा है. फिर एक महीने में सभी की बैठक भी बुलाएंगे और आगे की रणनीति फिर तय होगी.

"नीतीश कुमार निश्चित रूप से कोऑर्डिनेटर की भूमिका ही निभाएंगे. राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे के साथ हुई बैठक के बाद कांग्रेस पार्टी ने उनके ऊपर बड़ी जिम्मेवारी दी है जो दल कांग्रेस के साथ मुखर नहीं है, उन सब से बातचीत करेंगे. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर और अन्य दलों के नेताओं से उनकी बात होगी और फिर 1 महीने बाद आगे की रणनीति तय की जाएगी."- संतोष मिश्र, कांग्रेस विधायक

"मुख्यमंत्री विपक्ष को एकजुट करने में लगे हैं. मुख्यमंत्री ने पहले ही कह दिया है कि हम प्रधानमंत्री पद के दावेदार नहीं हैं. ऐसे में विपक्ष को एकजुट कर 2024 में नरेंद्र मोदी को हटाएंगे और विपक्ष की सरकार बनेगी. इसी के लिए प्रयास कर रहे हैं."- जयंत राज, मंत्री, बिहार सरकार

"नीतीश कुमार किस भूमिका में होंगे, उस बैठक में क्या कुछ तय हुआ है, यह तो वही लोग बताएंगे. लेकिन कुछ भी कर लें कोई लाभ होने वाला नहीं है. नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं और आगे भी प्रधानमंत्री बनेंगे."- संजय सरावगी, बीजेपी विधायक

"जो काम कभी एनडीए के लिए जॉर्ज फर्नांडिस और शरद यादव ने किया अब वही कोऑर्डिनेटर की भूमिका नीतीश कुमार यूपीए के लिए करने जा रहे हैं. जिन दलों से कांग्रेस बात नहीं कर सकती है तो नीतीश कुमार उन दलों को विपक्ष के फोल्डर में लाने की कोशिश करेंगे. लेकिन इन लोगों के बीच सबसे बड़ी समस्या प्रधानमंत्री पद के चेहरे को लेकर है. बीजेपी के खिलाफ एकजुट होकर एक उम्मीदवार देना भी आसान नहीं होगा. नीतीश कुमार के लिये ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, केसीआर, मायावती, अखिलेश यादव सबको कांग्रेस के साथ लाना आसान नहीं होगा."- अरुण पांडे राजनीतिक विशेषज्ञ

इन नेताओं को साधने की कोशिश करेंगे नीतीश: ऐसे दिल्ली में बैठक के बाद संयुक्त रूप से जिस प्रकार से प्रेस कॉन्फ्रेंस किया गया और उसके बाद कांग्रेस जदयू नेताओं ने जो संकेत दिया है उससे साफ है नीतीश कुमार अब बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन, एनसीपी के शरद पवार, इंडियन नेशनल लोकदल के ओम प्रकाश चौटाला, जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा प्रमुख अखिलेश यादव, वहीं वामपंथी दल के नेता डी राजा, दीपांकर भट्टाचार्य सहित कई नेताओं से बातचीत करेंगे.

जार्ज फर्नांडिस और शरद यादव जैसी भूमिका में दिखेंगे नीतीश: अब सीएम नीतीश ठीक उसी भूमिका में दिखेंगे जिस भूमिका में कभी जार्ज फर्नांडिस और शरद यादव दिखते थे. साल 1998 में कांग्रेस का मुकाबला करने में तीसरे मोर्चे की सरकार कुछ ही महीनों में बिखर गई थी. बीजेपी के साथ आने के लिए कोई भी दल तैयार नहीं था. उस दौरान समता पार्टी के अध्यक्ष रहे जार्ज फर्नांडिस ने भाजपा का साथ दिया और एनडीए की कॉर्डिनेटर बनें. जार्ज फर्नांडिस ने क्षेत्रीय दलों को साथ लाने के लिए मुहिम चलाई. उनके प्रयासों का नतीजा ही था कि 1999 में एनडीए की सरकार बनी. एनडीए की सरकार 2004 तक चली. जार्ज फर्नांडिस के साथ साथ शरद यादव ने भी बीजेपी के संयोजक के रूप में काम किया. उस समय जो वक्त के तकाजे के अनुसार जार्ज और शरद को अहल रोल दिया गया था. एक बार फिर से वैसे ही हालात बने हुए हैं और माना जा रहा है कि नई यूपीए में नीतीश कुमार, क्रूशियल रोल निभाएंगे. देश की राजनीति में बिहार की भूमिका हमेशा से खास रही है. अब देखना दिलचस्प होगा कि नीतीश कुमार को कौन सा रोल दिया जाता है. फिलहाल वेट एंड वॉच की स्थिति बनी हुई है.

