ETV Bharat / state

मांझी के बिगड़े बोल : पहले विवादित बयान फिर माफी, आखिर क्यों बार-बार 'मर्यादा' पार कर जाते हैं जीतन राम?

पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की वजह से बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की लगातार फजीहत हो रही है. ब्राह्मणों पर मांझी के विवादित बयान (Manjhi Controversial Statement on Brahmins) से जहां एनडीए के शीर्ष नेता पशोपेश में हैं तो वहीं, तमाम राजनीतिक दलों ने खुद को मांझी से किनारा कर लिया है. पहली बार नहीं है जब मांझी ने विवादित बयान दिए हैं, उनके ऐसे बयानों की लंबी फेहरिस्त है. पढ़ें खास रिपोर्ट

मांझी के बिगड़े बोल
मांझी के बिगड़े बोल
author img

By

Published : Dec 20, 2021, 9:34 PM IST

पटना: पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) बिहार की नीतीश सरकार में शामिल हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (Hindustani Awam Morcha) के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. पार्टी का बहुत मजबूत जनाधार नहीं है, लेकिन 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए का पार्टनर होने के कारण 4 सीटें जीतने में कामयाबी रही थी. मांझी की यूएसपी उनके विवादित बयान हैं. विवादित बयानों के जरिए वे मीडिया की सुर्खियां बटोरते हैं.

ये भी पढ़ें: मांझी ने फिर दी सफाई, कहा- 'पूरे ब्राह्मण समाज पर नहीं.. पैसा वसूलने वालों पर की टिप्पणी'

पहले तो जीतन राम मांझी ने भगवान राम को लेकर विवादित बयान दिया और अब ब्राह्मणों को गाली दी. हालांकि जब चौतरफा आलोचना होने लगी तब उन्होंने यू-टर्न ले लिया और कहा कि अपशब्द मैंने अपने लोगों के लिए बोले थे. वैसे जीतन राम मांझी पहले भी कई बार विवादित बयान दे चुके हैं. बयान जब मीडिया की सुर्खियां बनते हैं तो वह ठीकरा मीडिया पर ही फोड़ देते हैं. मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने कहा था कि जो डॉक्टर लापरवाही करेंगे, उनके हाथ काट दिए जाएंगे.

देखें रिपोर्ट

वहीं, शराबबंदी को लेकर भी मांझी मुखर रहे हैं. बिहार में शराबबंदी के बावजूद उनका मानना है कि अच्छी नींद आने के लिए रात में शराब पीना चाहिए. सीएम रहते हुए भी उन्होंने अपने वोटरों को रिझाने के लिए कहा था कि हम भी चूहा खाते हैं. चूहा मार के खाना कोई खराब बात नहीं है.

जब मांझी के बेटे पर यौन शोषण के आरोप लगे थे, तब भी उन्होंने यह कहकर बचाव किया था कि यौवन अवस्था में यह सब कुछ आम बात है, इसे बहुत गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं है. एक बार जनसभा के दौरान हम प्रमुख ने वोटरों को धमकाया था कि हम तुम्हारे वोट से नहीं जीते हैं. बहुत सारे लोगों ने मुझे वोट दिया है. जो वोट नहीं देते हैं, वही हंगामा करते हैं.

दरअसल, जीतन राम मांझी दबाव की राजनीति के लिए जाने जाते हैं. अपने बयानों के जरिए नीतीश कुमार या फिर बीजेपी पर दबाव बनाने का काम करते हैं. शराबबंदी को लेकर मांझी लगातार नीतीश सरकार पर हमले बोल रहे हैं. वे अपने बेटे और मंत्री संतोष मांझी के विभाग में 1000 करोड़ की राशि चाहते हैं.

