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Bihar Floor Test.. बिहार विधानसभा में विश्वासमत ध्वनिमत से पारित - Speaker Vijay Kumar Sinha resigns

जिसका कयास पहले से लगाया जा रहा था वही देखने को मिला. बिहार विधानमंडल के विशेष सत्र के दौरान जमकर हंगामा हुआ. विपक्ष की ओर से तारकिशोर प्रसाद ने नीतीश सरकार को घेरा. वहीं सत्ता पक्ष से विजय चौधरी ने जवाब दिया. नीतीश कुमार भी विपक्ष पर जमकर हमला करते नजर आए.

CM Nitish Kumar
CM Nitish Kumar
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Published : Aug 24, 2022, 10:07 AM IST

Updated : Aug 24, 2022, 6:44 PM IST

पटना : बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार ने आज विधानसभा में विश्वास मत हासिल कर लिया. नवगठित महागठबंधन सरकार के विश्वास मत हासिल करने के लिए बुधवार को विधानसभा की आहूत बैठक में नीतीश सरकार के पक्ष में 160 सदस्यों ने वोट किया. वहीं, विपक्षी सदस्यों के सदन से वॉकआउट के कारण सरकार के विपक्ष में एक भी मत नहीं पड़े.

ये भी पढ़ेंः विजय सिन्हा पर भड़के RJD सांसद मनोज झा, कहा.. स्पीकर को संसदीय आचरण का पालन करना चाहिए

नीतीश सरकार को जेडीयू, आरजेडी कांग्रेस, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी-लेनिनवादी (भाकपा-माले) और एक निर्दलीय समेत 164 सदस्यों का समर्थन प्राप्त है. लेकिन, बीमार होने के कारण जेडीयू के विजेंद्र प्रसाद यादव और बीमा भारती व अन्य वजह से भाकपा के सूर्यकांत पासवान और हम के प्रफुल्ल मांझी आज सदन में उपस्थित नहीं हो सके.

ऐसे में नीतीश सरकार के पक्ष में 160 सदस्यों ने विश्वास जताया, जिसमें ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अख्तरुल ईमान भी शामिल हैं. सदन का संचालन विधानसभा उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी ने किया, इसलिए वह मतदान में शामिल नहीं हुए.

फ्लोर टेस्ट के दौरान किसने क्या कहा :

नीतीश कुमार ने कहा, "मेरे खिलाफ अनाप शनाप बोलेंगे तो बीजेपी में आगे मौका मिलेगा. हमलोगों के खिलाफ जो बोलेगा उसको जगह मिलेगा. अगर जगह मिलेगा तो हमको अच्छा लगेगा. हम तो कहते है कि जो अच्छे लोग थे उनको बीजेपी ने आगे नहीं बढ़ाया.'' अपने संबोधन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि सात निश्चय योजना और पटना विश्वविद्यालय को लेकर हमारी बात केंद्र ने नहीं मानी. हम कहते-कहते थक गए. नीतीश कुमार ने पूछा कि बिहार में हो रहे विकास में केंद्र का काम कैसे, बताइये?

''एनडीए की सरकार में केवल दो पुराने लोगों को फिर मंत्री बनाया. सुशील मोदी को कहने के बाद भी उप मुख्यमंत्री नहीं बनाया. हम समर्थन नहीं देते तो विजय सिन्हा अध्यक्ष कैसे चुने जाते. नंदकिशोर की जगह विजय सिन्हा को विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया'.'' : नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री

'बीजेपी के दवाब में मुख्यमंत्री बना' : अपने संबोधन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि पहले 4 पार्टी थी. लेकिन आज हम लोगों के साथ सात पार्टियों का समर्थन है. पिछले विधानसभा चुनाव में कम सीटें मिलने पर मैंने कहा था कि हम मुख्‍यमंत्री नहीं बनेंगे, लेकिन आप लोगों (बीजेपी) के दबाव में मुख्‍यमंत्री बने थे.

BJP के आरोपों का मुख्‍यमंत्री जवाब: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि, सब ने अपने तरीके से अपनी बात रखी. मुझे किसी से कोई शिकायत नहीं है. 2005 के भी नतीजों को भी याद किया जाए और 2009 और 2010 में क्या हुआ वो भी याद किया जाए. बीजेपी से ज्यादा सीट विधानसभा में भी जीते हैं और लोकसभा में भी जीते हैं. 2020 में कम सीट आई तो कहा कि बीजेपी सीएम बनाए लेकिन हमको सब मिलकर बना दिया.

PM ने कहा था नीतीश सच्चे समाजवादी तो पेट में दर्द क्यों? : बिहार विधानसभा में तेजस्वी यादव ने कहा, प्रधानमंत्री जी ने कहा था, नीतीश कुमार सच्चे समाजवादी. उस का क्या हुआ. अब नीतीश जी हमार साथ आ गए तो आपके पेट में दर्द क्यों हो रहा है. तेजस्वी ने कहा कि असल में बीजेपी 2024 को लेकर डर गयी है.

तेजस्वी यादव ने कहा कि आगे कहा कि हम हनीमून पर गए तो लुकआउट नोटिस लगा दिया गया. लेकिन ललित मोदी व मेहुल चौकसी यहां तो नजर ही नहीं आते है. हमलोग समाजवादी राजनीति के अंश और वंश है. डरने वाले नहीं हैं. बिहारी डरने वाला नहीं है. बिहार में धमकाने से काम नहीं चलने वाला है.