बिहार के सीएम नीतीश को मिलेगी देश की राजनीति में अहम जिम्मेदारी

पटना: बिहार में महागठबंधन के साथ जाकर सरकार बनाने के बाद अब सीएम नीतीश कुमार एक बार फिर से सक्रिय हो गए हैं. मिशन 2024 को लेकर नीतीश विपक्षी एकजुटता पर काम कर रहे हैं, इस बार नीतीश का ये तीसरा दिल्ली दौरा है. दिल्ली में उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी और राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के साथ लंबी वार्ता की. ऐसे में माना जा रहा है कि नीतीश कुमार को नए यूपीए का संयोजक बनाने की घोषणा की जा सकती है.

पढ़ें- Jitan Ram Manjhi : 'मरते दम तक नीतीश के साथ रहेंगे, NDA में जाने का सवाल ही नहीं'

यूपीए में नीतीश कुमार निभाएंगे अहम भूमिका: फरवरी 2023 में पटना में विपक्षी दलों के साथ बैठक करने के बाद सीएम नीतीश शांत हो गए थे.सीपीआईएमएल के कन्वेंशन में नीतीश को विपक्ष का नेता मानने को लेकर बात नहीं बनी थी. लेकिन इस बार कांग्रेस के साथ हुई बैठक के बाद नीतीश सक्रिय हो गए हैं. कांग्रेस ने नीतीश कुमार को विपक्ष को एकजुट करने की बड़ी जिम्मेदारी दी है. उसके बाद नीतीश कुमार ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से भी मुलाकात की और केजरीवाल ने विपक्षी एकजुटता के प्रयास के लिए नीतीश कुमार की तारीफ भी की.

केजरीवाल से मिला सकारात्मक जवाब: वहीं दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने नीतीश कुमार को साथ देने का आश्वासन भी दिया है, यह एक बड़ी उपलब्धि है. सीएम नीतीश अपने दिल्ली दौरे के दौरान कई नेताओं से मुलाकात की है. कांग्रेस और जदयू के नेताओं के साथ ही राजनीतिक विशेषज्ञों का भी मानना है कि नीतीश कुमार विपक्षी एकजुटता के लिये कोऑर्डिनेटर की भूमिका अदा करेंगे. उन दलों के नेताओं से बात करेंगे, जिन्होंने आजतक कांग्रेस से परहेज कर रखा है. फिर एक महीने में सभी की बैठक भी बुलाएंगे और आगे की रणनीति फिर तय होगी.

"नीतीश कुमार निश्चित रूप से कोऑर्डिनेटर की भूमिका ही निभाएंगे. राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे के साथ हुई बैठक के बाद कांग्रेस पार्टी ने उनके ऊपर बड़ी जिम्मेवारी दी है जो दल कांग्रेस के साथ मुखर नहीं है, उन सब से बातचीत करेंगे. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर और अन्य दलों के नेताओं से उनकी बात होगी और फिर 1 महीने बाद आगे की रणनीति तय की जाएगी."- संतोष मिश्र, कांग्रेस विधायक

