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नीतीश सरकार ने विधायकों को जमीन देने के मामले में अचानक लिया यू टर्न

सहकारिता मंत्री ने कहा कि सरकार के पास इस तरह की कोई योजना नहीं है, जिसमें विधायकों को जमीन देने की बात हो. उन्होंने कहा कि न तो किसी सोसाइटी का गठन हुआ है और न ही कोई प्रस्ताव आया है.

नीतीश कुमार
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Published : Aug 4, 2019, 2:00 PM IST

पटना: बिहार के 243 विधायकों और 75 विधान पार्षदों को सरकार ने जमीन देने की तैयारी शुरू की थी. इसके लिए एक सोसाइटी बनाने की चर्चा भी हुई. संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार ने इसका जिक्र भी किया. जदयू के प्रवक्ता ने तो सरकार के इस कदम को सराहनीय तक बताया. वहीं, जदयू विधान पार्षद ने भी कहा कि चर्चा हुई थी और जब सरकार पेंशन और अन्य सुविधाएं दे रही है तो जमीन दे देगी, तो इसमें गलत क्या है. लेकिन सरकार ने इस बात से अब पूरी तरह से यू टर्न ले लिया है. सरकार ने इससे पल्ला झाड़ लिया है.

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सदन से बाहर से निकलते मंत्री और विधायक

जदयू नेता कदम को बता रहे थे सराहनीय
एक के बाद एक नीतीश सरकार की ओर से विधायकों पर मेहरबानी दिखाई जा रही थी. पिछले कुछ दिनों से दीघा आशियाना के पॉश इलाके में जमीन अधिग्रहण कर विधायकों को जमीन देने की भी चर्चा शुरू हो गई थी. सत्ताधारी दल जदयू के विधान पार्षद और नीतीश कुमार के खासम खास संजय सिंह का भी कहना है कि विधानसभा सत्र के दौरान इसकी चर्चा हुई थी. उन्होंने कहा कि जब सरकार विधायकों को पेंशन दे रही है और अन्य सुविधाएं दी है तो शहर में रहने के लिए जमीन भी मिलना चाहिए. वहीं, जदयू के प्रवक्ता राजीव रंजन तो सरकार के कदम को सराहनीय तक बताने लगे थे.

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सहकारिता मंत्री राणा रणधीर सिंह

सरकार ने झाड़ा पल्ला
मीडिया में इस पर लगातार खबर छपने के बाद सरकार ने आखिरकार पूरे मामले से ही पल्ला झाड़ लिया है. जमान देने की जो चर्चा थी उसमें सहकारिता मंत्री राणा रणधीर सिंह को बनने वाले कमेटी का सचिव बनाया जाना था. लेकिन सहकारिता मंत्री ने कहा कि सरकार के पास इस तरह की कोई योजना नहीं है, जिसमें विधायकों को जमीन देने की बात हो. उन्होंने कहा कि न तो किसी सोसाइटी का गठन हुआ है और न ही कोई प्रस्ताव आया है.

पटना से खास रिपोर्ट

सहकारिता मंत्री ने दी सफाई
बिहार के विपक्षी दलों के विधायक भी जमीन मिलने की चर्चा से उत्साहित थे और बयान देने से बच रहे थे. संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार विधानसभा सत्र के दौरान से ही लगातार कमिटी बनाने को लेकर संकेत दे रहे थे. पहले भी कौशल नगर में सोसायटी बनाकर बड़ी संख्या में विधायकों को सरकार की ओर से सस्ते दर पर जमीन उपलब्ध कराए गए थे. यही कारण था की चर्चा ने और जोर पकड़ा. लेकिन अब सहकारिता मंत्री के अनुसार किसी तरह के प्रस्ताव से ही इनकार किया जा रहा है. सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश के बाद सहकारिता मंत्री ने सफाई दी है.

600 करोड़ रुपये की लागत से बन रहा है बंगला
नीतीश सरकार ऐसे विधायकों पर मेहरबान रही है. पिछले साल ही सरकार ने विधायकों के वेतन और भत्ते में लगभग 30% की बढ़ोतरी की थी. पूर्व विधायकों के पेंशन में भी बढ़ोत्तरी की गई थी. यही नहीं नीतीश कुमार ने विधायकों के फंड को बढ़ाकर तीन करोड़ हर साल कर दिया था. सरकार विधान मंडल के सभी सदस्यों के लिए 600 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से दो मंजिला बंगला भी बनवा रही है. विधान पार्षदों को जल्द ही बंगला मिल भी जाएगा.

