ETV Bharat / state

राहत इंदौरी का जाना कला जगत की अपूरणीय क्षति- नीलांशु रंजन - Rahat Indouri death

नीलांशु रंजन बताते हैं कि राहत इंदौरी को मुझसे काफी लगाव और निजी संबंध भी था. पटना के अधिवेशन भवन में वर्ष 2017 में बिहार के सबसे बड़े कार्यक्रम 'नज्म-ए-नीलांशु सह बज्म-ए-मुशायरा' में राहत इंदौरी ने मेरी पुस्तक का लोकार्पण कर अपने शायरी से जबरदस्त समा बांधा था.

पटना
पटना
author img

By

Published : Aug 14, 2020, 9:48 PM IST

पटना: अभी गनीमत है सब्र मेरा, अभी लबालब भरा नहीं हूं. वो मुझको मुर्दा समझ रहा है, उसे कहो मैं मरा नहीं हूं. उर्दू अदब के शायर डॉ. राहत इंदौरी की मौत से मानों साहित्य की दुनिया का एक पन्ना सिमट गया हो. मशहूर शायर दिवंगत डॉ. राहत इंदौरी के निधन से शायरी और कला जगत के तमाम लोग आहत हैं.

सभी राहत से अपने खास रिश्ते और उनकी हाजिर जवाबी की तारीफ में मशगूल हैं. इसी क्रम में पटना के वरिष्ठ पत्रकार सह लेखक नीलांशु रंजन ने ईटीवी भारत से शायर राहत इंदौरी के साथ बिताए कुछ खास पलों को साझा किया है.

नीलांशु रंजन याद करते हुए बताते हैं कि राहत इंदौरी को मुझसे काफी लगाव और निजी संबंध भी था. पटना के अधिवेशन भवन में वर्ष 2017 में बिहार के सबसे बड़े कार्यक्रम 'नज्म-ए-नीलांशु सह बज्म-ए-मुशायरा' का आयोजन किया गया था. जिसमें राहत इंदौरी ने नीलांशु रंजन की पुस्तक का लोकार्पण कर अपने शायरी से जबरदस्त समा बांधा था. निलांशु कहते हैं जितनी देर तक राहत इंदौरी का कार्यक्रम चला, लोग ऑडिटोरियम से हिले तक नहीं. यहां तक कि लालू प्रसाद यादव भी 5 घंटे लगातार कार्यक्रम में बैठकर डॉ. राहत इंदौरी को सुन रहे थे.

पटना
एक कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और राहत इंदौरी के साथ नीलांशु

'सहजता के पर्याय थे राहत'
वरिष्ठ पत्रकार निलांशु रंजन ने ईटीवी भारत से बताया कि राहत इंदौरी जब भी बिहार या पटना आते तो उनसे मुलाकात जरूर करते थे. फिर दोनों के बीच घंटों बातचीत होती थी. साथ ही राहत इंदौरी ने मेरे किताब के लिए कविता भी लिखी है. उन्होंने कहा कि राहत इंदौरी का यूं अचानक चले जाने से हुई क्षति को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है. राहत इंदौरी ऐसे शख्सियत थे, जिन्हें कभी किसी बात का घमंड नहीं रहा. सभी से बड़े ही सरल और सहज तरीके से पेश आते थे.

पटना
वरिष्ठ पत्रकार सह लेखक नीलांशु रंजन

'मुशायरा लूटना जानते थे राहत'
याद करते हुए निलांशु कहते हैं. जब भी हम उन्हें किसी कार्यक्रम के लिए उन्हें निमंत्रण देते तो वो एक बार भी मना नहीं कहते थे. मुशायरा जगत के बादशाह होने के साथ ही उन्होंने कई सुपरहिट फिल्मों के गाने भी लिखे हैं. लेकिन कभी भी इस बात का उन्होंने जिक्र तक नहीं किया. क्योंकि वह शायरी से बेहद लगाव रखते थे. उन्होंने कहा कि उनके शायरी में मोहब्बत, बगावत और रोश सब मिलता है. हर मुशायरे को वह लूट के ले जाते थे. वहीं लोग उनको सुनने के लिए काफी बेताब और लालायित रहते थे.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'समानता का भाव रखते थे राहत'
निलांशु ने आगे बताया कि गुलजार साहब ने भी कहा है कि मुशायरे लूटने का अंदाज तो कोई राहत से सीखे. राहत साहब के शायरी सुनाने का अंदाज सबसे अलग होता था. उनके कहने का जो अंदाज था वह बिल्कुल अलहदा था. इतने बड़े शख्सियत होते हुए भी वो सबके साथ मिलजुल कर रहा करते थे. उन्होंने कभी बड़े-छोटे का भेदभाव नहीं किया. उनके अंदर जो सादगी थी उसी के कारण लोग उनको सुनने के लिए बेताब रहते थे.