"मुख्यमंत्री विपक्ष को एकजुट करने में लगे हैं. मुख्यमंत्री ने पहले ही कह दिया है कि हम प्रधानमंत्री पद के दावेदार नहीं हैं. ऐसे में विपक्ष को एकजुट कर 2024 में नरेंद्र मोदी को हटाएंगे और विपक्ष की सरकार बनेगी. इसी के लिए प्रयास कर रहे हैं."- जयंत राज, मंत्री, बिहार सरकार

"नीतीश कुमार किस भूमिका में होंगे, उस बैठक में क्या कुछ तय हुआ है, यह तो वही लोग बताएंगे. लेकिन कुछ भी कर लें कोई लाभ होने वाला नहीं है. नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं और आगे भी प्रधानमंत्री बनेंगे."- संजय सरावगी, बीजेपी विधायक

"जो काम कभी एनडीए के लिए जॉर्ज फर्नांडिस और शरद यादव ने किया अब वही कोऑर्डिनेटर की भूमिका नीतीश कुमार यूपीए के लिए करने जा रहे हैं. जिन दलों से कांग्रेस बात नहीं कर सकती है तो नीतीश कुमार उन दलों को विपक्ष के फोल्डर में लाने की कोशिश करेंगे. लेकिन इन लोगों के बीच सबसे बड़ी समस्या प्रधानमंत्री पद के चेहरे को लेकर है. बीजेपी के खिलाफ एकजुट होकर एक उम्मीदवार देना भी आसान नहीं होगा. नीतीश कुमार के लिये ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, केसीआर, मायावती, अखिलेश यादव सबको कांग्रेस के साथ लाना आसान नहीं होगा."- अरुण पांडे राजनीतिक विशेषज्ञ

इन नेताओं को साधने की कोशिश करेंगे नीतीश: ऐसे दिल्ली में बैठक के बाद संयुक्त रूप से जिस प्रकार से प्रेस कॉन्फ्रेंस किया गया और उसके बाद कांग्रेस जदयू नेताओं ने जो संकेत दिया है उससे साफ है नीतीश कुमार अब बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन, एनसीपी के शरद पवार, इंडियन नेशनल लोकदल के ओम प्रकाश चौटाला, जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा प्रमुख अखिलेश यादव, वहीं वामपंथी दल के नेता डी राजा, दीपांकर भट्टाचार्य सहित कई नेताओं से बातचीत करेंगे.

जार्ज फर्नांडिस और शरद यादव जैसी भूमिका में दिखेंगे नीतीश: अब सीएम नीतीश ठीक उसी भूमिका में दिखेंगे जिस भूमिका में कभी जार्ज फर्नांडिस और शरद यादव दिखते थे. साल 1998 में कांग्रेस का मुकाबला करने में तीसरे मोर्चे की सरकार कुछ ही महीनों में बिखर गई थी. बीजेपी के साथ आने के लिए कोई भी दल तैयार नहीं था. उस दौरान समता पार्टी के अध्यक्ष रहे जार्ज फर्नांडिस ने भाजपा का साथ दिया और एनडीए की कॉर्डिनेटर बनें. जार्ज फर्नांडिस ने क्षेत्रीय दलों को साथ लाने के लिए मुहिम चलाई. उनके प्रयासों का नतीजा ही था कि 1999 में एनडीए की सरकार बनी. एनडीए की सरकार 2004 तक चली. जार्ज फर्नांडिस के साथ साथ शरद यादव ने भी बीजेपी के संयोजक के रूप में काम किया. उस समय जो वक्त के तकाजे के अनुसार जार्ज और शरद को अहल रोल दिया गया था. एक बार फिर से वैसे ही हालात बने हुए हैं और माना जा रहा है कि नई यूपीए में नीतीश कुमार, क्रूशियल रोल निभाएंगे. देश की राजनीति में बिहार की भूमिका हमेशा से खास रही है. अब देखना दिलचस्प होगा कि नीतीश कुमार को कौन सा रोल दिया जाता है. फिलहाल वेट एंड वॉच की स्थिति बनी हुई है.

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