पटना: बिहार में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के नेतृत्व में एनडीए की सरकार चल रही है, बीजेपी उसमें प्रमुख भागीदार है. केंद्र में भी एनडीए की सरकार है, लेकिन जदयू 16 सांसदों के बावजूद सरकार से बाहर है. कहीं ना कहीं इसकी टीस नीतीश कुमार और जदयू के वरिष्ठ नेताओं को है. ऐसे में सीएम ने पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को सरकार के 7 साल पूरे होने पर बधाई नहीं दी. इस पर विपक्ष हमलावर है.
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नीतीश पर विपक्ष हमलावर
नरेंद्र मोदी सरकार के 2 साल पूरे हो गए हैं. पिछले कार्यकाल को अगर जोड़ दें तो 7 साल पूरे हो गये हैं. लेकिन नीतीश कुमार और जदयू के नेताओं ने बधाई तक नहीं दी. बात-बात में ट्वीट करने वाले नीतीश कुमार और जदयू के नेता केंद्र सरकार की 7 साल की उपलब्धियों पर फिलहाल चुप्पी साधे हुए हैं. इस पर आरजेडी ने तंज कसते हुए कहा कि कुछ ना कुछ खटपट जरूर है. इसलिए नीतीश कुमार अब पीएम को बधाई देने से भी बच रहे हैं.
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'बीजेपी और जदयू साथ-साथ काम कर रही है. नरेंद्र मोदी की सरकार ने पिछले 7 सालों में स्वास्थ्य, शिक्षा सहित कई क्षेत्रों में बड़े कदम उठाए हैं और राम मंदिर निर्माण, तीन तलाक, सीएए, 370 जैसे बड़े विवादित मुद्दों पर भी निर्णय हुआ है. ऐसे में यदि कोई बधाई नहीं देता है तो यह कोई बड़ा मामला नहीं है.'- विनोद शर्मा, बीजेपी प्रवक्ता
सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं जदयू नेता
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पार्टी के वरिष्ठ नेता सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं. छोटे-छोटे मामलों में भी ट्वीट करने से पीछे नहीं रहते हैं, लेकिन केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार के 7 साल पूरे होने पर नीतीश कुमार और उनकी पार्टी के नेताओं ने बधाई देना भी मुनासिब नहीं समझा. जबकि ममता बनर्जी को जीत के लिए सीएम ने खुले मन से बधाई दी थी.
'30 मई को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के 7 साल पूरे हो गये और आश्चर्य है कि नीतीश कुमार अब तक बधाई नहीं दिये हैं. कुछ ना कुछ खटपट जरूर है. इससे हम लोगों को कोई लेना-देना नहीं है लेकिन बिहार की जनता तो जरूर जानना चाहेगी.'- मृत्युंजय तिवारी, प्रवक्ता आरजेडी
क्या है वजह
बिहार में एनडीए में बीजेपी प्रमुख भागीदार है. बीजेपी को बिहार में 74 सीटें मिली हैं. लेकिन बीजेपी ने नीतीश कुमार को 43 सीट लाने पर भी मुख्यमंत्री बनाया है. सरकार में बीजेपी कोटे से 2-2 उपमुख्यमंत्री और जदयू के मुकाबले अधिक मंत्री हैं. लेकिन केंद्र का मामला आते ही स्थिति बदल जाती है.
केंद्र में बीजेपी ने जदयू को सरकार से ही बाहर रखा है. नरेंद्र मोदी सरकार के 7 साल पूरे होने पर जदयू ने चुप्पी साध रखी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने भी बधाई नहीं दी है. साथ ही केंद्र सरकार के कामकाज पर भी बोलने से बच रहे हैं.
क्या कहते हैं राजनीतिक विशेषज्ञ
प्रोफेसर अजय झा का कहना है कि नीतीश कुमार, नरेंद्र मोदी के साथ रहते हुए भी कभी सहज नहीं रहे हैं. नीतीश कुमार की अपनी महत्वाकांक्षा भी है. यह एक बड़ा कारण है कि सीएम कभी भी नरेंद्र मोदी के पक्ष में खुलकर बड़ाई करते हुए नजर नहीं आते हैं. नीतीश कुमार केंद्र में जदयू की भागीदारी मिलने की उम्मीद भी लगा रखी होगी लेकिन अभी तक नहीं मिली.
नहीं हुआ मंत्रिमंडल का विस्तार
बंगाल चुनाव से पहले चर्चा थी कि मंत्रिमंडल का विस्तार होगा और जदयू खेमे से भी मंत्री बनाए जाएंगे लेकिन मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हुआ. अब अगले साल उत्तर प्रदेश में चुनाव होना है. एक बार फिर से यह चर्चा होने लगी है कि मंत्रिमंडल का विस्तार हो सकता है. लेकिन चिराग पासवान को लेकर नीतीश कुमार की नाराजगी पहले से है.
रामविलास पासवान के निधन के बाद लोजपा की भी एक मंत्री पद की दावेदारी है. ऐसे में अब देखना है कि यूपी चुनाव से पहले मंत्रिमंडल का अगर विस्तार होता है तो चिराग पासवान को दूर रख कर नरेंद्र मोदी की सरकार जदयू को भागीदार बनाती है या नहीं.
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