तेजस्वी यादव ने कहा कि लालू जी ने कभी सांप्रदायिक ताकतों से समझौता नहीं किया. लालू जी तो देश के पहले ऐसे रेल मंत्री थे, जो मंत्रालय को प्रॉफिट में लेकर आए. लेकिन बीजेपी सरकार आज उसे निजी प्राइवेट हाथों में बेच रही है. बीजेपी देश की संपत्ति को बेच रही है.

तेजस्वी यादव ने कहा कि हमें अभी पता चला कि गुरुग्राम में अर्बन क्यूब मॉल में छापेमारी हो रही है. ये मॉल तो हमारा है ही नहीं. सीबीआई मॉल में छापेमारी कर रही है. तेजस्वी ने कहा कि जांच एजेंसी ऐसी है जो मेरा है ही नहीं उसकी जांच कर रही है. मुझे जो जानकारी मिली है उसका उद्घाटन BJP सांसद ने ही किया था. बेबुनियाद आरोप लगाकर छवि खराब करने की साजिश की जा रही है. अगर आप भाजपा के साथ हाथ मिला लीजिए तो ठीक नहीं तो आपको फंसा दिया जाएगा.

तेजस्वी यादव ने कहा कि विश्वासमत की आवयश्कता आखिर क्यों पड़ी. इसको समझने के लिए भाजपा के कुचक्र को समझने की जरूरत है. जहां जहां बीजेपी हारती है, या जिससे डरती है वहां ये अपने तीन जमाई आगे कर देते है. सीबीआई, ईडी और इनकम टैक्स. नीतीश कुमार जी ने जो ऐतिहासिक निर्णय लिया है वो संविधान को बचाने के लिए है. ऐसी हिम्मत शायद ही कोई दिखाता है. लालू जी को हम धन्यवाद देते है कि लालू और नीतीश जी दोनों लोगों ने समावादियों को एक करने का काम किया.

बिहार विधानसभा में अपने संबोधन में हिंदुस्‍तानी अवाम मोर्चा के अध्‍यक्ष जीतन राम मांझी ने कहा कि नीतीश कुमार ने महादलित को मुख्यमंत्री बनाने की हिम्मत की. ये आज मैं साफ कर देना चाहता हूं. मैंने पद से खुद इस्तीफा दिया था, हटाया नहीं गया था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महादलित परिवार को कई सुविधाएं दी जो पहले नहीं थी.

बिहार विधानसभा में कांग्रेस के नेता अजित शर्मा ने कहा, ''अभी राह में कई मोड़ है. कोई आएगा, कोई जाएगा, तुम्हे दिल से जिसने भुला दिया, उसे भुलने की दुआ करो.''

''जो बीत गई सो बात गई.. मान लीजिए जीवन में एक सितारा था माना की बेहत प्यारा था वो डूब गया तो डूब गया. अंबर के आंगन के पूछो कितने इसके तारे थे कितने इसके प्यारे थे. जो छूट गए वो कहां मिले. पर बोलो टूटे तारों पर जब अंबर शोक मनाता है.'' : विजय कुमार चौधरी, मंत्री, बिहार सरकार

नितिन नविन जी की बात से थोड़ा इत्तफाक रखता हूं. लेकिन आपके हमनाम नितिन गडकरी जी की हालत वो बना दी गई है कि वो राजनीति छोड़नी की बात करने लगे है. गडकरी जी कहते है कि जो बिहार की बात करता है उसे मंत्री पद छोड़ना पड़ता है: विजय कुमार चौधरी, मंत्री, बिहार सरकार

हम लोग भी भ्रमित हो गए थे. हमने इनके साथ संबंध इसलिए बनाया था क्योंकी हमें डबल इंजन का भरोसा दिलाया गया था. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. हमने तो इनके साथ जाकर चांद और सितारों की तमन्ना की थी लेकिन रातों की स्याही के सिवा हमें कुछ नहीं मिला : विजय कुमार चौधरी, मंत्री, बिहार सरकार

हमारे मुख्यमंत्री ने कब कहा है कि वो प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं. प्रधानमंत्री जनता बनाती है. हम कोई मुगालते में नहीं है. हम लोग नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार को चमकाने में लगे हैं. हम इधर उधर की बात नहीं करते हैं : विजय कुमार चौधरी, मंत्री, बिहार सरकार

ये लोग कहते हैं नीतीश कुमार जी की सत्ता में आने का कोई माहौल नहीं बचा है. लेकिन इतिहार गवाह है कि ये लोग (बीजेपी) जब जब सत्ता में आए नीतीश कुमार के सहारे सत्ता में आए : विजय कुमार चौधरी, मंत्री, बिहार सरकार

हम क्यों गठबंधन में गए इनके साथ और हम क्यों आ गए इनके साथ इस पर तो बाद में कहूंगा. लेकिन तारकिशोर ने बशीर बद्र जी के शेर के साथ शुरू किया था. मैं उन्हीं के शेर के साथ शुरू कर रहा हूं ''कुछ तो मजबूरियां रही होंगी, अपना दिल टटोल कर देखिए. यूं कोई बेवफ़ा नहीं होता.' हमने कोई जनादेश का विश्वासघात नहीं किया. जब हमने बीजेपी के साथ 2017 में सरकार बनाई तो वो अपमान था और आज अपमान हो गया वो कैसे? : विजय कुमार चौधरी, मंत्री, बिहार सरकार

विजय कुमार चौधरी ने कहा कि, बिहार की जनता ने हमें जो मैंडेट दिया वो बिहार के विकास के लिए दिया. इससे पहले सदन में हमारी ताकत 126 थी लेकिन आज 164 है. हम हर हाल में बिहार की जनता की कसौटी पर खरा उतरेंगे. ये लोग परेशान हैं. हमारी ईमानदारी, काम करने की पारदर्शिता पर सवाल उठा रहे हैं.

