पटना: बिहार ही नहीं बल्कि देश के कई राज्य नक्सल प्रभावित हैं. हालांकि नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे ऑपरेशन (Action against Naxal in Bihar) से पहले की तुलना में बिहार की स्थिति सुधारी है. पहले देश में जहां बिहार नक्सल समस्या के मामलों को लेकर तीसरे स्थान पर था, अब पांचवें स्थान पर पहुंच गया है.
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इन जिलों से खत्म हुआ लाल आतंक: पहले जहां देश के नक्सल प्रभावित राज्यों में छत्तीसगढ़ और झारखंड के बाद बिहार का नाम आता था लेकिन इस स्थिति में बहुत सुधार होने के कारण बिहार का नाम छत्तीसगढ़ झारखंड उड़ीसा और महाराष्ट्र के बाद अब पांचवें नंबर पर आता है. बिहार में पहले जहां 16 जिले नक्सल प्रभावित हुआ करते थे. वह अब घटकर महज 10 रह गए हैं. इनमें से 6 जिले अभी भी ज्यादा नक्सल प्रभावित हैं. आपको बता दें कि मुजफ्फरपुर, नालंदा, जहानाबाद समेत बिहार के 6 जिलों को नक्सल प्रभाव से मुक्त घोषित कर दिया गया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय के वाम उग्रवाद विभाग ने देश के 11 राज्यों में 30 जिलों को नक्सल प्रभावित से मुक्त किया था. इनमें बिहार के मुजफ्फरपुर, वैशाली, नालंदा, जहानाबाद, अरवल और पूर्वी चंपारण जिला शामिल है.
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दुर्दांत नक्सलियों को रिमांड पर लेगी NIA: हालांकि केंद्रीय गृह मंत्रालय का वाम उग्रवाद विभाग समय-समय प्रदेश स्तर पर नक्सल प्रभावित जिलों की समीक्षा करता रहता है. बिहार के मगध क्षेत्र में नक्सलियों की गतिविधियों (Naxalites activities in Magadha region) को खत्म करने की तैयारी की जा रही है. जानकारी के अनुसार नक्सली गतिविधियों को लेकर पहली बार गया में एनआईए की टीम की मदद ली जा रही है. गया जेल में बंद 5 दुर्दांत नक्सलियों को रिमांड पर लेने की पूरी तैयारी कर ली गई है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कोर्ट में एनआईए के द्वारा आवेदन दिया जा चुका है. इस तरह देश की सबसे बड़ी सुरक्षा एजेंसी एनआईए अब नक्सलियों को नेस्तेनाबूत करने की दिशा में बिहार में बड़ी भूमिका निभा रही है. गौरतलब है कि मगध प्रक्षेत्र में गया के अलावा औरंगाबाद, जहानाबाद, अरवल और नवादा जिले आते हैं. इसमें गया, औरंगाबाद, जहानाबाद सर्वाधिक आर्थिक नक्सल प्रभावित इलाका है.
एनआईए तोड़ रही नक्सलियों का गठजोड़: आपको बता दें कि नक्सली संगठन भाकपा माओवादी ने गया और औरंगाबाद जिले में अपनी गतिविधियों को पूरी तरह से एक्टिव कर रखा है, जिसके चलते गया, औरंगाबाद जिले में सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच लगातार मुठभेड़ भी होती रहती है. मिल रही जानकारी के अनुसार गया जेल में बंद केंद्रीय कमेटी का लीडर मिथिलेश महतो समेत अन्य नक्सलियों को रिमांड पर लेने की तैयारी की जा रही है. उम्मीद जताई जा रही है कि नक्सलियों से पूछताछ के दौरान कई अहम खुलासे भी हो सकते हैं. हालांकि यह कोई पहली बार नहीं है कि गया जेल में बंद नक्सलियों से एनआईए पूछताछ करेगी. इससे पहले भी बेउर जेल में बंद बड़े नक्सली परशुराम सिंह उर्फ नंद जी समेत पांच नक्सलियों से पूछताछ करने के लिए एनआईए को अनुमति मिली थी.
बिहार में नक्सलियों पर नकेल:-
![NIA action against Naxalites in Bihar](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/14890285_lll.jpg)
इन नक्सलियों को किया गया गिरफ्तार: बता दें कि 1 मार्च 2021 को एसटीएफ के द्वारा नक्सलियों के विरुद्ध चलाए जा रहे अभियान के तहत पटना और जहानाबाद में एक साथ छापेमारी कर बड़े नक्सलियों की गिरफ्तारी हुई थी. उनके पास से अग्नेशास्त्र और विस्फोटक पदार्थ के सामान सहित कई आपत्तिजनक चीजें मिली थी. जहानाबाद के विस्तार और पटना के गजाधर चक्के में छापेमारी में 3 नक्सली गिरफ्तार किए गए थे. वहीं जहानाबाद के विस्तार में दो कुख्यात नक्सली परशुराम सिंह और संजय सिंह को पकड़ा गया था.