यह भी पढ़ें- बीजेपी ने जीतन राम मांझी के बयान की निंदा की, कहा- 'बड़े हैं तो बड़प्पन दिखाएं, समाज का ध्यान रखें'

बीजेपी ने मांझी के बयान की तीखी भर्त्सना की है. प्रवक्ता संतोष पाठक ने कहा कि ब्राह्मणों ने देश और समाज को दिशा देने का काम किया है और हिंदू रीति रिवाज में ब्राह्मण के बगैर कोई शुभ कार्य पूरे नहीं होते. मांझी या तो मानसिक रुप से दिवालिया हो गए हैं या फिर बिहार की राजनीति को भटकाना चाहते हैं.

"ब्राह्मणों ने देश और समाज को दिशा देने का काम किया है और हिंदू रीति रिवाज में ब्राह्मण के बगैर कोई शुभ कार्य पूरे नहीं होते. जीतन राम मांझी या तो मानसिक रुप से दिवालिया हो गए हैं या फिर बिहार की राजनीति को भटकाना चाहते हैं"- संतोष पाठक, प्रवक्ता, बिहार बीजेपी

उधर, जेडीयू प्रवक्ता अरविंद निषाद ने कहा है कि संविधान किसी को भी जाति धर्म के आधार पर भेद करने की इजाजत नहीं देता है. मांझी ने जो कुछ कहा है, वह खेद जनक है. उन्होंने अपने बयान के लिए माफी भी मांग ली है, लिहाजा बड़ा दिल दिखाते हुए उन्हें माफ कर देना चाहिए.

"संविधान किसी को भी जाति धर्म के आधार पर भेद करने की इजाजत नहीं देता है. जीतन राम मांझी ने जो कुछ कहा है, वह खेदजनक है. हालांकि अब जब उन्होंने अपने बयान के लिए माफी मांग ली तो उन्हें माफ कर देना चाहिए"- अरविंद निषाद, प्रवक्ता, बिहार जेडीयू

ये भी पढ़ें- जीतनराम मांझी विवाद: कांग्रेस ने कहा- 'NDA की शह पर दी गई ब्राह्मणों को गाली', BJP ने किया पलटवार

इधर, आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा है कि जीतनराम मांझी का बयान आपत्तिजनक है. किसी भी धर्म या समाज के लोगों की भावना को आहत नहीं किया जाना चाहिए. उनको भविष्य में सचेत रहने की जरूरत है.

"जीतन राम मांझी का बयान आपत्तिजनक है. किसी भी धर्म या समाज के लोगों की भावना को आहत नहीं किया जाना चाहिए. मांझी को भविष्य में सचेत रहने की जरूरत है"- एजाज अहमद, प्रवक्ता, बिहार आरजेडी

वहीं, मांझी की पार्टी के प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने बयान के लिए माफी मांग ली है. अब इस पर किसी को राजनीति नहीं करनी चाहिए. उनका उद्देश्य किसी की भावनाओं को आहत करना नहीं था. वे तो अपने समाज के लोगों को संदेश देना चाहते थे.

"जीतन राम मांझी ने अपने बयान के लिए माफी मांग ली है. ऐसे में अब इस पर किसी को राजनीति नहीं करनी चाहिए. उनका उद्देश्य किसी की भावनाओं को आहत करना नहीं था. वह तो अपने लोगों को संदेश देना चाहते थे"- दानिश रिजवान, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हम पार्टी

ये भी पढ़ें: मांझी के ब्राह्मणों पर विवादित बयान से BJP आग बबूला, संपत्ति की जांच की मांग की

इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार कौशलेंद्र प्रियदर्शी का कहना है कि जीतन राम मांझी बिहार की राजनीति में बारगेनर की भूमिका में हैं. दबाव की राजनीति के जरिए वे एक तरफ जहां अपने हितों की पूर्ति करते हैं, वहीं दूसरी तरफ बयानों के जरिए मीडिया की सुर्खियों में बने रहना चाहते हैं. ऐसा कर के वे अपने लोगों को एकजुट करने में भी कामयाब हो जाते हैं.