नीतीश कुमार ऐसे बल्लेबाज हैं कि दूसरी तरफ क्रिज पर खड़े बल्लेबाज को आउट कराते रहते हैं और खुद क्रिज पर जमे रहते हैं: तारकिशोर प्रसाद, बीजेपी नेता

तारकिशोर प्रसाद के संबोधन पर विधानसभा में हंगामा. मंत्री अशोक चौधरी और जनक सिंह में नोंकझोंक. अशोक चौधरी ने तारकिशोर के बयान का किया विरोध. जनक राम ने कहा, नीतीश जी की राजनीतिक विश्वसनीयता खत्म हो चुकी है.

कैबिनेट में 23 मंत्री अपराधी और दागी हैं, जिस मंत्रिमंडल में इतने दागी हो उससे सुशासन की उम्मीद नहीं कर सकते. जिस मुद्दे पर नीतीश जी 2017 में आरजेडी से अगल हुए क्या वो खत्म हो गए: तारकिशोर प्रसाद, नेता बीजेपी

एक ऐसा दल जो अपने बूते कभी बिहार में सरकार नहीं बना पाई, वह प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं. मुख्यमंत्री की व्यक्तिगत इच्छा के वजह से ये असहज स्थिति बनी है. पिछले 15 दिनों में बिहार में अपराध बढ़ गया है अराजकता का महौल है: तारकिशोर प्रसाद, नेता बीजेपी

इससे पहले स्पीकर विजय कुमार सिन्हा (Speaker Vijay Kumar Sinha resigns) ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि बहुमत का महत्व है. आपलोगों ने मुझे इस आसन पर बैठाया है. मैं सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव का इसके लिए आभार जताता हूं.

विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि मुझे मौका नहीं मिला, नहीं तो मैं पहले ही इस्तीफा दे देता. जितने लोगों ने अविश्वास प्रस्ताव दिया था, उसमें सिर्फ ललित यादव का प्रस्ताव सही है. उन्होंने अपने अध्यक्षीय भाषण के बाद अपने इस्तीफे का ऐलान कर दिया. उन्होंने दो घंटे तक अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की घोषणा भी की. साथ ही सदन संचालन की जिम्मेवारी नरेंद्र यादव को सौंप दी. हालांकि संसदीय कार्य मंत्री विजय चौधरी ने उपाध्यक्ष की जगह नरेंद्र नारायण यादव को सदन संचालन के लिए बोलने पर आपत्ति जताई है.

आरोपों का विजय सिन्हा का जवाब: सदन में अपने संबोधन में विजय सिन्हा ने कहा कि नई सरकार के गठन के बाद मैं खुद ही अपने पद से इस्तीफा दे देता, लेकिन मुझे पद से हटाने की कोशिश शुरू कर दी गई, मुझ पर सदस्यों ने मनमानी करने, तानाशाही करने का आरोप लगाया, उसका प्रतिकार करना जरूरी था. उन्होंने कहा कि जब नई सरकार का गठन हो रहा था तभी 9 अगस्त को ही विधानसभा सचिव को मेरे खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की सूचना दे दी गई थी. उसके बाद मैंने अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया ताकि सदन में इसका जवाब दे सकूं.

"'मैंने अपने दायित्वों का निष्पक्ष तरीके से निभाया, न्याय के साथ विकास, सरकार के निर्णय को भी लागू करने का प्रयास किया. इसमें कुछ लोगों को परेशानी भी हुई. कई अच्छी छवि के सदस्य भी हैं, जिनकी छवि बचाने की जिम्मेवारी हम सबकी है. हम सबकी जिम्मेदारी है ठहरी हुई विरासत को बढ़ाने की. लेकिन जो आरोपी और कंलकित हैं, वे स्वच्छ को भी कलंकित करने की कोशिश करते हैं. कथनी और करनी में जबतक अंतर रहेगा, तबतक जनता के हम कृपा पात्र नहीं बन सकते." - विजय कुमार सिन्हा, पूर्व अध्यक्ष, बिहार विधानसभा

पहले किया था इस्तीफा से इंकार: इससे पहले विजय कुमार सिन्हा ने साफ कहा था कि लोकतंत्र की गरिमा को सुरक्षित रखना मेरे लिए व्यक्तिगत सम्मान से ऊपर है. यह विधानसभा का अध्यक्ष होने के नाते मेरा कर्तव्य भी है. हालांकि आंकड़ों के मुताबिक उनके समर्थन में भाजपा के 76 सदस्य हैं, जबकि सत्ता पक्ष के 164 विधायक उनके खिलाफ एकजुट हैं. नियम तो यही है कि जिसके विरूद्ध में अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है वह आसन पर नहीं बैठ सकता. लेकिन विधानसभा अध्यक्ष दायित्व और संसदीय नियमों संरक्षण की बात करके पद पर बने हुए हैं.

