पटनाः छपरा जहरीली शराबकांड में एनएचआरसी ने अपनी रिपोर्ट में जो कुछ भी कहा है उस पर बीजेपी के नेताओं ने प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दी है. बीजेपी विधान पार्षद संजय मयूख ने कहा है कि ये इस मामले में जिस तरह से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट आई है कि 32 लोगों को बिना पोस्टमॉर्टम किए जला दिया गया, निश्चित तौर पर यह दुर्भाग्यपूर्ण है. हम चाहते हैं कि सदन में इसकी चर्चा हो.
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पूरे मामले पर हो सदन में चर्चाः संजय मयूख ने कहा कि वर्तमान सरकार ने छपरा शराबकांड को लेकर जो रवैया अपनाया है और जिस तरह से वहां की स्थिति को खराब किया निश्चित तौर पर इस पर चर्चा होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि प्रशासन ने वहां के लोगों के साथ कितना बड़ा अन्याय किया है. ये मानवाधिकार के रिपोर्ट ने बता दिया है. भारतीय जनता पार्टी चाहती है कि इसकी पूरे मामले की चर्चा हो कि किस तरह से जहरीली शराब बनाने वाले लोग सक्रिय थे. किस तरह से गरीबों ने जहरीली शराब पी और उसके बाद जब मौत हुई तो स्थानीय प्रशासन ने किस तरह से उसे दबाया यह सब सामने आना चाहिए.
"सदन में इस पर विस्तृत चर्चा हो. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने पूरी पोल खोल दी है और इसकी जांच होनी चाहिए जो दोषी अधिकारी हैं उन पर अविलंब कार्रवाई होनी चाहिए. छपरा शराबकांड को लेकर मुख्यमंत्री को सदन को बताना चाहिए कि आखिर किस स्थिति में 32 लोगों का बिना पोस्टमार्टम किए हुए शव को जला दिया गया"- संजय मयूख, बीजेपी विधान पार्षद
रिपोर्ट में एनएचआरसी ने क्या कहाः आपको बता दें कि पिछले साल नवंबर में हुए छपरा जहरीली शराबकांड की जांच के बाद एनएचआरसी ने अपनी रिपोर्ट कहा है कि जिला प्रशासन ने मरने वालों की संख्या छुपाई है. आयोग ने अपनी 18 पन्नों की रिपोर्ट में बताया कि जहरीली शराब पीने से 44 नहीं बल्कि 77 लोगों की मौत हुई है. जिसमें ज्यादातर मजदूर, चालक, किसान और फेरीवाले शामिल थे. रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि मरने वालों में 75% लोग पिछड़ी जातियों के थे.