पटना: बिहार के 243 विधायकों और 75 विधान पार्षदों को सरकार ने जमीन देने की तैयारी शुरू की थी. इसके लिए एक सोसाइटी बनाने की चर्चा भी हुई. संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार ने इसका जिक्र भी किया. जदयू के प्रवक्ता ने तो सरकार के इस कदम को सराहनीय तक बताया. वहीं, जदयू विधान पार्षद ने भी कहा कि चर्चा हुई थी और जब सरकार पेंशन और अन्य सुविधाएं दे रही है तो जमीन दे देगी, तो इसमें गलत क्या है. लेकिन सरकार ने इस बात से अब पूरी तरह से यू टर्न ले लिया है. सरकार ने इससे पल्ला झाड़ लिया है.

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सदन से बाहर से निकलते मंत्री और विधायक

जदयू नेता कदम को बता रहे थे सराहनीय
एक के बाद एक नीतीश सरकार की ओर से विधायकों पर मेहरबानी दिखाई जा रही थी. पिछले कुछ दिनों से दीघा आशियाना के पॉश इलाके में जमीन अधिग्रहण कर विधायकों को जमीन देने की भी चर्चा शुरू हो गई थी. सत्ताधारी दल जदयू के विधान पार्षद और नीतीश कुमार के खासम खास संजय सिंह का भी कहना है कि विधानसभा सत्र के दौरान इसकी चर्चा हुई थी. उन्होंने कहा कि जब सरकार विधायकों को पेंशन दे रही है और अन्य सुविधाएं दी है तो शहर में रहने के लिए जमीन भी मिलना चाहिए. वहीं, जदयू के प्रवक्ता राजीव रंजन तो सरकार के कदम को सराहनीय तक बताने लगे थे.

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सहकारिता मंत्री राणा रणधीर सिंह

सरकार ने झाड़ा पल्ला
मीडिया में इस पर लगातार खबर छपने के बाद सरकार ने आखिरकार पूरे मामले से ही पल्ला झाड़ लिया है. जमान देने की जो चर्चा थी उसमें सहकारिता मंत्री राणा रणधीर सिंह को बनने वाले कमेटी का सचिव बनाया जाना था. लेकिन सहकारिता मंत्री ने कहा कि सरकार के पास इस तरह की कोई योजना नहीं है, जिसमें विधायकों को जमीन देने की बात हो. उन्होंने कहा कि न तो किसी सोसाइटी का गठन हुआ है और न ही कोई प्रस्ताव आया है.

पटना से खास रिपोर्ट

सहकारिता मंत्री ने दी सफाई
बिहार के विपक्षी दलों के विधायक भी जमीन मिलने की चर्चा से उत्साहित थे और बयान देने से बच रहे थे. संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार विधानसभा सत्र के दौरान से ही लगातार कमिटी बनाने को लेकर संकेत दे रहे थे. पहले भी कौशल नगर में सोसायटी बनाकर बड़ी संख्या में विधायकों को सरकार की ओर से सस्ते दर पर जमीन उपलब्ध कराए गए थे. यही कारण था की चर्चा ने और जोर पकड़ा. लेकिन अब सहकारिता मंत्री के अनुसार किसी तरह के प्रस्ताव से ही इनकार किया जा रहा है. सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश के बाद सहकारिता मंत्री ने सफाई दी है.

600 करोड़ रुपये की लागत से बन रहा है बंगला
नीतीश सरकार ऐसे विधायकों पर मेहरबान रही है. पिछले साल ही सरकार ने विधायकों के वेतन और भत्ते में लगभग 30% की बढ़ोतरी की थी. पूर्व विधायकों के पेंशन में भी बढ़ोत्तरी की गई थी. यही नहीं नीतीश कुमार ने विधायकों के फंड को बढ़ाकर तीन करोड़ हर साल कर दिया था. सरकार विधान मंडल के सभी सदस्यों के लिए 600 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से दो मंजिला बंगला भी बनवा रही है. विधान पार्षदों को जल्द ही बंगला मिल भी जाएगा.