'निष्पक्षता से सदन का दायित्व निभाया': विजय सिन्हा ने कहा कि सदन की मर्यादा और गरिमा को अक्षुण्ण रखने में जिन्होंने अपनी भूमिका निभाई हम उन्हें नमन करते हैं और प्रेरणा प्राप्त करते हैं. हमें याद रखना होगा कि यह सदन हमसे जरूर है. लेकिन यह सबसे सर्वोपरि है. उन्होंने कहा कि छोटे कार्यकाल में कई काम और कार्यक्रम किए. उन्होंने कहा कि अपने कार्यकाल में प्रयास किया कि सत्ता और विपक्ष को साथ लेकर चलूं. साथ ही निष्पक्षता से सदन का दायित्व निभाया. उन्होंने कहा कि हमेशा विधानसभा के सभी सदस्यों की मान मर्यादा, सदन की गरिमा बढ़ाने की कोशिश की. विजय सिन्हा ने आगे कहा कि, लोकतंत्र में संख्या बल महत्वपूर्ण है, अब नए राजनीतिक घटनाक्रम के तहत नया गठबंधन हुआ है, उन्होंने इस्तीफा देते हुए कहा कि आगे सदन का संचालन नरेंद्र नारायण यादव करेंगे.

महागठबंधन सरकार को 164 विधायकों का समर्थनः डिप्टी स्पीकर महेश्वर हजारी ने भी बयान दिया था कि विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा को नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए. उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नियमानुकूल लाया गया है. सत्र शुरू होने से 14 दिन पहले दिया गया है और जब विधानसभा अध्यक्ष या उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है तो वो सदन की कार्यवाही संचालित नहीं कर सकते हैं. डिप्टी स्पीकर महेश्वर हजारी जदयू खेमे से हैं और महागठबंधन सरकार बनने के बाद विधानसभा अध्यक्ष का पद आरजेडी खेमे को जाना है. बहुमत महागठबंधन के पास है. 7 दलों के 164 विधायकों का समर्थन महागठबंधन सरकार के साथ है. ऐसे में बहुमत जब 121 विधायकों की चाहिए तो उससे यह संख्या काफी अधिक है. 243 सदस्य वाले बिहार विधानसभा में महा गठबंधन सरकार में शामिल दल आरजेडी- 79 , जदयू- 45, कांग्रेस-19, हम-4 और निर्दलीय 1 है. इसके अलावा माले 12, सीपीआई दो, सीपीएम दो ने बाहर से समर्थन किया है. इस तरह कुल 164 विधायक महागठबंधन सरकार के साथ हैं.

विपक्ष में बीजेपी 76 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टीः वहीं, विपक्ष में बीजेपी 76 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है. एआईएमआईएम के एक विधायक भी विपक्ष में हैं. फिलहाल विधानसभा में दो स्थान रिक्त है अभी हाल ही में बीजेपी के पूर्व मंत्री सुभाष सिंह के निधन के कारण एक सीट खाली हुई है. वहीं आरजेडी के विधायक अनंत सिंह को कोर्ट की ओर से सजा दिए जाने के कारण उनका स्थान स्थान रिक्त हुआ है. आरजेडी की ओर से बिहार विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए अवध बिहारी चौधरी का नाम तय माना जा रहा है. बिहार विधान परिषद के कार्यवाहक अध्यक्ष एवं BJP नेता अवधेश नारायण सिंह को भी बदला जा सकता है. ऐसी चर्चा है कि जदयू इस पद के लिये देवेश चंद्र ठाकुर नाम पर विचार कर रहा है. जहां तक नेता प्रतिपक्ष की बात है तो बीजेपी विधानमंडल दल की बैठक में नेता प्रतिपक्ष के पद पर फैसला नहीं हुआ है और ऐसा माना जा रहा है कि विजय सिन्हा को यह जिम्मेदारी दी जा सकती है.

ऐसा रहा विधानसभा अध्यक्ष का कार्यकालः बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा हमेशा सुर्खियों में बने रहे हैं चाहे मुख्यमंत्री से लखीसराय मामले को बार-बार उठाने को लेकर गरमा गरम बहस का मामला हो जिसमें मुख्यमंत्री ने कहा था कि यह मामला कोर्ट का है जो कोर्ट की चीजें हैं उसे सदन में नहीं लाई जा सकती है तब मुख्यमंत्री ने कहा था कि सदन ऐसे नहीं चलेगा और विजय सिन्हा ने कहा था कि सदन कैसे चलेगा वही बता दीजिए. यही नहीं बीजेपी मंत्री सम्राट चौधरी के व्याकुल नहीं होने वाले सलाह पर भी खूब बवाल मचा था. दोनों मामले में विजय सिन्हा नाराज हो गए थे और मुख्यमंत्री को जाकर बैठक करनी पड़ी थी और सम्राट चौधरी को भी माफी मांगने पड़ी थी विजय सिन्हा के कार्यकाल में पिछले साल सदन के अंदर और बाहर विधायकों पर पुलिसिया कार्रवाई हुई थी लेकिन अपने कार्यकाल में विजय सिन्हा बिहार विधानसभा भवन के शताब्दी वर्ष समारोह के 1 साल के कार्यक्रम का पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ गोविंद से उद्घाटन कराया था तो वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से समापन कराया था. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को भी इस दौरान विधान सभा बुलाकर संबोधन कार्यक्रम कराया था तो यह बड़ी उपलब्धि भी विजय सिन्हा के नाम रही है.