"जीतन राम मांझी बिहार की राजनीति में बारगेनर की भूमिका में हैं. दबाव की राजनीति के जरिए मांझी अपने हितों की पूर्ति करते हैं. दूसरी तरफ मांझी बयानों के जरिए मीडिया की सुर्खियां बटोरते हैं. ऐसा करके वे अपने लोगों को एकजुट करने में कामयाब हो जाते हैं"- कौशलेंद्र प्रियदर्शी, वरिष्ठ पत्रकार

विश्वसनीय खबरों को देखने के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP

पटना: पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) बिहार की नीतीश सरकार में शामिल हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (Hindustani Awam Morcha) के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. पार्टी का बहुत मजबूत जनाधार नहीं है, लेकिन 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए का पार्टनर होने के कारण 4 सीटें जीतने में कामयाबी रही थी. मांझी की यूएसपी उनके विवादित बयान हैं. विवादित बयानों के जरिए वे मीडिया की सुर्खियां बटोरते हैं.

ये भी पढ़ें: मांझी ने फिर दी सफाई, कहा- 'पूरे ब्राह्मण समाज पर नहीं.. पैसा वसूलने वालों पर की टिप्पणी'

पहले तो जीतन राम मांझी ने भगवान राम को लेकर विवादित बयान दिया और अब ब्राह्मणों को गाली दी. हालांकि जब चौतरफा आलोचना होने लगी तब उन्होंने यू-टर्न ले लिया और कहा कि अपशब्द मैंने अपने लोगों के लिए बोले थे. वैसे जीतन राम मांझी पहले भी कई बार विवादित बयान दे चुके हैं. बयान जब मीडिया की सुर्खियां बनते हैं तो वह ठीकरा मीडिया पर ही फोड़ देते हैं. मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने कहा था कि जो डॉक्टर लापरवाही करेंगे, उनके हाथ काट दिए जाएंगे.

देखें रिपोर्ट

वहीं, शराबबंदी को लेकर भी मांझी मुखर रहे हैं. बिहार में शराबबंदी के बावजूद उनका मानना है कि अच्छी नींद आने के लिए रात में शराब पीना चाहिए. सीएम रहते हुए भी उन्होंने अपने वोटरों को रिझाने के लिए कहा था कि हम भी चूहा खाते हैं. चूहा मार के खाना कोई खराब बात नहीं है.

जब मांझी के बेटे पर यौन शोषण के आरोप लगे थे, तब भी उन्होंने यह कहकर बचाव किया था कि यौवन अवस्था में यह सब कुछ आम बात है, इसे बहुत गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं है. एक बार जनसभा के दौरान हम प्रमुख ने वोटरों को धमकाया था कि हम तुम्हारे वोट से नहीं जीते हैं. बहुत सारे लोगों ने मुझे वोट दिया है. जो वोट नहीं देते हैं, वही हंगामा करते हैं.

दरअसल, जीतन राम मांझी दबाव की राजनीति के लिए जाने जाते हैं. अपने बयानों के जरिए नीतीश कुमार या फिर बीजेपी पर दबाव बनाने का काम करते हैं. शराबबंदी को लेकर मांझी लगातार नीतीश सरकार पर हमले बोल रहे हैं. वे अपने बेटे और मंत्री संतोष मांझी के विभाग में 1000 करोड़ की राशि चाहते हैं.

यह भी पढ़ें- बीजेपी ने जीतन राम मांझी के बयान की निंदा की, कहा- 'बड़े हैं तो बड़प्पन दिखाएं, समाज का ध्यान रखें'

बीजेपी ने मांझी के बयान की तीखी भर्त्सना की है. प्रवक्ता संतोष पाठक ने कहा कि ब्राह्मणों ने देश और समाज को दिशा देने का काम किया है और हिंदू रीति रिवाज में ब्राह्मण के बगैर कोई शुभ कार्य पूरे नहीं होते. मांझी या तो मानसिक रुप से दिवालिया हो गए हैं या फिर बिहार की राजनीति को भटकाना चाहते हैं.

