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बिहार से मिट रहा नक्सलियों का निशान, नक्सलवाद के खात्मे के लिए सरकार का ये है एक्शन प्लान - etv bharat news

पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले के नक्सलबाड़ी गांव से 1967 में शुरू हुआ 'लाल सलाम' नक्सलवादी के नाम से जाना जाने लगा. नक्सलवादी संगठनों ने जैसे-जैसे अपने पांव पसारे, इनकी हिंसा की घटनाएं बढ़ने लगी. बंगाल से सटे बिहार के कई जिलों में लाल सलाम का नारा गूंजने लगा लेकिन अब बिहार सरकार (Nitish government action against Naxalites) ने इसपर लगाम लगाने के लिए कमर कस ली है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट..

Nitish government action against Naxalites
Nitish government action against Naxalites
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Published : Jun 1, 2022, 7:56 PM IST

पटना: चार दशक तक बिहार में नक्सलियों ने खूब तांडव मचाया. करोड़ों रुपए के सरकारी संपत्ति का नुकसान हुआ और बिहार नक्सली गतिविधियों का केंद्र बना रहा लेकिन सरकार की नीतियों की वजह से अब नक्सलियों के पांव उखड़ने लगे हैं. कई बड़े नक्सली पुलिस के गिरफ्त में है तो कई रडार (action against Naxalites in Bihar) पर हैं.

पढ़ें- 27 सालों से फरार नक्सली संदीप यादव की मौत, ढूंढ रही थी 6 राज्यों की पुलिस, 84 लाख का था इनामी

बिहार में दम तोड़ रहा नक्सलवाद: बिहार झारखंड से नक्सलवाद समाप्ति की ओर है. सरकार की कोशिशों के कारण बिहार झारखंड से नक्सलियों के पांव उखड़ने लगे हैं. कई बड़े नक्सली पुलिस की गिरफ्त में है तो कई सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर हैं. नक्सलियों की संपत्ति जब्ती की भी प्रक्रिया जारी है.

लाल आतंक पड़ा कमजोर: हाल के दिनों में पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की सख्ती की वजह से विजय आर्य उर्फ यशपाल भिखारी उर्फ मिथिलेश मेहता जहां गिरफ्तार किए गए वहीं संदीप उर्फ विजय यादव की मौत पुलिस की दबिश के बाद संदेहास्पद स्थिति में हुई. नक्सलियों के कद और पद को समझने के लिए संगठन के पद सोपान को समझना जरूरी है. नक्सली संगठन में सबसे ऊपर पीबीएम पोलित ब्यूरो मेंबर उसके सीसीएम सेंट्रल कमेटी मेंबर उसके बाद सैक स्पेशल एरिया कमेटी और फिर उसके बाद आरसी रीजनल कमेटी मेंबर का नाम आता है.

देखें वीडियो

आइए जानते हैं नक्सलियों के वह कौन से बड़े चेहरे हैं जिन्होंने सरकार पुलिस प्रशासन और खुफिया एजेंसियों के नींद हराम कर रखी थी.

1. प्रशांतो बोस उर्फ किशन दा: कुख्यात नक्सलियों के फेहरिस्त में सबसे पहला नाम प्रशांतो बोस उर्फ किशन दा (Prashanto Bose urph Kishan Da) का आता है. किशन दा संगठन में सबसे बड़े माने जाते थे और उन्हें पीवीएम पोलित ब्यूरो मेंबर कहा जाता था. किशन दा की पत्नी शीला मरांडी सीसीएम उर्फ सेंट्रल कमेटी मेंबर थी. देश के तमाम बड़ी घटनाओं में किशन दा का हाथ होता था. पारसनाथ पहाड़ी इनका केंद्र था. खुफिया विभाग और पुलिस के ऑपरेशन के बाद खरसावां से दोनों को गिरफ्तार किया गया था.

