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'सर मैं नीतीश कुमार... मेरा ही नाम रखे हुए हैं... हा.. हा.. हा...'

सोमवार को नीतीश कुमार के जनता दरबार में कई लोग अपनी समस्याओं को लेकर पहुंचे. इस दौरान कई बार हंसी-मजाक भी हुआ. आगे पढ़ें पूरी खबर...

nitish kumar laughing
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Published : Oct 11, 2021, 4:14 PM IST

पटना: नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के जनता दरबार में सैकड़ों फरियादी पहुंचे. शिकायत सुनने के दौरान मुख्यमंत्री कई बार हंसी ठहाके भी लगाते नजर खासर. खासकर दो मौके पर जब उनके नाम का ही फरियादी पहुंचा तो नीतीश कुमार खुद को रोक नहीं पाए. हंसकर कहा कि मेरा ही नाम रखे हैं.

ये भी पढ़ें- OBC के छात्रों ने कहा- 4 साल बीत चुके अब तक नहीं मिली प्रोत्साहन राशि, CM बोले- मेरे नाम का है... देख लीजिए

दरअसल, कैमूर जिला से एक युवक अपनी फरियाद लेकर पहुंचा. उसने जैसे ही कहा कि मेरा नाम नीतीश कुमार है तो सीएम ने कहा कि मेरा ही नाम रखे हैं. आज के दिन बड़ा नाम हो गया है. फरियादी नीतीश कुमार ने कहा कि 'आरा के अस्पताल में कार्यरत हूं. डाटा ऑपरेटर का काम करता हूं. राज्य सेवा समिति के द्वारा जो सैलरी हमलोगों के लिए निर्धारित की गयी है वह नहीं दी जा रही है.'

देखें वीडियो.

फरियादी की बात सुनकर मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य विभाग के पास उसे भेज दिया. इससे पहले भी नीतीश कुमार नामक एक छात्र समस्तीपुर से शिकायत लेकर पहुंचा था. प्रोत्साहन राशि नहीं मिलने को लेकर शिकायत की थी. उसवक्त मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि देख लीजिए मेरे ही नाम का है.

बता दें कि सीएम नीतीश कुमार ने अप्रैल, 2006 में जनता दरबार शुरू किया था. 10 सालों तक जनता दरबार कार्यक्रम मुख्यमंत्री ने किया. मई, 2016 में लोक शिकायत निवारण कानून बनने के बाद नीतीश कुमार ने जनता दरबार कार्यक्रम को बंद कर दिया. 10 सालों में 241 जनता दरबार का कार्यक्रम मुख्यमंत्री ने किया. 10 सालों में 2,77,249 मामले सामने आए जिसका निष्पादन किया गया है. 5 साल बाद फिर जनता दरबार कार्यक्रम शुरू होने जा रहा है. जनता दरबार के लिए इस बार मुख्यमंत्री सचिवालय परिसर में बड़ा सा हॉल बनाया गया है.

पहले मुख्यमंत्री आवास में जनता दरबार शुरू हुआ था और 10 सालों तक मुख्यमंत्री आवास परिसर में ही जनता दरबार लगता रहा. मुख्यमंत्री के जनता दरबार में संबंधित विभाग के मंत्री और सभी आला अधिकारी भी मौजूद रहते हैं और दरबार से ही समस्याओं का निदान कराने की कोशिश होती रही है. पहले जनता दरबार में कई बार हंगामा भी हुआ और मुख्यमंत्री पर चप्पल तक फेंका गया. महागठबंधन में जाने के बाद भी मुख्यमंत्री ने जनता दरबार कार्यक्रम बंद नहीं किया.

जनता दरबार में कोरोना गाइडलाइन (Corona Guideline) का सख्ती से पालन किया गया. बाहर से जो भी शिकायतकर्ता जनता दरबार में आए, उनकी कोरोना जांच के साथ वैक्सीनेशन भी किया गया. हालांकि जनता दरबार में जहां पहले बड़ी संख्या में लोग पहुंचते थे, वहीं अब कोरोना के कारण सीमित संख्या में ही लोगों को आने की अनुमति दी जा रही है.

पटना: नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के जनता दरबार में सैकड़ों फरियादी पहुंचे. शिकायत सुनने के दौरान मुख्यमंत्री कई बार हंसी ठहाके भी लगाते नजर खासर. खासकर दो मौके पर जब उनके नाम का ही फरियादी पहुंचा तो नीतीश कुमार खुद को रोक नहीं पाए. हंसकर कहा कि मेरा ही नाम रखे हैं.

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दरअसल, कैमूर जिला से एक युवक अपनी फरियाद लेकर पहुंचा. उसने जैसे ही कहा कि मेरा नाम नीतीश कुमार है तो सीएम ने कहा कि मेरा ही नाम रखे हैं. आज के दिन बड़ा नाम हो गया है. फरियादी नीतीश कुमार ने कहा कि 'आरा के अस्पताल में कार्यरत हूं. डाटा ऑपरेटर का काम करता हूं. राज्य सेवा समिति के द्वारा जो सैलरी हमलोगों के लिए निर्धारित की गयी है वह नहीं दी जा रही है.'

देखें वीडियो.

फरियादी की बात सुनकर मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य विभाग के पास उसे भेज दिया. इससे पहले भी नीतीश कुमार नामक एक छात्र समस्तीपुर से शिकायत लेकर पहुंचा था. प्रोत्साहन राशि नहीं मिलने को लेकर शिकायत की थी. उसवक्त मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि देख लीजिए मेरे ही नाम का है.

बता दें कि सीएम नीतीश कुमार ने अप्रैल, 2006 में जनता दरबार शुरू किया था. 10 सालों तक जनता दरबार कार्यक्रम मुख्यमंत्री ने किया. मई, 2016 में लोक शिकायत निवारण कानून बनने के बाद नीतीश कुमार ने जनता दरबार कार्यक्रम को बंद कर दिया. 10 सालों में 241 जनता दरबार का कार्यक्रम मुख्यमंत्री ने किया. 10 सालों में 2,77,249 मामले सामने आए जिसका निष्पादन किया गया है. 5 साल बाद फिर जनता दरबार कार्यक्रम शुरू होने जा रहा है. जनता दरबार के लिए इस बार मुख्यमंत्री सचिवालय परिसर में बड़ा सा हॉल बनाया गया है.

पहले मुख्यमंत्री आवास में जनता दरबार शुरू हुआ था और 10 सालों तक मुख्यमंत्री आवास परिसर में ही जनता दरबार लगता रहा. मुख्यमंत्री के जनता दरबार में संबंधित विभाग के मंत्री और सभी आला अधिकारी भी मौजूद रहते हैं और दरबार से ही समस्याओं का निदान कराने की कोशिश होती रही है. पहले जनता दरबार में कई बार हंगामा भी हुआ और मुख्यमंत्री पर चप्पल तक फेंका गया. महागठबंधन में जाने के बाद भी मुख्यमंत्री ने जनता दरबार कार्यक्रम बंद नहीं किया.

जनता दरबार में कोरोना गाइडलाइन (Corona Guideline) का सख्ती से पालन किया गया. बाहर से जो भी शिकायतकर्ता जनता दरबार में आए, उनकी कोरोना जांच के साथ वैक्सीनेशन भी किया गया. हालांकि जनता दरबार में जहां पहले बड़ी संख्या में लोग पहुंचते थे, वहीं अब कोरोना के कारण सीमित संख्या में ही लोगों को आने की अनुमति दी जा रही है.

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