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पटना : बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार ने आज विधानसभा में विश्वास मत हासिल कर लिया. नवगठित महागठबंधन सरकार के विश्वास मत हासिल करने के लिए बुधवार को विधानसभा की आहूत बैठक में नीतीश सरकार के पक्ष में 160 सदस्यों ने वोट किया. वहीं, विपक्षी सदस्यों के सदन से वॉकआउट के कारण सरकार के विपक्ष में एक भी मत नहीं पड़े.

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नीतीश सरकार को जेडीयू, आरजेडी कांग्रेस, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी-लेनिनवादी (भाकपा-माले) और एक निर्दलीय समेत 164 सदस्यों का समर्थन प्राप्त है. लेकिन, बीमार होने के कारण जेडीयू के विजेंद्र प्रसाद यादव और बीमा भारती व अन्य वजह से भाकपा के सूर्यकांत पासवान और हम के प्रफुल्ल मांझी आज सदन में उपस्थित नहीं हो सके.

ऐसे में नीतीश सरकार के पक्ष में 160 सदस्यों ने विश्वास जताया, जिसमें ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अख्तरुल ईमान भी शामिल हैं. सदन का संचालन विधानसभा उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी ने किया, इसलिए वह मतदान में शामिल नहीं हुए.

फ्लोर टेस्ट के दौरान किसने क्या कहा :

नीतीश कुमार ने कहा, "मेरे खिलाफ अनाप शनाप बोलेंगे तो बीजेपी में आगे मौका मिलेगा. हमलोगों के खिलाफ जो बोलेगा उसको जगह मिलेगा. अगर जगह मिलेगा तो हमको अच्छा लगेगा. हम तो कहते है कि जो अच्छे लोग थे उनको बीजेपी ने आगे नहीं बढ़ाया.'' अपने संबोधन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि सात निश्चय योजना और पटना विश्वविद्यालय को लेकर हमारी बात केंद्र ने नहीं मानी. हम कहते-कहते थक गए. नीतीश कुमार ने पूछा कि बिहार में हो रहे विकास में केंद्र का काम कैसे, बताइये?

''एनडीए की सरकार में केवल दो पुराने लोगों को फिर मंत्री बनाया. सुशील मोदी को कहने के बाद भी उप मुख्यमंत्री नहीं बनाया. हम समर्थन नहीं देते तो विजय सिन्हा अध्यक्ष कैसे चुने जाते. नंदकिशोर की जगह विजय सिन्हा को विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया'.'' : नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री

'बीजेपी के दवाब में मुख्यमंत्री बना' : अपने संबोधन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि पहले 4 पार्टी थी. लेकिन आज हम लोगों के साथ सात पार्टियों का समर्थन है. पिछले विधानसभा चुनाव में कम सीटें मिलने पर मैंने कहा था कि हम मुख्‍यमंत्री नहीं बनेंगे, लेकिन आप लोगों (बीजेपी) के दबाव में मुख्‍यमंत्री बने थे.

BJP के आरोपों का मुख्‍यमंत्री जवाब: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि, सब ने अपने तरीके से अपनी बात रखी. मुझे किसी से कोई शिकायत नहीं है. 2005 के भी नतीजों को भी याद किया जाए और 2009 और 2010 में क्या हुआ वो भी याद किया जाए. बीजेपी से ज्यादा सीट विधानसभा में भी जीते हैं और लोकसभा में भी जीते हैं. 2020 में कम सीट आई तो कहा कि बीजेपी सीएम बनाए लेकिन हमको सब मिलकर बना दिया.

PM ने कहा था नीतीश सच्चे समाजवादी तो पेट में दर्द क्यों? : बिहार विधानसभा में तेजस्वी यादव ने कहा, प्रधानमंत्री जी ने कहा था, नीतीश कुमार सच्चे समाजवादी. उस का क्या हुआ. अब नीतीश जी हमार साथ आ गए तो आपके पेट में दर्द क्यों हो रहा है. तेजस्वी ने कहा कि असल में बीजेपी 2024 को लेकर डर गयी है.

तेजस्वी यादव ने कहा कि आगे कहा कि हम हनीमून पर गए तो लुकआउट नोटिस लगा दिया गया. लेकिन ललित मोदी व मेहुल चौकसी यहां तो नजर ही नहीं आते है. हमलोग समाजवादी राजनीति के अंश और वंश है. डरने वाले नहीं हैं. बिहारी डरने वाला नहीं है. बिहार में धमकाने से काम नहीं चलने वाला है.

तेजस्वी यादव ने कहा कि लालू जी ने कभी सांप्रदायिक ताकतों से समझौता नहीं किया. लालू जी तो देश के पहले ऐसे रेल मंत्री थे, जो मंत्रालय को प्रॉफिट में लेकर आए. लेकिन बीजेपी सरकार आज उसे निजी प्राइवेट हाथों में बेच रही है. बीजेपी देश की संपत्ति को बेच रही है.