2. विजय आर्य उर्फ यशपाल: दूसरा नाम विजय आर्य उर्फ यशपाल का है जो देश भर के माओवादी जन संगठन का प्रमुख है. विजय आर्य आधे दर्जन भाषा का जानकार है. विजय आर्या को सबसे पहले 2011 में गिरफ्तार किया गया था. उसके बाद 2018 में गिरफ्तार किए गए और फिर अब रोहतास थाना क्षेत्र से 2022 में गिरफ्तार किए गए हैं. जहानाबाद जेल ब्रेक, राजपुर बघेला थाने पर हमले का मास्टरमाइंड विजय आर्य है.

3. मिथलेश मेहता उर्फ भिखारी उर्फ रोहित: तीसरा नाम मिथलेश मेहता उर्फ भिखारी उर्फ रोहित का आता है. मिथिलेश मेहता सीसीएम के मेंबर थे और बूढ़ा पहाड़ इनके कब्जे में था. सरकार ने मिथिलेश मेहता के ऊपर 25 लाख का इनाम घोषित किया था और इन्हें गया के इमामगंज से गिरफ्तार किया गया था.

4. प्रद्युमन शर्मा उर्फ साकेत: नक्सली प्रद्युमन शर्मा उर्फ साकेत स्पेशल एरिया कमेटी सदस्य हैं. मगध जोनल कमेटी का जिम्मा इनके पास है. प्रदुमन शर्मा को हजारीबाग से गिरफ्तार किया गया था.

5. उमेश यादव उर्फ राधेश्याम उर्फ विमल दा: मसौढ़ी का रहने वाला उमेश यादव उर्फ राधेश्याम उर्फ विमल दा स्पेशल एरिया कमेटी के सदस्य हैं. पुलिस के दबिश के बाद झारखंड में उमेश यादव ने आत्मसमर्पण किया था. इसकी गिरफ्तारी को बड़ी सफलता माना जाता है.

6. संदीप उर्फ विजय यादव: 2 राज्यों की पुलिस ने तब राहत की सांस ली जब संदीप उर्फ विजय यादव (Maoist Sandeep Yadav Died) की डेड बॉडी बरामद हुई. विजय यादव स्पेशल एरिया कमेटी के सदस्य थे और चक्र बंधा पहाड़ इनका कार्य क्षेत्र था. मध्य जोनल कमेटी के प्रमुख भी विजय यादव माने जाते थे. विजय यादव उर्फ संदीप ने अरबों रुपए की संपत्ति अर्जित की थी. वर्तमान समय में संदीप उर्फ विजय यादव बिहार झारखंड के नक्सलियों का बैकबोन माना जाता था. दरअसल संदीप गंभीर रूप से बीमार पड़े थे लेकिन पुलिस ने चारों तरफ से उन्हें घेर रखा था और इलाज के अभाव में इंफेक्शन के वजह से उनकी मौत हो गई.

रडार पर हैं ये नक्सली: नक्सलियों के कई बड़े चेहरे अभी पुलिस के गिरफ्त से बाहर हैं और नक्सलवाद के खात्मे के लिए पुलिस दिन रात एक किए हुए है. पुलिस के रडार पर फिलहाल प्रमोद मिश्रा, गौतम पासवान और नवीन उर्फ सर्वजीत यादव सरीखे कुख्यात नक्सली हैं. संदीप उर्फ विजय यादव के मौत के बाद जिम्मेदारी प्रमोद मिश्रा को मिली है. प्रमोद मिश्रा वर्तमान में पोलित ब्यूरो सदस्य है. इन्हें पीबीएम कहा जाता है. प्रमोद मिश्रा ईस्टर्न रीजन के सेक्रेटरी भी हैं. इस पद पर पहले किशन दा हुआ करते थे.

