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दलित और मुस्लिम के बाद अब RJD का कैडर वोट बैंक यादव पर है नीतीश की नजर!

बिहार की राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले नीतीश कुमार ने इस बार तो आरजेडी के अपने ही वोट बैंक में सेंध मार दी है. दलित, और मुस्लिम के बाद अब वो यादव वोटरों को रिझाकर नया समीकरण बनाना चाहते हैं.

वोट बैंक
वोट बैंक
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Published : Sep 4, 2020, 2:17 PM IST

पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव इस बार दिलचस्प होता जा रहा है. चुनाव में दलित और मुस्लिम वोट बैंक को रिझाने वाले नीतीश कुमार की नजर इस बार आरजेडी के कैडर वोट बैंक यादव पर भी है. इस बार नीतीश कुमार दलित, यादव और मुस्लिम कार्ड खेलकर नए एक्सपेरिमेंट करने में जुटे हैं.

बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले आरजेडी से जेडीयू में आने वाले ज्यादातर विधायक यादव जाति के हैं और कुछ मुस्लिम हैं. उधर जीतन राम मांझी को अपने साथ फिर से जोड़कर दलितों में चुनाव से पहले एक बड़ा मैसेज देने की कोशिश की है.

पोस्टर, जदयू
पोस्टर, जदयू

फिर लगाया दलित नेता मांझी को गले
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भले ही दलितों के बड़े नेता नहीं माने जाते हों, लेकिन दलितों को रिझाने की कोशिश उन्होंने शुरू से की है. जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनाया. उदय नारायण चौधरी को दो-दो बार विधानसभा का अध्यक्ष बनाया.महादलित मिशन बनाया, दलित को महादलित में बांटा.सबसे ज्यादा दलित मंत्री भी बनाए. दलितों के लिए कई योजनाएं भी चलाईं. इस तरह दलित वोट बैंक को अपनी झोली में डालने में वह हमेशा सफल होते रहे हैं.

आरजेडी नेता उदय नारायण चौधरी
उदय नारायण चौधरी, आरजेडी नेता

जदयू में शामिल हो रहे राजद नेता
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और आरजेडी नेता उदय नारायण चौधरी भी नीतीश कुमार की तारीफ कर रहे हैं. लेकिन कमिटमेंट पर सवाल भी खड़ा करते हैं. नीतीश कुमार की नजर इस बार विधानसभा चुनाव में दलित वोट बैंक के साथ-साथ आरजेडी के कैडर वोट यादव पर भी है. इसीलिए एक के बाद एक कई यादव विधायकों को जदयू में शामिल करा रहे हैं. पिछले दिनों सात विधायक राजद से जदयू में शामिल हुये हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

आरजेडी के एमवाई समीकरण में दरार
सीएम नीतीश कुमार के इस नए एक्सपेरिमेंट को आसानी से समझा जा सकता है. नीतीश की नजर इस बार विधानसभा चुनाव में दलित के साथ यादव और मुस्लिम पर भी है. मुस्लिमों के बीच गहरी पकड़ रखने वाले नेता गुलाम रसूल बलियावी तो अक्सर ही नीतीश कुमार के कसीदे पढ़ते नजर आते हैं. आरजेडी के एमवाई समीकरण को तोड़ने में अगर नीतीश सफल हुए तो उसमें बलियावी बड़ी भुमिका रही.

महेश्वर हजारी, जदयू मंत्री
महेश्वर हजारी, जदयू मंत्री

'आरजेडी का एमवाई समीकरण पूरी तरह दरक चुका है'
महेश्वर हजारी, जदयू मंत्री

'इस बार आरजेडी का कैडर वोट ही आरजेडी के साथ नहीं जा रहा है तो मुस्लिम वोट कैसे जाएगा'
गुलाम रसूल बलियावी, एमएलसी

गुलाम रसूल बलियावी, एमएलसी
गुलाम रसूल बलियावी, एमएलसी

'राजनीति में रहने वाले लोगों से ये उम्मीद करें की वह अपनी सत्ता की सुरक्षा के लिए जातीय कार्ड ना खेलें तो ऐसा संभव नहीं है. सत्ता के लिए सभी दल ये खेल खेलते रहे हैं'. डीएम दिवाकर राजनीति विशेषज्ञ

डीएम दिवाकर , राजनीतिक विशेषज्ञ
डीएम दिवाकर , राजनीतिक विशेषज्ञ

दलित, मुस्लिम, यादव वोट पर नीतीश की नजर
बिहार में दलित, मुस्लिम और यादव तीनों का वोट प्रतिशत लगभग 50% के आसपास पहुंच जाता है. जो किसी भी सीट की जीत हार में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है. नीतीश कुमार की तीनों वोट बैंक पर नजर है. लंबे समय से दलित और मुस्लिम को रिझाने की कोशिश करते रहे हैं और इस बार आरजेडी के कैडर वोट बैंक पर भी प्रहार कर रहे हैं.पिछले दिनों आरजेडी से सात विधायक जदयू में आए हैं उसमें से अधिकांश यादव विधायक हैं और अभी कई ऐसे विधायक हैं जिन पर नीतीश कुमार की नजर है.

पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव इस बार दिलचस्प होता जा रहा है. चुनाव में दलित और मुस्लिम वोट बैंक को रिझाने वाले नीतीश कुमार की नजर इस बार आरजेडी के कैडर वोट बैंक यादव पर भी है. इस बार नीतीश कुमार दलित, यादव और मुस्लिम कार्ड खेलकर नए एक्सपेरिमेंट करने में जुटे हैं.

बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले आरजेडी से जेडीयू में आने वाले ज्यादातर विधायक यादव जाति के हैं और कुछ मुस्लिम हैं. उधर जीतन राम मांझी को अपने साथ फिर से जोड़कर दलितों में चुनाव से पहले एक बड़ा मैसेज देने की कोशिश की है.

पोस्टर, जदयू
पोस्टर, जदयू

फिर लगाया दलित नेता मांझी को गले
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भले ही दलितों के बड़े नेता नहीं माने जाते हों, लेकिन दलितों को रिझाने की कोशिश उन्होंने शुरू से की है. जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनाया. उदय नारायण चौधरी को दो-दो बार विधानसभा का अध्यक्ष बनाया.महादलित मिशन बनाया, दलित को महादलित में बांटा.सबसे ज्यादा दलित मंत्री भी बनाए. दलितों के लिए कई योजनाएं भी चलाईं. इस तरह दलित वोट बैंक को अपनी झोली में डालने में वह हमेशा सफल होते रहे हैं.

आरजेडी नेता उदय नारायण चौधरी
उदय नारायण चौधरी, आरजेडी नेता

जदयू में शामिल हो रहे राजद नेता
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और आरजेडी नेता उदय नारायण चौधरी भी नीतीश कुमार की तारीफ कर रहे हैं. लेकिन कमिटमेंट पर सवाल भी खड़ा करते हैं. नीतीश कुमार की नजर इस बार विधानसभा चुनाव में दलित वोट बैंक के साथ-साथ आरजेडी के कैडर वोट यादव पर भी है. इसीलिए एक के बाद एक कई यादव विधायकों को जदयू में शामिल करा रहे हैं. पिछले दिनों सात विधायक राजद से जदयू में शामिल हुये हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

आरजेडी के एमवाई समीकरण में दरार
सीएम नीतीश कुमार के इस नए एक्सपेरिमेंट को आसानी से समझा जा सकता है. नीतीश की नजर इस बार विधानसभा चुनाव में दलित के साथ यादव और मुस्लिम पर भी है. मुस्लिमों के बीच गहरी पकड़ रखने वाले नेता गुलाम रसूल बलियावी तो अक्सर ही नीतीश कुमार के कसीदे पढ़ते नजर आते हैं. आरजेडी के एमवाई समीकरण को तोड़ने में अगर नीतीश सफल हुए तो उसमें बलियावी बड़ी भुमिका रही.

महेश्वर हजारी, जदयू मंत्री
महेश्वर हजारी, जदयू मंत्री

'आरजेडी का एमवाई समीकरण पूरी तरह दरक चुका है'
महेश्वर हजारी, जदयू मंत्री

'इस बार आरजेडी का कैडर वोट ही आरजेडी के साथ नहीं जा रहा है तो मुस्लिम वोट कैसे जाएगा'
गुलाम रसूल बलियावी, एमएलसी

गुलाम रसूल बलियावी, एमएलसी
गुलाम रसूल बलियावी, एमएलसी

'राजनीति में रहने वाले लोगों से ये उम्मीद करें की वह अपनी सत्ता की सुरक्षा के लिए जातीय कार्ड ना खेलें तो ऐसा संभव नहीं है. सत्ता के लिए सभी दल ये खेल खेलते रहे हैं'. डीएम दिवाकर राजनीति विशेषज्ञ

डीएम दिवाकर , राजनीतिक विशेषज्ञ
डीएम दिवाकर , राजनीतिक विशेषज्ञ

दलित, मुस्लिम, यादव वोट पर नीतीश की नजर
बिहार में दलित, मुस्लिम और यादव तीनों का वोट प्रतिशत लगभग 50% के आसपास पहुंच जाता है. जो किसी भी सीट की जीत हार में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है. नीतीश कुमार की तीनों वोट बैंक पर नजर है. लंबे समय से दलित और मुस्लिम को रिझाने की कोशिश करते रहे हैं और इस बार आरजेडी के कैडर वोट बैंक पर भी प्रहार कर रहे हैं.पिछले दिनों आरजेडी से सात विधायक जदयू में आए हैं उसमें से अधिकांश यादव विधायक हैं और अभी कई ऐसे विधायक हैं जिन पर नीतीश कुमार की नजर है.

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