तेजस्वी यादव ने कहा कि हमें अभी पता चला कि गुरुग्राम में अर्बन क्यूब मॉल में छापेमारी हो रही है. ये मॉल तो हमारा है ही नहीं. सीबीआई मॉल में छापेमारी कर रही है. तेजस्वी ने कहा कि जांच एजेंसी ऐसी है जो मेरा है ही नहीं उसकी जांच कर रही है. मुझे जो जानकारी मिली है उसका उद्घाटन BJP सांसद ने ही किया था. बेबुनियाद आरोप लगाकर छवि खराब करने की साजिश की जा रही है. अगर आप भाजपा के साथ हाथ मिला लीजिए तो ठीक नहीं तो आपको फंसा दिया जाएगा.

तेजस्वी यादव ने कहा कि विश्वासमत की आवयश्कता आखिर क्यों पड़ी. इसको समझने के लिए भाजपा के कुचक्र को समझने की जरूरत है. जहां जहां बीजेपी हारती है, या जिससे डरती है वहां ये अपने तीन जमाई आगे कर देते है. सीबीआई, ईडी और इनकम टैक्स. नीतीश कुमार जी ने जो ऐतिहासिक निर्णय लिया है वो संविधान को बचाने के लिए है. ऐसी हिम्मत शायद ही कोई दिखाता है. लालू जी को हम धन्यवाद देते है कि लालू और नीतीश जी दोनों लोगों ने समावादियों को एक करने का काम किया.

बिहार विधानसभा में अपने संबोधन में हिंदुस्‍तानी अवाम मोर्चा के अध्‍यक्ष जीतन राम मांझी ने कहा कि नीतीश कुमार ने महादलित को मुख्यमंत्री बनाने की हिम्मत की. ये आज मैं साफ कर देना चाहता हूं. मैंने पद से खुद इस्तीफा दिया था, हटाया नहीं गया था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महादलित परिवार को कई सुविधाएं दी जो पहले नहीं थी.

बिहार विधानसभा में कांग्रेस के नेता अजित शर्मा ने कहा, ''अभी राह में कई मोड़ है. कोई आएगा, कोई जाएगा, तुम्हे दिल से जिसने भुला दिया, उसे भुलने की दुआ करो.''

''जो बीत गई सो बात गई.. मान लीजिए जीवन में एक सितारा था माना की बेहत प्यारा था वो डूब गया तो डूब गया. अंबर के आंगन के पूछो कितने इसके तारे थे कितने इसके प्यारे थे. जो छूट गए वो कहां मिले. पर बोलो टूटे तारों पर जब अंबर शोक मनाता है.'' : विजय कुमार चौधरी, मंत्री, बिहार सरकार

नितिन नविन जी की बात से थोड़ा इत्तफाक रखता हूं. लेकिन आपके हमनाम नितिन गडकरी जी की हालत वो बना दी गई है कि वो राजनीति छोड़नी की बात करने लगे है. गडकरी जी कहते है कि जो बिहार की बात करता है उसे मंत्री पद छोड़ना पड़ता है: विजय कुमार चौधरी, मंत्री, बिहार सरकार

हम लोग भी भ्रमित हो गए थे. हमने इनके साथ संबंध इसलिए बनाया था क्योंकी हमें डबल इंजन का भरोसा दिलाया गया था. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. हमने तो इनके साथ जाकर चांद और सितारों की तमन्ना की थी लेकिन रातों की स्याही के सिवा हमें कुछ नहीं मिला : विजय कुमार चौधरी, मंत्री, बिहार सरकार

हमारे मुख्यमंत्री ने कब कहा है कि वो प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं. प्रधानमंत्री जनता बनाती है. हम कोई मुगालते में नहीं है. हम लोग नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार को चमकाने में लगे हैं. हम इधर उधर की बात नहीं करते हैं : विजय कुमार चौधरी, मंत्री, बिहार सरकार

ये लोग कहते हैं नीतीश कुमार जी की सत्ता में आने का कोई माहौल नहीं बचा है. लेकिन इतिहार गवाह है कि ये लोग (बीजेपी) जब जब सत्ता में आए नीतीश कुमार के सहारे सत्ता में आए : विजय कुमार चौधरी, मंत्री, बिहार सरकार

हम क्यों गठबंधन में गए इनके साथ और हम क्यों आ गए इनके साथ इस पर तो बाद में कहूंगा. लेकिन तारकिशोर ने बशीर बद्र जी के शेर के साथ शुरू किया था. मैं उन्हीं के शेर के साथ शुरू कर रहा हूं ''कुछ तो मजबूरियां रही होंगी, अपना दिल टटोल कर देखिए. यूं कोई बेवफ़ा नहीं होता.' हमने कोई जनादेश का विश्वासघात नहीं किया. जब हमने बीजेपी के साथ 2017 में सरकार बनाई तो वो अपमान था और आज अपमान हो गया वो कैसे? : विजय कुमार चौधरी, मंत्री, बिहार सरकार

विजय कुमार चौधरी ने कहा कि, बिहार की जनता ने हमें जो मैंडेट दिया वो बिहार के विकास के लिए दिया. इससे पहले सदन में हमारी ताकत 126 थी लेकिन आज 164 है. हम हर हाल में बिहार की जनता की कसौटी पर खरा उतरेंगे. ये लोग परेशान हैं. हमारी ईमानदारी, काम करने की पारदर्शिता पर सवाल उठा रहे हैं.