गौतम पासवान स्पेशल एरिया कमेटी के सदस्य हैं और चक्र बंदा पहाड़ इनका कार्य क्षेत्र है. पुलिस गौतम पासवान के गिरफ्तारी के लिए जद्दोजहद कर रही है. तीसरा नाम नवीन उर्फ सर्वजीत यादव का है. नवीन रीजनल कमेटी सदस्य हैं और बूढ़ा पहाड़ का इलाका इनका कार्य क्षेत्र है. नवीन की गिरफ्तारी के लिए भी सुरक्षा एजेंसियां एकीकृत प्रयास कर रही हैं.

"नक्सलवाद पर लगाम लगा है. ऐसा संभव केंद्र और राज्य सरकार के प्रयासों से हो पाया है. जरूरत इस बात की है कि नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने के लिए प्रयास किए जाए. गरीबों को गरीबी रेखा से ऊपर लाने के लिए सरकार योजना बनाए."- रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार

"नक्सलियों को हिंसा के द्वारा लड़ाई नहीं लड़नी चाहिए. लोकतांत्रिक तरीके से उन्हें अपना अधिकार मांगना चाहिए. सरकार को भी चाहिए कि नक्सलियों के लिए योजना बनाए सरेंडर पॉलिसी लागू करें."- अमिताभ कुमार दास, पूर्व आईपीएस

इन जिलों से खत्म हुआ लाल आतंक: पहले जहां देश के नक्सल प्रभावित राज्यों में छत्तीसगढ़ और झारखंड के बाद बिहार का नाम आता था लेकिन इस स्थिति में बहुत सुधार होने के कारण बिहार का नाम छत्तीसगढ़ झारखंड उड़ीसा और महाराष्ट्र के बाद अब पांचवें नंबर पर आता है. बिहार में पहले जहां 16 जिले नक्सल प्रभावित हुआ करते थे. वह अब घटकर महज 10 रह गए हैं. इनमें से 6 जिले अभी भी ज्यादा नक्सल प्रभावित हैं. आपको बता दें कि मुजफ्फरपुर, नालंदा, जहानाबाद समेत बिहार के 6 जिलों को नक्सल प्रभाव से मुक्त घोषित कर दिया गया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय के वाम उग्रवाद विभाग ने देश के 11 राज्यों में 30 जिलों को नक्सल प्रभावित से मुक्त किया था. इनमें बिहार के मुजफ्फरपुर, वैशाली, नालंदा, जहानाबाद, अरवल और पूर्वी चंपारण जिला शामिल है.

पढ़ें-मुंगेर से हार्डकोर नक्सली सुनील मंडल गिरफ्तार, 12 मामलों में पुलिस को थी तलाश

पढ़ें- लखीसराय से हार्डकोर नक्सली गुड्डू यादव गिरफ्तार, आजिमगंज पंचायत के मुखिया हत्याकांड सहित कई मामलों में थी तलाश

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पटना: चार दशक तक बिहार में नक्सलियों ने खूब तांडव मचाया. करोड़ों रुपए के सरकारी संपत्ति का नुकसान हुआ और बिहार नक्सली गतिविधियों का केंद्र बना रहा लेकिन सरकार की नीतियों की वजह से अब नक्सलियों के पांव उखड़ने लगे हैं. कई बड़े नक्सली पुलिस के गिरफ्त में है तो कई रडार (action against Naxalites in Bihar) पर हैं.

पढ़ें- 27 सालों से फरार नक्सली संदीप यादव की मौत, ढूंढ रही थी 6 राज्यों की पुलिस, 84 लाख का था इनामी

बिहार में दम तोड़ रहा नक्सलवाद: बिहार झारखंड से नक्सलवाद समाप्ति की ओर है. सरकार की कोशिशों के कारण बिहार झारखंड से नक्सलियों के पांव उखड़ने लगे हैं. कई बड़े नक्सली पुलिस की गिरफ्त में है तो कई सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर हैं. नक्सलियों की संपत्ति जब्ती की भी प्रक्रिया जारी है.