पटना: अभी गनीमत है सब्र मेरा, अभी लबालब भरा नहीं हूं. वो मुझको मुर्दा समझ रहा है, उसे कहो मैं मरा नहीं हूं. उर्दू अदब के शायर डॉ. राहत इंदौरी की मौत से मानों साहित्य की दुनिया का एक पन्ना सिमट गया हो. मशहूर शायर दिवंगत डॉ. राहत इंदौरी के निधन से शायरी और कला जगत के तमाम लोग आहत हैं.

सभी राहत से अपने खास रिश्ते और उनकी हाजिर जवाबी की तारीफ में मशगूल हैं. इसी क्रम में पटना के वरिष्ठ पत्रकार सह लेखक नीलांशु रंजन ने ईटीवी भारत से शायर राहत इंदौरी के साथ बिताए कुछ खास पलों को साझा किया है.

नीलांशु रंजन याद करते हुए बताते हैं कि राहत इंदौरी को मुझसे काफी लगाव और निजी संबंध भी था. पटना के अधिवेशन भवन में वर्ष 2017 में बिहार के सबसे बड़े कार्यक्रम 'नज्म-ए-नीलांशु सह बज्म-ए-मुशायरा' का आयोजन किया गया था. जिसमें राहत इंदौरी ने नीलांशु रंजन की पुस्तक का लोकार्पण कर अपने शायरी से जबरदस्त समा बांधा था. निलांशु कहते हैं जितनी देर तक राहत इंदौरी का कार्यक्रम चला, लोग ऑडिटोरियम से हिले तक नहीं. यहां तक कि लालू प्रसाद यादव भी 5 घंटे लगातार कार्यक्रम में बैठकर डॉ. राहत इंदौरी को सुन रहे थे.

पटना
एक कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और राहत इंदौरी के साथ नीलांशु

'सहजता के पर्याय थे राहत'
वरिष्ठ पत्रकार निलांशु रंजन ने ईटीवी भारत से बताया कि राहत इंदौरी जब भी बिहार या पटना आते तो उनसे मुलाकात जरूर करते थे. फिर दोनों के बीच घंटों बातचीत होती थी. साथ ही राहत इंदौरी ने मेरे किताब के लिए कविता भी लिखी है. उन्होंने कहा कि राहत इंदौरी का यूं अचानक चले जाने से हुई क्षति को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है. राहत इंदौरी ऐसे शख्सियत थे, जिन्हें कभी किसी बात का घमंड नहीं रहा. सभी से बड़े ही सरल और सहज तरीके से पेश आते थे.

पटना
वरिष्ठ पत्रकार सह लेखक नीलांशु रंजन

'मुशायरा लूटना जानते थे राहत'
याद करते हुए निलांशु कहते हैं. जब भी हम उन्हें किसी कार्यक्रम के लिए उन्हें निमंत्रण देते तो वो एक बार भी मना नहीं कहते थे. मुशायरा जगत के बादशाह होने के साथ ही उन्होंने कई सुपरहिट फिल्मों के गाने भी लिखे हैं. लेकिन कभी भी इस बात का उन्होंने जिक्र तक नहीं किया. क्योंकि वह शायरी से बेहद लगाव रखते थे. उन्होंने कहा कि उनके शायरी में मोहब्बत, बगावत और रोश सब मिलता है. हर मुशायरे को वह लूट के ले जाते थे. वहीं लोग उनको सुनने के लिए काफी बेताब और लालायित रहते थे.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'समानता का भाव रखते थे राहत'
निलांशु ने आगे बताया कि गुलजार साहब ने भी कहा है कि मुशायरे लूटने का अंदाज तो कोई राहत से सीखे. राहत साहब के शायरी सुनाने का अंदाज सबसे अलग होता था. उनके कहने का जो अंदाज था वह बिल्कुल अलहदा था. इतने बड़े शख्सियत होते हुए भी वो सबके साथ मिलजुल कर रहा करते थे. उन्होंने कभी बड़े-छोटे का भेदभाव नहीं किया. उनके अंदर जो सादगी थी उसी के कारण लोग उनको सुनने के लिए बेताब रहते थे.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.