नीतीश कुमार ऐसे बल्लेबाज हैं कि दूसरी तरफ क्रिज पर खड़े बल्लेबाज को आउट कराते रहते हैं और खुद क्रिज पर जमे रहते हैं: तारकिशोर प्रसाद, बीजेपी नेता

तारकिशोर प्रसाद के संबोधन पर विधानसभा में हंगामा. मंत्री अशोक चौधरी और जनक सिंह में नोंकझोंक. अशोक चौधरी ने तारकिशोर के बयान का किया विरोध. जनक राम ने कहा, नीतीश जी की राजनीतिक विश्वसनीयता खत्म हो चुकी है.

कैबिनेट में 23 मंत्री अपराधी और दागी हैं, जिस मंत्रिमंडल में इतने दागी हो उससे सुशासन की उम्मीद नहीं कर सकते. जिस मुद्दे पर नीतीश जी 2017 में आरजेडी से अगल हुए क्या वो खत्म हो गए: तारकिशोर प्रसाद, नेता बीजेपी

एक ऐसा दल जो अपने बूते कभी बिहार में सरकार नहीं बना पाई, वह प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं. मुख्यमंत्री की व्यक्तिगत इच्छा के वजह से ये असहज स्थिति बनी है. पिछले 15 दिनों में बिहार में अपराध बढ़ गया है अराजकता का महौल है: तारकिशोर प्रसाद, नेता बीजेपी

इससे पहले स्पीकर विजय कुमार सिन्हा (Speaker Vijay Kumar Sinha resigns) ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि बहुमत का महत्व है. आपलोगों ने मुझे इस आसन पर बैठाया है. मैं सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव का इसके लिए आभार जताता हूं.

विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि मुझे मौका नहीं मिला, नहीं तो मैं पहले ही इस्तीफा दे देता. जितने लोगों ने अविश्वास प्रस्ताव दिया था, उसमें सिर्फ ललित यादव का प्रस्ताव सही है. उन्होंने अपने अध्यक्षीय भाषण के बाद अपने इस्तीफे का ऐलान कर दिया. उन्होंने दो घंटे तक अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की घोषणा भी की. साथ ही सदन संचालन की जिम्मेवारी नरेंद्र यादव को सौंप दी. हालांकि संसदीय कार्य मंत्री विजय चौधरी ने उपाध्यक्ष की जगह नरेंद्र नारायण यादव को सदन संचालन के लिए बोलने पर आपत्ति जताई है.

आरोपों का विजय सिन्हा का जवाब: सदन में अपने संबोधन में विजय सिन्हा ने कहा कि नई सरकार के गठन के बाद मैं खुद ही अपने पद से इस्तीफा दे देता, लेकिन मुझे पद से हटाने की कोशिश शुरू कर दी गई, मुझ पर सदस्यों ने मनमानी करने, तानाशाही करने का आरोप लगाया, उसका प्रतिकार करना जरूरी था. उन्होंने कहा कि जब नई सरकार का गठन हो रहा था तभी 9 अगस्त को ही विधानसभा सचिव को मेरे खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की सूचना दे दी गई थी. उसके बाद मैंने अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया ताकि सदन में इसका जवाब दे सकूं.

"'मैंने अपने दायित्वों का निष्पक्ष तरीके से निभाया, न्याय के साथ विकास, सरकार के निर्णय को भी लागू करने का प्रयास किया. इसमें कुछ लोगों को परेशानी भी हुई. कई अच्छी छवि के सदस्य भी हैं, जिनकी छवि बचाने की जिम्मेवारी हम सबकी है. हम सबकी जिम्मेदारी है ठहरी हुई विरासत को बढ़ाने की. लेकिन जो आरोपी और कंलकित हैं, वे स्वच्छ को भी कलंकित करने की कोशिश करते हैं. कथनी और करनी में जबतक अंतर रहेगा, तबतक जनता के हम कृपा पात्र नहीं बन सकते." - विजय कुमार सिन्हा, पूर्व अध्यक्ष, बिहार विधानसभा

पहले किया था इस्तीफा से इंकार: इससे पहले विजय कुमार सिन्हा ने साफ कहा था कि लोकतंत्र की गरिमा को सुरक्षित रखना मेरे लिए व्यक्तिगत सम्मान से ऊपर है. यह विधानसभा का अध्यक्ष होने के नाते मेरा कर्तव्य भी है. हालांकि आंकड़ों के मुताबिक उनके समर्थन में भाजपा के 76 सदस्य हैं, जबकि सत्ता पक्ष के 164 विधायक उनके खिलाफ एकजुट हैं. नियम तो यही है कि जिसके विरूद्ध में अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है वह आसन पर नहीं बैठ सकता. लेकिन विधानसभा अध्यक्ष दायित्व और संसदीय नियमों संरक्षण की बात करके पद पर बने हुए हैं.