लाल आतंक पड़ा कमजोर: हाल के दिनों में पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की सख्ती की वजह से विजय आर्य उर्फ यशपाल भिखारी उर्फ मिथिलेश मेहता जहां गिरफ्तार किए गए वहीं संदीप उर्फ विजय यादव की मौत पुलिस की दबिश के बाद संदेहास्पद स्थिति में हुई. नक्सलियों के कद और पद को समझने के लिए संगठन के पद सोपान को समझना जरूरी है. नक्सली संगठन में सबसे ऊपर पीबीएम पोलित ब्यूरो मेंबर उसके सीसीएम सेंट्रल कमेटी मेंबर उसके बाद सैक स्पेशल एरिया कमेटी और फिर उसके बाद आरसी रीजनल कमेटी मेंबर का नाम आता है.

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आइए जानते हैं नक्सलियों के वह कौन से बड़े चेहरे हैं जिन्होंने सरकार पुलिस प्रशासन और खुफिया एजेंसियों के नींद हराम कर रखी थी.

1. प्रशांतो बोस उर्फ किशन दा: कुख्यात नक्सलियों के फेहरिस्त में सबसे पहला नाम प्रशांतो बोस उर्फ किशन दा (Prashanto Bose urph Kishan Da) का आता है. किशन दा संगठन में सबसे बड़े माने जाते थे और उन्हें पीवीएम पोलित ब्यूरो मेंबर कहा जाता था. किशन दा की पत्नी शीला मरांडी सीसीएम उर्फ सेंट्रल कमेटी मेंबर थी. देश के तमाम बड़ी घटनाओं में किशन दा का हाथ होता था. पारसनाथ पहाड़ी इनका केंद्र था. खुफिया विभाग और पुलिस के ऑपरेशन के बाद खरसावां से दोनों को गिरफ्तार किया गया था.

2. विजय आर्य उर्फ यशपाल: दूसरा नाम विजय आर्य उर्फ यशपाल का है जो देश भर के माओवादी जन संगठन का प्रमुख है. विजय आर्य आधे दर्जन भाषा का जानकार है. विजय आर्या को सबसे पहले 2011 में गिरफ्तार किया गया था. उसके बाद 2018 में गिरफ्तार किए गए और फिर अब रोहतास थाना क्षेत्र से 2022 में गिरफ्तार किए गए हैं. जहानाबाद जेल ब्रेक, राजपुर बघेला थाने पर हमले का मास्टरमाइंड विजय आर्य है.

3. मिथलेश मेहता उर्फ भिखारी उर्फ रोहित: तीसरा नाम मिथलेश मेहता उर्फ भिखारी उर्फ रोहित का आता है. मिथिलेश मेहता सीसीएम के मेंबर थे और बूढ़ा पहाड़ इनके कब्जे में था. सरकार ने मिथिलेश मेहता के ऊपर 25 लाख का इनाम घोषित किया था और इन्हें गया के इमामगंज से गिरफ्तार किया गया था.

4. प्रद्युमन शर्मा उर्फ साकेत: नक्सली प्रद्युमन शर्मा उर्फ साकेत स्पेशल एरिया कमेटी सदस्य हैं. मगध जोनल कमेटी का जिम्मा इनके पास है. प्रदुमन शर्मा को हजारीबाग से गिरफ्तार किया गया था.

5. उमेश यादव उर्फ राधेश्याम उर्फ विमल दा: मसौढ़ी का रहने वाला उमेश यादव उर्फ राधेश्याम उर्फ विमल दा स्पेशल एरिया कमेटी के सदस्य हैं. पुलिस के दबिश के बाद झारखंड में उमेश यादव ने आत्मसमर्पण किया था. इसकी गिरफ्तारी को बड़ी सफलता माना जाता है.

