पटनाः तमिलनाडु में कथित रूप से बिहार के प्रवासी लोगों के साथ मारपीट का मसला तूल पकड़ता दिखाई पड़ रहा है. राजनीति तो इसपर हो ही रही है, लोक गायिका भी अपने अंदाज में दर्द बयां कर रहे हैं. पटना पहुंची भोजपुरी लोक गायिका ने अपने अंदाज में कहा, 'भईया हई हम बिहारी.. बाहर जात बानी हो.. क के दिल्ली में मजुरिया हम कमात बानी हो.. क के तमिलनाडु में मजुरिया हम कमात बानी हो..'
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सरकार से सवाल पूछिए : जब इस मसले पर नेहा राठौर से पूछा गया तो उन्होंने कहा, ''मैं एक लोक गायिका हूं भईया.. खास करके ये सवाल तो आपलोगों को नेताओं से पूछना चाहिए. मेरे पास पावर या ऑथिरिटी नहीं है कुछ करने का. मैं सिर्फ आवाज उठा सकती हूं. उसके अलावा मेरे हाथ में कोई पावर नहीं है. ये सवाल आपलोग नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव से कीजिए.''
'बिहारियों के दर्द को बयां किया' : दरअसल, अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के कार्यक्रम में भाग लेने लोक गायिका नेहा सिंह राठौर (Folk singer Neha Singh Rathore) पटना पहुंची थी. इस दौरान पटना एयरपोर्ट पर उन्होंने मीडिया से बात करते हुए बिहारियों के दर्द को बयां किया. बिहार से बाहर मजदूरी करने जा रहे मजदूरों के दर्द पर उन्होंने एक गाना भी लिखा है, जिसे गाकर उन्होंने सुनाया. नेहा राठौर 'का बा' से चर्चा में आई थी. हाल में 'यूपी में का बा गाना गाने के बाद उन्हें यूपी पुलिस की ओर से नोटिस दिया गया था. इस नोटिस को नेहा सिंह ने फर्जी बताया.
''जो केस उत्तर प्रदेश में हुआ था, उसके बारे में मेरे वकील ने जवाब दे दिया है. वह केस फर्जी था. जस्टिस काटजू ने सब कुछ बता दिया है. मेरे ऊपर जो धारा लगायी गयी थी वो 160 सीआरपीसी जो बिना एफआईआर दर्ज कराए नहीं लगायी जा सकती. वो पूरी तरह से गैर कानूनी था. उसका जवाब दे दिया गया है.''- नेहा राठौर, लोक गायिका
बुलडोजर तो सही पर.. : नेहा ने बताया कि यूपी में बुलडोजर कार्रवाई के बारे में कहा कि राज्य सरकार अतिक्रमण हटा रही है तो हमें नहीं लगता है कि वह गलत है. लेकिन जिस तरह से हाथरस में घटना हुई, वह गलत था. अपराधियों पर कार्रवाई तो उचित है पर मां-बेटी जिंदा जल जाना कहां तक सही है.
बिहार के बाहर बिहारी को दिक्कतः तमिलनाडु की घटना पर उन्होंने कहा कि कि ऐसा बताया जा रहा है कि खबर झूठी है. इस बारे में सरकार से सवाल करना चाहिए. मैं तो गायिका हूं, मेरे पास कोई पावर नहीं है. बिहार के लोग बाहर कमाने जाते हैं, वहां काफी दिक्कतें होती है. हम कोई राजनीतिक आदमी नहीं है कि हम इस पर कुछ कहें. हम अपनी बातों को लोकगीत के जरिए लोगों के सामने रखते हैं इससे ज्यादा हम कुछ नहीं कर सकते हैं.
महिला दिवस पर कार्यक्रमः महिला दिवस पर हमारे महिला साथियों ने हमें पटना बुलाया है. कार्यक्रम में हम आए हैं. हमें लगता है कि महिलाओं की जिंदगी थोड़ा मुश्किल से भरी होती है. हमें लगा कि इस कार्यक्रम में अगर हम जाएंगे तो यहां के महिलाओं को काफी खुशी होगी. उनसे जब पूछा गया कि पटना में का बा, जिसपर उन्होंने साफ-साफ कहा कि पटना हमारा नैहर है. हम यहां पर हमेशा आते जाते रहते हैं.
"बिहार के लोगों को बाहर कमाने जाना ही पड़ता है. हम क्या करेंगे हमारे पास कोई रोजगार नहीं है. बिहार के बाहर मजदूरों की हालत दयनीय है. ऐसा नहीं हर कोई दिल्ली बंबई और तमिलनाडु में कलक्टर है. कोई सब्जी बेच रहा है तो कोई कूड़ा उठा रहा है. मैं एक गायिका हूं गाना के माध्यम से लोगों को जागरूक कर सकती हूं. एक्सन लेना तो सरकार का काम है." -नेहा सिंह राठौर, लोक गायिका