'निष्पक्षता से सदन का दायित्व निभाया': विजय सिन्हा ने कहा कि सदन की मर्यादा और गरिमा को अक्षुण्ण रखने में जिन्होंने अपनी भूमिका निभाई हम उन्हें नमन करते हैं और प्रेरणा प्राप्त करते हैं. हमें याद रखना होगा कि यह सदन हमसे जरूर है. लेकिन यह सबसे सर्वोपरि है. उन्होंने कहा कि छोटे कार्यकाल में कई काम और कार्यक्रम किए. उन्होंने कहा कि अपने कार्यकाल में प्रयास किया कि सत्ता और विपक्ष को साथ लेकर चलूं. साथ ही निष्पक्षता से सदन का दायित्व निभाया. उन्होंने कहा कि हमेशा विधानसभा के सभी सदस्यों की मान मर्यादा, सदन की गरिमा बढ़ाने की कोशिश की. विजय सिन्हा ने आगे कहा कि, लोकतंत्र में संख्या बल महत्वपूर्ण है, अब नए राजनीतिक घटनाक्रम के तहत नया गठबंधन हुआ है, उन्होंने इस्तीफा देते हुए कहा कि आगे सदन का संचालन नरेंद्र नारायण यादव करेंगे.

महागठबंधन सरकार को 164 विधायकों का समर्थनः डिप्टी स्पीकर महेश्वर हजारी ने भी बयान दिया था कि विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा को नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए. उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नियमानुकूल लाया गया है. सत्र शुरू होने से 14 दिन पहले दिया गया है और जब विधानसभा अध्यक्ष या उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है तो वो सदन की कार्यवाही संचालित नहीं कर सकते हैं. डिप्टी स्पीकर महेश्वर हजारी जदयू खेमे से हैं और महागठबंधन सरकार बनने के बाद विधानसभा अध्यक्ष का पद आरजेडी खेमे को जाना है. बहुमत महागठबंधन के पास है. 7 दलों के 164 विधायकों का समर्थन महागठबंधन सरकार के साथ है. ऐसे में बहुमत जब 121 विधायकों की चाहिए तो उससे यह संख्या काफी अधिक है. 243 सदस्य वाले बिहार विधानसभा में महा गठबंधन सरकार में शामिल दल आरजेडी- 79 , जदयू- 45, कांग्रेस-19, हम-4 और निर्दलीय 1 है. इसके अलावा माले 12, सीपीआई दो, सीपीएम दो ने बाहर से समर्थन किया है. इस तरह कुल 164 विधायक महागठबंधन सरकार के साथ हैं.

विपक्ष में बीजेपी 76 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टीः वहीं, विपक्ष में बीजेपी 76 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है. एआईएमआईएम के एक विधायक भी विपक्ष में हैं. फिलहाल विधानसभा में दो स्थान रिक्त है अभी हाल ही में बीजेपी के पूर्व मंत्री सुभाष सिंह के निधन के कारण एक सीट खाली हुई है. वहीं आरजेडी के विधायक अनंत सिंह को कोर्ट की ओर से सजा दिए जाने के कारण उनका स्थान स्थान रिक्त हुआ है. आरजेडी की ओर से बिहार विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए अवध बिहारी चौधरी का नाम तय माना जा रहा है. बिहार विधान परिषद के कार्यवाहक अध्यक्ष एवं BJP नेता अवधेश नारायण सिंह को भी बदला जा सकता है. ऐसी चर्चा है कि जदयू इस पद के लिये देवेश चंद्र ठाकुर नाम पर विचार कर रहा है. जहां तक नेता प्रतिपक्ष की बात है तो बीजेपी विधानमंडल दल की बैठक में नेता प्रतिपक्ष के पद पर फैसला नहीं हुआ है और ऐसा माना जा रहा है कि विजय सिन्हा को यह जिम्मेदारी दी जा सकती है.

ऐसा रहा विधानसभा अध्यक्ष का कार्यकालः बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा हमेशा सुर्खियों में बने रहे हैं चाहे मुख्यमंत्री से लखीसराय मामले को बार-बार उठाने को लेकर गरमा गरम बहस का मामला हो जिसमें मुख्यमंत्री ने कहा था कि यह मामला कोर्ट का है जो कोर्ट की चीजें हैं उसे सदन में नहीं लाई जा सकती है तब मुख्यमंत्री ने कहा था कि सदन ऐसे नहीं चलेगा और विजय सिन्हा ने कहा था कि सदन कैसे चलेगा वही बता दीजिए. यही नहीं बीजेपी मंत्री सम्राट चौधरी के व्याकुल नहीं होने वाले सलाह पर भी खूब बवाल मचा था. दोनों मामले में विजय सिन्हा नाराज हो गए थे और मुख्यमंत्री को जाकर बैठक करनी पड़ी थी और सम्राट चौधरी को भी माफी मांगने पड़ी थी विजय सिन्हा के कार्यकाल में पिछले साल सदन के अंदर और बाहर विधायकों पर पुलिसिया कार्रवाई हुई थी लेकिन अपने कार्यकाल में विजय सिन्हा बिहार विधानसभा भवन के शताब्दी वर्ष समारोह के 1 साल के कार्यक्रम का पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ गोविंद से उद्घाटन कराया था तो वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से समापन कराया था. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को भी इस दौरान विधान सभा बुलाकर संबोधन कार्यक्रम कराया था तो यह बड़ी उपलब्धि भी विजय सिन्हा के नाम रही है.

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Last Updated : Aug 24, 2022, 6:44 PM IST
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