6. संदीप उर्फ विजय यादव: 2 राज्यों की पुलिस ने तब राहत की सांस ली जब संदीप उर्फ विजय यादव (Maoist Sandeep Yadav Died) की डेड बॉडी बरामद हुई. विजय यादव स्पेशल एरिया कमेटी के सदस्य थे और चक्र बंधा पहाड़ इनका कार्य क्षेत्र था. मध्य जोनल कमेटी के प्रमुख भी विजय यादव माने जाते थे. विजय यादव उर्फ संदीप ने अरबों रुपए की संपत्ति अर्जित की थी. वर्तमान समय में संदीप उर्फ विजय यादव बिहार झारखंड के नक्सलियों का बैकबोन माना जाता था. दरअसल संदीप गंभीर रूप से बीमार पड़े थे लेकिन पुलिस ने चारों तरफ से उन्हें घेर रखा था और इलाज के अभाव में इंफेक्शन के वजह से उनकी मौत हो गई.

रडार पर हैं ये नक्सली: नक्सलियों के कई बड़े चेहरे अभी पुलिस के गिरफ्त से बाहर हैं और नक्सलवाद के खात्मे के लिए पुलिस दिन रात एक किए हुए है. पुलिस के रडार पर फिलहाल प्रमोद मिश्रा, गौतम पासवान और नवीन उर्फ सर्वजीत यादव सरीखे कुख्यात नक्सली हैं. संदीप उर्फ विजय यादव के मौत के बाद जिम्मेदारी प्रमोद मिश्रा को मिली है. प्रमोद मिश्रा वर्तमान में पोलित ब्यूरो सदस्य है. इन्हें पीबीएम कहा जाता है. प्रमोद मिश्रा ईस्टर्न रीजन के सेक्रेटरी भी हैं. इस पद पर पहले किशन दा हुआ करते थे.

गौतम पासवान स्पेशल एरिया कमेटी के सदस्य हैं और चक्र बंदा पहाड़ इनका कार्य क्षेत्र है. पुलिस गौतम पासवान के गिरफ्तारी के लिए जद्दोजहद कर रही है. तीसरा नाम नवीन उर्फ सर्वजीत यादव का है. नवीन रीजनल कमेटी सदस्य हैं और बूढ़ा पहाड़ का इलाका इनका कार्य क्षेत्र है. नवीन की गिरफ्तारी के लिए भी सुरक्षा एजेंसियां एकीकृत प्रयास कर रही हैं.

"नक्सलवाद पर लगाम लगा है. ऐसा संभव केंद्र और राज्य सरकार के प्रयासों से हो पाया है. जरूरत इस बात की है कि नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने के लिए प्रयास किए जाए. गरीबों को गरीबी रेखा से ऊपर लाने के लिए सरकार योजना बनाए."- रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार

"नक्सलियों को हिंसा के द्वारा लड़ाई नहीं लड़नी चाहिए. लोकतांत्रिक तरीके से उन्हें अपना अधिकार मांगना चाहिए. सरकार को भी चाहिए कि नक्सलियों के लिए योजना बनाए सरेंडर पॉलिसी लागू करें."- अमिताभ कुमार दास, पूर्व आईपीएस

इन जिलों से खत्म हुआ लाल आतंक: पहले जहां देश के नक्सल प्रभावित राज्यों में छत्तीसगढ़ और झारखंड के बाद बिहार का नाम आता था लेकिन इस स्थिति में बहुत सुधार होने के कारण बिहार का नाम छत्तीसगढ़ झारखंड उड़ीसा और महाराष्ट्र के बाद अब पांचवें नंबर पर आता है. बिहार में पहले जहां 16 जिले नक्सल प्रभावित हुआ करते थे. वह अब घटकर महज 10 रह गए हैं. इनमें से 6 जिले अभी भी ज्यादा नक्सल प्रभावित हैं. आपको बता दें कि मुजफ्फरपुर, नालंदा, जहानाबाद समेत बिहार के 6 जिलों को नक्सल प्रभाव से मुक्त घोषित कर दिया गया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय के वाम उग्रवाद विभाग ने देश के 11 राज्यों में 30 जिलों को नक्सल प्रभावित से मुक्त किया था. इनमें बिहार के मुजफ्फरपुर, वैशाली, नालंदा, जहानाबाद, अरवल और पूर्वी चंपारण जिला शामिल है.

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