Intro:पटना-- बिहार के 243 विधायकों और 75 विधान पार्षदों को सरकार जमीन देने की तैयारी शुरू की थी और इसके लिए एक सोसाइटी बनाने की चर्चा भी हुई संसदीय कार्य मंत्री सरवन कुमार ने इसका जिक्र भी किया जदयू के प्रवक्ता ने तो सरकार के कदम को सराहनीय तक बताया वहीं जदयू विधान पार्षद ने भी कहा कि चर्चा हुई थी और जब सरकार पेंशन और अन्य सुविधाएं दे रही है तो जमीन दे देगी तो इसमें गलत क्या है । लेकिन सरकार अब पूरी तरह से यू टर्न ले ली है। नीतीश सरकार ऐसे विधायकों पर मेहरबान रही है लेकिन जमीन मामले में बढ़ते हमले के बाद सरकार ने पूरी तरह से पल्ला झाड़ लिया है।
पेश है खास रिपोर्ट---


Body: नीतीश सरकार पिछले साल ही विधायकों के वेतन और भत्ते में लगभग 30% की बढ़ोतरी की थी पूर्व विधायकों के पेंशन में भी बढ़ोतरी की गई थी यही नहीं नीतीश कुमार ने विधायकों के फंड को बढ़ाकर तीन करोड़ हर साल कर दिया था । जिस सरकार विधान मंडल के सभी सदस्यों के लिए 600 करोड़ रुपए से अधिक की लागत में दो मंजिला बंगला भी बना रही है विधान पार्षदों को जल्द ही बांग्ला मिल भी जाएगा । एक के बाद एक नीतीश सरकार की ओर से विधायकों पर मेहरबानी दिखाई जा रही थी और पिछले कुछ दिनों से दीघा आशियाना के पॉश इलाके में जमीन अधिग्रहण कर विधायकों को जमीन देने की भी चर्चा शुरू हो गई थी। सत्ताधारी दल जदयू के विधान पार्षद और नीतीश कुमार के खासम खास संजय सिंह का भी कहना है कि विधानसभा सत्र के दौरान इसकी चर्चा हुई थी और जब सरकार विधायकों को पेंशन दे रही है और आन सुविधाएं हैं तो शहर में रहने के लिए जमीन भी मिलना चाहिए वही जदयू के प्रवक्ता राजीव रंजन तो सरकार के कदम कुछ कहानियां तक बताने लगे थे।
बाइट्स--- राजीव रंजन प्रवक्ता जेडीयू
संजय सिंह जदयू विधान पार्षद
लेकिन मीडिया में इस पर लगातार खबर छपने के बाद सरकार ने आखिरकार पूरे मामले से ही पल्ला झाड़ लिया है। जो चर्चा थी उसमें सहकारिता मंत्री राणा रणधीर सिंह को बनने वाले कमेटी का सचिव बनाया जाना था लेकिन सहकारिता मंत्री ने कहा कि सरकार के पास इस तरह की कोई योजना नहीं है जिसमें विधायकों को जमीन देने की बात हो। ना तो किसी सोसाइटी का गठन हुआ है ना ही कोई प्रस्ताव है।
बाईट--राणा रणधीर सिंह, सहकारिता मंत्री


Conclusion: बिहार के विपक्षी दलों के विधायक भी जमीन मिलने की चर्चा से उत्साहित है और बयान देने से बच रहे थे। संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार विधानसभा सत्र के दौरान से ही लगातार कमिटी बनाने को लेकर संकेत दे रहे थे । पहले भी कौशल नगर में सोसायटी बनाकर बड़ी संख्या में विधायकों को सरकार की ओर से सस्ते दर पर जमीन उपलब्ध कराए गए थे और यही कारण था की चर्चा और जोर पकड़ा । लेकिन अब सहकारिता मंत्री के अनुसार किसी तरह के प्रस्ताव से ही इनकार किया जा रहा है सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश के बाद सहकारिता मंत्री ने सफाई दी है।
अविनाश, पटना।
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