पटना: पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) बिहार की नीतीश सरकार में शामिल हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (Hindustani Awam Morcha) के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. पार्टी का बहुत मजबूत जनाधार नहीं है, लेकिन 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए का पार्टनर होने के कारण 4 सीटें जीतने में कामयाबी रही थी. मांझी की यूएसपी उनके विवादित बयान हैं. विवादित बयानों के जरिए वे मीडिया की सुर्खियां बटोरते हैं.
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पहले तो जीतन राम मांझी ने भगवान राम को लेकर विवादित बयान दिया और अब ब्राह्मणों को गाली दी. हालांकि जब चौतरफा आलोचना होने लगी तब उन्होंने यू-टर्न ले लिया और कहा कि अपशब्द मैंने अपने लोगों के लिए बोले थे. वैसे जीतन राम मांझी पहले भी कई बार विवादित बयान दे चुके हैं. बयान जब मीडिया की सुर्खियां बनते हैं तो वह ठीकरा मीडिया पर ही फोड़ देते हैं. मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने कहा था कि जो डॉक्टर लापरवाही करेंगे, उनके हाथ काट दिए जाएंगे.
वहीं, शराबबंदी को लेकर भी मांझी मुखर रहे हैं. बिहार में शराबबंदी के बावजूद उनका मानना है कि अच्छी नींद आने के लिए रात में शराब पीना चाहिए. सीएम रहते हुए भी उन्होंने अपने वोटरों को रिझाने के लिए कहा था कि हम भी चूहा खाते हैं. चूहा मार के खाना कोई खराब बात नहीं है.
जब मांझी के बेटे पर यौन शोषण के आरोप लगे थे, तब भी उन्होंने यह कहकर बचाव किया था कि यौवन अवस्था में यह सब कुछ आम बात है, इसे बहुत गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं है. एक बार जनसभा के दौरान हम प्रमुख ने वोटरों को धमकाया था कि हम तुम्हारे वोट से नहीं जीते हैं. बहुत सारे लोगों ने मुझे वोट दिया है. जो वोट नहीं देते हैं, वही हंगामा करते हैं.
दरअसल, जीतन राम मांझी दबाव की राजनीति के लिए जाने जाते हैं. अपने बयानों के जरिए नीतीश कुमार या फिर बीजेपी पर दबाव बनाने का काम करते हैं. शराबबंदी को लेकर मांझी लगातार नीतीश सरकार पर हमले बोल रहे हैं. वे अपने बेटे और मंत्री संतोष मांझी के विभाग में 1000 करोड़ की राशि चाहते हैं.
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बीजेपी ने मांझी के बयान की तीखी भर्त्सना की है. प्रवक्ता संतोष पाठक ने कहा कि ब्राह्मणों ने देश और समाज को दिशा देने का काम किया है और हिंदू रीति रिवाज में ब्राह्मण के बगैर कोई शुभ कार्य पूरे नहीं होते. मांझी या तो मानसिक रुप से दिवालिया हो गए हैं या फिर बिहार की राजनीति को भटकाना चाहते हैं.
"ब्राह्मणों ने देश और समाज को दिशा देने का काम किया है और हिंदू रीति रिवाज में ब्राह्मण के बगैर कोई शुभ कार्य पूरे नहीं होते. जीतन राम मांझी या तो मानसिक रुप से दिवालिया हो गए हैं या फिर बिहार की राजनीति को भटकाना चाहते हैं"- संतोष पाठक, प्रवक्ता, बिहार बीजेपी
उधर, जेडीयू प्रवक्ता अरविंद निषाद ने कहा है कि संविधान किसी को भी जाति धर्म के आधार पर भेद करने की इजाजत नहीं देता है. मांझी ने जो कुछ कहा है, वह खेद जनक है. उन्होंने अपने बयान के लिए माफी भी मांग ली है, लिहाजा बड़ा दिल दिखाते हुए उन्हें माफ कर देना चाहिए.
"संविधान किसी को भी जाति धर्म के आधार पर भेद करने की इजाजत नहीं देता है. जीतन राम मांझी ने जो कुछ कहा है, वह खेदजनक है. हालांकि अब जब उन्होंने अपने बयान के लिए माफी मांग ली तो उन्हें माफ कर देना चाहिए"- अरविंद निषाद, प्रवक्ता, बिहार जेडीयू
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इधर, आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा है कि जीतनराम मांझी का बयान आपत्तिजनक है. किसी भी धर्म या समाज के लोगों की भावना को आहत नहीं किया जाना चाहिए. उनको भविष्य में सचेत रहने की जरूरत है.
"जीतन राम मांझी का बयान आपत्तिजनक है. किसी भी धर्म या समाज के लोगों की भावना को आहत नहीं किया जाना चाहिए. मांझी को भविष्य में सचेत रहने की जरूरत है"- एजाज अहमद, प्रवक्ता, बिहार आरजेडी
वहीं, मांझी की पार्टी के प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने बयान के लिए माफी मांग ली है. अब इस पर किसी को राजनीति नहीं करनी चाहिए. उनका उद्देश्य किसी की भावनाओं को आहत करना नहीं था. वे तो अपने समाज के लोगों को संदेश देना चाहते थे.
"जीतन राम मांझी ने अपने बयान के लिए माफी मांग ली है. ऐसे में अब इस पर किसी को राजनीति नहीं करनी चाहिए. उनका उद्देश्य किसी की भावनाओं को आहत करना नहीं था. वह तो अपने लोगों को संदेश देना चाहते थे"- दानिश रिजवान, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हम पार्टी
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इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार कौशलेंद्र प्रियदर्शी का कहना है कि जीतन राम मांझी बिहार की राजनीति में बारगेनर की भूमिका में हैं. दबाव की राजनीति के जरिए वे एक तरफ जहां अपने हितों की पूर्ति करते हैं, वहीं दूसरी तरफ बयानों के जरिए मीडिया की सुर्खियों में बने रहना चाहते हैं. ऐसा कर के वे अपने लोगों को एकजुट करने में भी कामयाब हो जाते हैं.
"जीतन राम मांझी बिहार की राजनीति में बारगेनर की भूमिका में हैं. दबाव की राजनीति के जरिए मांझी अपने हितों की पूर्ति करते हैं. दूसरी तरफ मांझी बयानों के जरिए मीडिया की सुर्खियां बटोरते हैं. ऐसा करके वे अपने लोगों को एकजुट करने में कामयाब हो जाते हैं"- कौशलेंद्र प्रियदर्शी, वरिष्ठ पत्रकार
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