पटना : पटना हाईकोर्ट में राज्य की निचली अदालतों में वकीलों के बैठने और कार्य करने की व्यवस्था एवं अन्य बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं होने के मामले की सुनवाई अब गर्मी की छुट्टी के बाद होगी. चीफ जस्टिस केवी चन्द्रन की खंडपीठ वरीय अधिवक्ता रमाकांत शर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है. पूर्व की बहस में पटना हाईकोर्ट के समक्ष राज्य सरकार की ओर से कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत किया था.
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अन्य जिलों में टेंडर की चल रही कार्रवाई: राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पीके शाही ने पटना हाईकोर्ट बताया था कि 13 स्थानों के लिए वकीलों के लिए भवन निर्माण और बुनियादी सुविधाओं के लिए टेंडर जारी कर दिया गया. बाकी अन्य जिलों में भी कार्रवाई चल रही है. पहले की बहस में कोर्ट ने भूमि उपलब्धता के मामलें पर राज्य के विकास आयुक्त को अधिकारियों के साथ बैठक करने का निर्देश दिया था.
ठेकेदारी के काम में विलंब से लागत बढ़ेगी: पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को बताया था कि राज्य के 38 जिलों में से कितने जिलों में वकीलों के भवन निर्माण के लिए डीएम ने भूमि चिह्नित कर भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई पूरी कर ली है. अधिवक्ता रमाकांत शर्मा ने कोर्ट को बताया था कि भवनों का निर्माण राज्य सरकार के भवन निर्माण भवन निर्माण विभाग करें तो काम तेजी से हो सकेगा. ठेकेदारी के काम में विलम्ब होने के अलावे लागत भी ज्यादा आएगा.
वकीलों की बुनयादी सुविधा का अभाव: याचिकाकर्ता का कहना था कि राज्य के अदालतों की स्थिति अच्छी नहीं है. अधिवक्ता अदालतों में कार्य करते है, लेकिन उनके लिए न तो बैठने की पर्याप्त व्यवस्था है और न कार्य करने की सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं. वकीलों के लिये शुद्ध पेय जल, शौचालय और अन्य बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध नहींं होती हैं. उन्होंने कोर्ट को बताया था कि अदालतों के भवन के लिए जहां भूमि उपलब्ध भी है. वहां भूमि को स्थानांतरित नहीं किया गया है. जहां भूमि उपलब्ध करा दिया गया है. वहां कार्य शुरू नहीं तो पाया है.