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जहानाबाद जेल ब्रेक कांड में शामिल सभी नक्सली सलाखों के पीछे: दानापुर के गजाधर चक्की से गौतम सिंह नाम का नक्सली गिरफ्तार किया गया था. इस कांड की जांच एनआईए की टीम कर रही है. आपको बता दें कि राजधानी पटना के बेउर जेल में बड़े नक्सली परशुराम सिंह नंद जी, राकेश कुमार, प्रेम राज उर्फ गौतम कुमार, मोहम्मद बकरुदीन और संजय कुमार बंद हैं. इनसे नक्सली कनेक्शन समेत कई बिंदुओं को लेकर पूछताछ भी की गई थी. इसके अलावे जहानाबाद जेल ब्रेक कांड (Jehanabad Jail Break Case) में मुख्य आरोपी अजय कानू के साथ-साथ कई नक्सली को पकड़ा गया था. दरअसल साथियों को छुड़ाने के लिए नक्सलियों ने साल 2005 में जहानाबाद जेल ब्रेक कांड के घटना को अंजाम दिया था, जिसमें अजय कानू को छुड़ाने में सफलता हासिल की गई थी. अभी इस वक्त राजधानी पटना के बेउर जेल में सभी बंद हैं. इसके अलावा बिहार के कुख्यात नक्सली चंदन सिंह भी पटना के बेउर जेल में बंद है.
पकड़ा गया था तबाही सामान: छापेमारी में कुख्यात परशुराम सिंह और संजय सिंह के पास से 605 डेटोनेटर,315 कार्य कूलर राइफल, 7 मैगजीन और 25 राउंड कारतूस समेत कई आपत्तिजनक चीजें बरामद की गई थी. वहीं दानापुर के गजाधर चौक से गिरफ्तार गौतम सिंह के पास से 4 डेटोनेटर समेत कई आपत्तिजनक सामान बरामद की गई थी. इनके ऊपर आरोप था कि यह सभी हथियार और विस्फोटक बिहार और झारखंड के नक्सलियों को आपूर्ति करते थे.
जेल में बंद होने के बावजूद मोबाइल का कर रहे थे प्रयोग: वहीं बिहार के मुजफ्फरपुर के खुदीराम बोस सेंट्रल जेल में तीन नक्सली कमांडर बंद हैं, इनमें रोहित साहनी जोलैंड माइंड स्कलोरशिप के विशेषज्ञ और अटैक विंग का कमांडर है. इसके 2 साथी माओवादी नकल संगठन के जोनल कमांडर लालबाबू भास्कर और जोनल मोदी कमांडर अभयानंद शर्मा हैं. जेल में बंद होने के बावजूद भी तीनों के पास से मोबाइल फोन बरामद किया गया था, जिसका कॉल डिटेल भी निकाला गया था.
14 फरवरी को एक साथ बिहार के कई जिलों में छापेमारी की गई थी. सूचना मिली थी कि बिहार के जेलों में बंद नक्सलियों के नाम पर बाहर में वसूली की जा रही है. जिसमें छापेमारी के दौरान कई दस्तावेज और संवेदनशील, आपत्तिजनक सामान भी बरामद हुआ था. दरअसल एनआईए को सूचना मिली थी कि सालों से बंद प्रदुमन शर्मा और कविजी समेत कई बड़े नक्सली नेताओं के नाम पर माओवादी संगठन पैसे की उगाही कर रहे हैं. जिसमें उनका पूरा सिंडिकेट लगा हुआ है. कई माफिया जानबूझकर फंडिंग करते हैं. एनआईए की टीम ने जहानाबाद में सुखदेव नाम के व्यक्ति से कई घंटे तक पूछताछ भी की थी. जिसमें टेरर फंडिंग के लेनदेन से जुड़े कई लोगों के नाम और नंबर भी सामने आए थे.