"ब्राह्मणों ने देश और समाज को दिशा देने का काम किया है और हिंदू रीति रिवाज में ब्राह्मण के बगैर कोई शुभ कार्य पूरे नहीं होते. जीतन राम मांझी या तो मानसिक रुप से दिवालिया हो गए हैं या फिर बिहार की राजनीति को भटकाना चाहते हैं"- संतोष पाठक, प्रवक्ता, बिहार बीजेपी

उधर, जेडीयू प्रवक्ता अरविंद निषाद ने कहा है कि संविधान किसी को भी जाति धर्म के आधार पर भेद करने की इजाजत नहीं देता है. मांझी ने जो कुछ कहा है, वह खेद जनक है. उन्होंने अपने बयान के लिए माफी भी मांग ली है, लिहाजा बड़ा दिल दिखाते हुए उन्हें माफ कर देना चाहिए.

"संविधान किसी को भी जाति धर्म के आधार पर भेद करने की इजाजत नहीं देता है. जीतन राम मांझी ने जो कुछ कहा है, वह खेदजनक है. हालांकि अब जब उन्होंने अपने बयान के लिए माफी मांग ली तो उन्हें माफ कर देना चाहिए"- अरविंद निषाद, प्रवक्ता, बिहार जेडीयू

ये भी पढ़ें- जीतनराम मांझी विवाद: कांग्रेस ने कहा- 'NDA की शह पर दी गई ब्राह्मणों को गाली', BJP ने किया पलटवार

इधर, आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा है कि जीतनराम मांझी का बयान आपत्तिजनक है. किसी भी धर्म या समाज के लोगों की भावना को आहत नहीं किया जाना चाहिए. उनको भविष्य में सचेत रहने की जरूरत है.

"जीतन राम मांझी का बयान आपत्तिजनक है. किसी भी धर्म या समाज के लोगों की भावना को आहत नहीं किया जाना चाहिए. मांझी को भविष्य में सचेत रहने की जरूरत है"- एजाज अहमद, प्रवक्ता, बिहार आरजेडी

वहीं, मांझी की पार्टी के प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने बयान के लिए माफी मांग ली है. अब इस पर किसी को राजनीति नहीं करनी चाहिए. उनका उद्देश्य किसी की भावनाओं को आहत करना नहीं था. वे तो अपने समाज के लोगों को संदेश देना चाहते थे.

"जीतन राम मांझी ने अपने बयान के लिए माफी मांग ली है. ऐसे में अब इस पर किसी को राजनीति नहीं करनी चाहिए. उनका उद्देश्य किसी की भावनाओं को आहत करना नहीं था. वह तो अपने लोगों को संदेश देना चाहते थे"- दानिश रिजवान, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हम पार्टी

ये भी पढ़ें: मांझी के ब्राह्मणों पर विवादित बयान से BJP आग बबूला, संपत्ति की जांच की मांग की

इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार कौशलेंद्र प्रियदर्शी का कहना है कि जीतन राम मांझी बिहार की राजनीति में बारगेनर की भूमिका में हैं. दबाव की राजनीति के जरिए वे एक तरफ जहां अपने हितों की पूर्ति करते हैं, वहीं दूसरी तरफ बयानों के जरिए मीडिया की सुर्खियों में बने रहना चाहते हैं. ऐसा कर के वे अपने लोगों को एकजुट करने में भी कामयाब हो जाते हैं.

"जीतन राम मांझी बिहार की राजनीति में बारगेनर की भूमिका में हैं. दबाव की राजनीति के जरिए मांझी अपने हितों की पूर्ति करते हैं. दूसरी तरफ मांझी बयानों के जरिए मीडिया की सुर्खियां बटोरते हैं. ऐसा करके वे अपने लोगों को एकजुट करने में कामयाब हो जाते हैं"- कौशलेंद्र प्रियदर्शी, वरिष्ठ पत्रकार

विश्वसनीय खबरों को देखने के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.