नक्सलियों को फंडिंग: जिसके आधार पर ही सिंडिकेट में शामिल बिहार के अलावा पश्चिम बंगाल, झारखंड, उड़ीसा, मध्य प्रदेश के कई नए लोगों के नाम भी सामने आ चुके हैं. जांच में यह बात भी सामने आई थी कि बिहार के अलावा झारखंड के कई कोयला माफिया भी नक्सलियों को लगातार फंडिंग करते हैं ताकि उनका पूरा सिंडिकेट आसानी से चल सके. इसके अलावा बिहार में मादक पदार्थ खासकर गांजा की तस्करी का भी बड़ा नेटवर्क नक्सलियों से जुड़ा हुआ है. जिसके अवैध कमाई का बड़ा हिस्सा नक्सलियों को जाता है और इसका मुख्य केंद्र उड़ीसा है. बिहार के छपरा मंडल कारा में नक्सली जोनल कमांडर नकुल जी सहित 16 नक्सली मंडल कारा में बंद है, जिसमें 2 महिला भी शामिल हैं. इनमें अतिषजी, अतुल जी, राम पुकार महतो, प्रहार जी प्रमुख हैं. इनमें से नकुल का काम संगठन को मजबूत करना है और अधिक से अधिक सदस्य बनाना है. इसके अलावे बिहार के भागलपुर जेल में मोस्ट वांटेड नक्सलियों को भी रखा गया है. आपको बता दें कि 25 अक्टूबर 2018 को बिहार का कुख्यात नक्सली प्रमोद कोड़ा को एके-47 से फायरिंग के दौरान एनकाउंटर में ढेर कर दिया गया था. इसके पास से पुलिस को एके-47 के अलावा आईडी और डेटोनेट मिले थे.
नक्सलियों के सरगना गिरफ्तार: विगत 8 मार्च 2022 को गया में नक्सली मिथिलेश मेहता को गिरफ्तार किया गया था. पुलिस द्वारा उसकी गिरफ्तारी गुप्त सूचना के आधार पर की गई थी. वहीं 5 मार्च 2022 को हार्डकोर नक्सली रामदुलार यादव को रोहतास जिले के पुलिस ने गिरफ्तार किया. 2020 में ईंट भट्टा संचालकों और सड़क निर्माण की कई एजेंसियों से लेवी वसूली के मामले में वह आरोपी था. 21 जनवरी 2022 को बिहार झारखंड के सीमावर्ती एरिया में नक्सलियों के खिलाफ अभियान में सुरक्षा बलों को बड़ी कामयाबी मिली थी. अभियान के तहत दो नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया था. इनमें रोहन सोरेन को गुनियथार और श्याम सुरेन को गुलतीपत्थर से गिरफ्तार किया गया था. 1 नवंबर 2021 को जमुई की चकाई पुलिस ने ₹25000 के इनामी हार्डकोर नक्सली छोटूकु मंडल को गिरफ्तार किया था. 3 सितंबर 2021 को बिहार के मुंगेर में पुलिस के द्वारा जमालपुर एसटीएफ की टीम ने लगातार थाना क्षेत्र से सराधी गांव के रहने वाले कोट नक्सली जमील कोड़ा को गिरफ्तार कर लिया था.
रक्षा विशेषज्ञ ललन सिंह ने कहा: गया जेल में बंद नक्सलियों से एनआईए की पूछताछ को लेकर रक्षा विशेषज्ञ ललन सिंह ने बताया कि एनआईए जो कि देश की सबसे बड़ी विश्वसनीय सुरक्षा एजेंसी है वो नक्सलियों से पूछताछ कर रही है. इसका सीधा मतलब कि एनआईए को जरूर नक्सलियों से आतंकियों का कनेक्शन मिला है. जिस वजह से एनआईए अब इस मामले में इंवॉल्व हुई है. एनआईए को इंफॉर्मेशन मिली है कि JMB और लस्कर और TRF आतंकियों का कनेक्शन सामने आया है और बिहार झारखंड और छत्तीसगढ़ के नक्सलियों द्वारा इन्हें हथियार मुहैया कराया जा रहा है.
"अब एनआईए के हस्तक्षेप के बाद नक्सलियों को नेस्तेनाबूत करने के साथ-साथ इनका आतंकियों से संबंध को भी पूरी तरह से खत्म कर दिया जाएगा. एनआईए के पास देश के सभी राज्यों का इंफॉर्मेशन होता है जिस वजह से जितना जरूरत पड़ता है, एनआईए उस राज्य को इंफॉर्मेशन देती है. अब यह माना जा सकता है कि एनआईए के इस मामले में इंवॉल्व होने के बाद बिहार से नक्सलियों का सफाया होना तय है."-ललन सिंह, रक्षा विशेषज्ञ
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